कभी झू क्यू, कभी झोउ तियान! नाम बदल-बदलकर भाग्य चमकाने की नाकाम कोशिश

एक अजीब कहानी हमारे पड़ोसी देश चीन से सामने आई है. वहा एक आदमी है, जिसे अपना नाम कभी पसंद ही नहीं आता. जहा ज़्यादातर लोग अपने नाम को गर्व से अपनाते हैं. वहीं ये जनाब हर कुछ दिन सोचते हैं की उनका नाम ठीक नहीं है.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 7 May 2025 6:12 AM IST

जब हम इस दुनिया में आते हैं, तो हमारे माँ-बाप हमें एक नाम देते हैं. यही नाम हमारी पहली पहचान बनता है. स्कूल, दफ्तर या किसी भी नई जगह, लोग सबसे पहले हमारे नाम से ही हमें बुलाते हैं. यही नाम हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन जाता है. लेकिन सोचिए, अगर कोई अपने ही नाम को पसंद न करे? और सिर्फ़ एक बार नहीं, बार-बार अपना नाम बदलवाए!

ऐसी ही एक अजीब कहानी हमारे पड़ोसी देश चीन से सामने आई है. वहा एक आदमी है, जिसे अपना नाम कभी पसंद ही नहीं आता. जहा ज़्यादातर लोग अपने नाम को गर्व से अपनाते हैं. वहीं ये जनाब हर कुछ दिन सोचते हैं की उनका नाम ठीक नहीं है.

अपना नाम नहीं पसंद 

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक दिलचस्प रिपोर्ट में एक 23 साल के युवक की अनोखी कहानी सामने आई है. चीन के हेनान प्रांत में रहने वाले इस लड़के का नाम जू युनफेई था, लेकिन उसे अपना नाम बिल्कुल पसंद नहीं था. उसका  कहना है की उसका नाम इतना आम था कि गांव में एक और व्यक्ति भी उसी नाम से जाना जाता था. उसे लगता था कि ऐसा साधारण नाम उसकी पहचान को कमजोर बना रहा है और शायद इसी वजह से उसे नौकरी भी नहीं मिल रही. फिर क्या था उसने फैसला किया कि नाम बदल लेना चाहिए. इस उम्मीद में कि शायद नई पहचान से किस्मत भी बदल जाए, उसने अपना नाम बदलकर झू क्यू झुआन वू ची लिंग रख लिया.

नया नाम भी नहीं भाया

यह नाम जितना लंबा और अनोखा था, उतनी ही उसकी उम्मीदें भी बड़ी थीं. लेकिन अफ़सोस नया नाम भी उसके मन को भाया नहीं. दो बार नाम बदलने के बाद भी वह अब तक संतुष्ट नहीं था. लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. कुछ ही समय बाद, जू युनफेई अपने नए नाम झू क्यू झुआन वू ची लिंग से भी नाखुश हो गए. वजह वही यह नाम भी उनकी नौकरी की तलाश में कोई मदद नहीं कर पाया.

48 अक्षरों वाला नाम

इस बार उसने सोचा कि कुछ अलग करना चाहिए, तो उन्होंने अपनी मां का सरनेम अपनाया और फिर अपना नाम बदलकर झोउ तियान ज़ी वेई दा दी कर दिया. उसे लगा कि ये नाम थोड़ा खास और अनोखा है, जो लोगों का ध्यान खींचेगा. लेकिन उसकी बेचैनी अब भी नहीं थमी. उन्हें अब भी लग रहा था कि नाम में कुछ कमी रह गई है. फिर क्या हुआ? वो एक बार फिर अधिकारियों के पास पहुच गया. इस बार और भी अजीब खवाइश लेकर गया और कहा कि वे 48 अक्षरों वाला एक लंबा-सा नाम रखना चाहता है. अधिकारियों ने हैरानी से उसकी बात सुनी और साफ़ मना कर दिया.

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