Who Knows... तेल के बहाने पाकिस्तान को कंधे पर चढ़ा रहा अमेरिका, भारत की काट के लिए बनाया ये प्लान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ तेल भंडार विकसित करने की डील की घोषणा कर दी है. ट्रंप ने कहा कि हो सकता है, पाकिस्तान एक दिन भारत को भी तेल बेचे. भारत पर टैरिफ बढ़ाने के तुरंत बाद यह बयान आया, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिका क्षेत्रीय संतुलन बदलने की रणनीति पर काम कर रहा है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 31 July 2025 6:52 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को ट्रुथ सोशल पर पाकिस्तान के साथ एक नई साझेदारी की घोषणा की, तेल भंडारों को विकसित करने की डील. उन्होंने यह भी जोड़ा कि "हो सकता है पाकिस्तान किसी दिन भारत को तेल बेचे!" यह बयान सामान्य नहीं था; यह उस दिन आया जब ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की बात कही थी. अमेरिका के इस कथित सौदे का टाइमिंग ही बताता है कि यह सिर्फ ऊर्जा सहयोग नहीं, बल्कि रणनीतिक संदेश है.

एक ओर अमेरिका भारत पर उच्च आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा करता है और दूसरी ओर पाकिस्तान को ऊर्जा सहयोग के नाम पर संभावनाएं खोलता है. यह संकेत देता है कि ट्रंप ‘इनाम और सज़ा’ के ट्रेड गेम में विश्वास करते हैं. भारत को यह संदेश भी जा सकता है कि अगर वह अमेरिका की शर्तों पर नहीं चला, तो क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी को व्यापारिक बढ़त दी जा सकती है.

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भारत को घेरने की दोहरी रणनीति

ट्रंप का यह बयान उस वक्त आया जब अमेरिका-भारत के बीच ब्रिक्स को लेकर भी खींचतान है. ट्रंप ने खुले तौर पर कहा कि ब्रिक्स ‘अमेरिका विरोधी’ गठबंधन है और भारत का इसमें होना असहज करता है. यानि एक तरफ भारत से बातचीत की बात हो रही है, तो दूसरी ओर वही भारत "डॉलर पर हमले" की साजिश का सदस्य बताया जा रहा है. यह दोहरा रवैया अमेरिका की अस्थिरता को दिखाता है.

दुनिया को व्यापारिक चेतावनी

ट्रंप ने पोस्ट में बताया कि उन्होंने कई देशों से टैरिफ कम करने के प्रस्ताव मांगे हैं. दक्षिण कोरिया का जिक्र करते हुए कहा कि वह 25% टैरिफ कम करने की तैयारी में है. साफ है, अमेरिका इस समय व्यापार घाटा कम करने के नाम पर देशों को झुकने पर मजबूर कर रहा है. भारत जैसे देशों के लिए यह कूटनीतिक परीक्षण है न तो झुकना है, न ही संबंध बिगाड़ना.

पाकिस्तान को मिल सकती है अमेरिकी टेक्नोलॉजी एक्सेस

अगर यह डील अमल में आती है, तो पाकिस्तान को अमेरिकी तेल कंपनियों और तकनीक का सीधा लाभ मिलेगा. इसका एक अर्थ यह भी है कि भारत के पड़ोसी को ऊर्जा सुरक्षा और अमेरिका की राजनीतिक मदद एक साथ मिलेगी. यह भारत की ऊर्जा रणनीति और दक्षिण एशिया में अमेरिकी रुख को पुनर्परिभाषित कर सकता है.

भारत के लिए क्या है रणनीतिक जवाब?

ट्रंप की इस पूरी घोषणा से भारत के लिए कई सवाल खड़े होते हैं कि क्या वह अमेरिका की टैरिफ चालों में उलझेगा या स्वतंत्र ऊर्जा नीति और BRICS की साझेदारी को बनाए रखेगा? क्या पाकिस्तान को तेल बेचने की ‘फंतासी’ के जवाब में भारत को भी ईरान, रूस और अफ्रीका के विकल्पों को आगे लाना चाहिए? आने वाले समय में भारत को अपने जवाब के ज़रिए यह साबित करना होगा कि वह सिर्फ़ बाज़ार नहीं, बल्कि रणनीति भी है.

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