हादी हुआ सुपुर्द-ए-खाक, हिंदू युवक की हत्या मामले में सरकार का बड़े एक्शन का दावा; सुलगते बांग्लादेश के क्या हैं हालात? VIDEO

बांग्लादेश में हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच आंदोलनकारी नेता शरीफ उस्मान हादी को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया, जबकि हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की लिंचिंग मामले में सरकार ने सात आरोपियों की गिरफ्तारी का दावा किया है. अंतरिम सरकार और मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के आश्वासनों के बावजूद अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा, कट्टरता के आरोप और सियासी तनाव थमने का नाम नहीं ले रहे. हादी की हत्या के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, सुरक्षा बढ़ाई गई है, लेकिन हालात अब भी सुलगते हुए नजर आ रहे हैं.;

( Image Source:  Lozzy B 🇦🇺𝕏 @TruthFairy131-X )
By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 20 Dec 2025 6:45 PM IST

बांग्लादेश के मयमनसिंह में हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की कथित ईश निंदा के आरोप में की गई नृशंस हत्या ने पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश पैदा कर दिया है. अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को बताया कि इस मामले में रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है. यह घटना न केवल अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि बांग्लादेश में बढ़ती कट्टरता को लेकर भी गंभीर चिंता पैदा कर रही है.

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दीपु चंद्र दास की हत्या के बाद हालात इतने भयावह हो गए कि गुस्साई भीड़ ने शव को पेड़ से बांधकर पीटा और बाद में आग के हवाले कर दिया. इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद राजनीति भी गरमा गई है और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार चौतरफा दबाव में आ गई है.

क्या है पूरा मामला?

यह खौफनाक घटना गुरुवार रात मयमनसिंह के भालुका उपजिला स्थित पायनियर निट कॉम्पोजिट फैक्ट्री में हुई. 30 वर्षीय दीपु चंद्र दास फैक्ट्री में मजदूर के तौर पर काम करता था और तरकांदा उपजिला का रहने वाला था. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फैक्ट्री में ‘वर्ल्ड अरबी लैंग्वेज डे’ के कार्यक्रम के दौरान उस पर इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया. आरोप फैलते ही माहौल तनावपूर्ण हो गया और गुस्साई भीड़ ने दीपु पर हमला कर दिया. बताया जा रहा है कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

मौत के बाद भी नहीं थमा कहर

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मौत के बाद भी भीड़ का गुस्सा शांत नहीं हुआ. शव को स्क्वायर मास्टरबाड़ी बस स्टैंड ले जाया गया, जहां उसे रस्सी से पेड़ से बांधकर पीटा गया और नारेबाजी के बीच आग लगा दी गई. ढाका-मयमनसिंह हाईवे पर शव जलाए जाने से यातायात पूरी तरह ठप हो गया. भालुका मॉडल पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी अब्दुल मालेक ने पुष्टि की कि शव पुलिस हिरासत में है और मामले की जांच जारी है.

7 आरोपी गिरफ्तार, यूनुस ने क्या कहा?

मोहम्मद यूनुस ने एक्स (X) पर लिखा कि भालुका, मयमनसिंह में सनातन धर्म के अनुयायी 27 वर्षीय युवक दीपु चंद्र दास की हत्या की घटना के संबंध में रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने सात लोगों को संदिग्ध के रूप में गिरफ्तार किया है.' गिरफ्तार आरोपियों की पहचान लिमोन सरकार, तारेक हुसैन, मानिक मिया, इरशाद अली, निजुम उद्दीन, आलमगीर हुसैन और मिराज हुसैन आकोन के रूप में हुई है.

पिता का दर्द: NDTV से बोले दीपु के पिता

दीपु के पिता रवीलाल दास ने NDTV से बातचीत में बताया कि उन्हें बेटे की हत्या की जानकारी सबसे पहले सोशल मीडिया से मिली. उन्होंने कहा कि हमने यह सब फेसबुक पर देखा… फिर किसी ने मुझे बताया कि मेरे बेटे को बहुत बेरहमी से पीटा गया… उन्होंने उसे एक पेड़ से बांध दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि भीड़ ने केरोसिन डालकर दीपु के शव को जला दिया. 'उसका जला हुआ शव बाहर छोड़ दिया गया था… यह बेहद भयावह था.'

सरकार और नेताओं की प्रतिक्रियाएं

अंतरिम सरकार ने बयान जारी कर घटना की निंदा करते हुए कहा कि 'नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। इस जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.' हालांकि, दीपु के पिता का कहना है कि अब तक परिवार को सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है. पूर्व मंत्री और अवामी लीग नेता मोहम्मद अली आराफात ने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार के तहत बांग्लादेश “पूर्ण कट्टरता” की ओर बढ़ रहा है.

तसलीमा नसरीन का आरोप

निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने दावा किया कि दीपु पर झूठा ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था. उन्होंने लिखा कि दीपु एक गरीब मजदूर और परिवार का इकलौता कमाने वाला था. उनका आरोप है कि पुलिस ने पहले दीपु को सुरक्षा में लिया, लेकिन बाद में हालात बेकाबू हो गए.

भारत में भी प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस घटना को “मानवता के खिलाफ जघन्य अपराध” बताया. वहीं आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने 1971 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि जिस देश के लिए भारतीय सैनिकों ने बलिदान दिया, वहां आज अल्पसंख्यकों का खून बहाया जा रहा है. यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस पर चिंता जताई है. सात गिरफ्तारियां भले ही हुई हों, लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लग पाएगी?

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