Charlie Kirk murder: क्या है Antifa जिसे ट्रंप ने घोषित किया ‘आतंकी संगठन’, India में ऐसा होता तो क्या करते मोदी?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चार्ली किर्क की हत्या के आरोप में एंटीफा को ‘आतंकी संगठन’ घोषित कर दिया है. एंटीफा के सदस्य काले कपड़े पहनते हैं. चरमपंथी अभियानों में शामिल रहने का इनका इतिाहस है.भारत में अगर किसी राजनीतिक या सामाजिक संगठन पर ऐसा आरोप लगता, तो क्या प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया होती? जानिए पूरा मामला.;

( Image Source:  ANI )

अमेरिका में हाल ही में हुई चार्ली किर्क की हत्या ने देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया है. इस मामले में एंटीफा नामक संगठन को को लेकर विवाद भी अमेरिका में चरम पर है. चार्ली किर्क हत्याकांड में एंटीफा का नाम आने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समूह को ‘आतंकी संगठन’ घोषित कर दिया है. ट्रंप का यह फैसला अमेरिकी राजनीति में एक नया तूफान पैदा कर सकता है. चर्चा यह भी है कि अगर भारत में ऐसी घटना होती तो प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया क्या होती, इसे समझना भी जरूरी है.

डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी चेतावनी भी दी है कि इसे वित्तपोषित करने वालों की भी जांच की जाएगी. ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी और दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता चार्ली किर्क की हत्या के कुछ दिनों बाद यह कदम उठाया है.

एंटीफा क्या है?

एंटीफा (Antifa) मूल रूप से “एंटी-फासीस्ट” आंदोलन है. इसका उद्देश्य कथित रूप से फासीवाद और कट्टरपंथ का विरोध करना है. अमेरिका में हालिया घटनाओं में इसे हिंसा और चरमपंथी गतिविधियों से जोड़कर देखा जा रहा है. ट्रंप प्रशासन ने इसे एक तरह के आतंकी संगठन के रूप में घोषित किया है. ट्रंप सरकार के इस निर्णय से अमेरिका में राजनीतिक और सामाजिक बहस चार्ली किर्क की हत्या को लेकर तेज हो गई है.

काले कपड़े पहनते हैं एंटीफा के सदस्य

एंटीफा के सदस्य जो अक्सर पूरी तरह काले कपड़े पहनते हैं, नस्लवाद और अति-दक्षिणपंथी मूल्यों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हैं. एंटीफा के सदस्य खुद को एक विरोध परंपरा का हिस्सा मानते हैं जो द्वितीय विश्व युद्ध से पहले नाजी जर्मनी और फासीवादी इटली के विपक्षी समूहों से जुड़ी है. अमेरिकी एंटीफर सक्रियता की जड़ें उन नस्लवाद-विरोधियों से जुड़ी हैं, जो 1980 के दशक में नस्लवादी स्किनहेड्स, कू क्लक्स क्लान (KKK) के सदस्यों और नव-नाजियों की गतिविधियों का विरोध करते हुए लामबंद हुए थे.

एंटीफा पर लगे थे ये आरोप

चार्ली किर्क की हत्या के बाद आरोप लगे कि एंटीफा से जुड़े समूह ने इस हत्याकांड में अहम भूमिका निभाई थी. अमेरिका में यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल प्लेटफॉर्म पर चर्चा तेज है. ट्रंप ने इसे गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा बताया है. जबकि विपक्षी राजनीतिक दल इसे राजनीतिक बहस का हिस्सा मान रहे हैं.

भारत में ऐसा होता तो मोदी क्या करते?

अगर भारत में किसी राजनीतिक या सामाजिक हिंसा में किसी संगठन पर इसी तरह के आरोप लगते, तो प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया और सख्त होती. उन्होंने पहले भी हिंसा और उग्रवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का उदाहरण दिखाया है. आतंकवादी मसले पर पीएम मोदी की जीरो टॉलरेंस की नीति है. पीएमआई, जस्टिस फार खालिस्तान से जुड़े संगठनों सहित कई संगठनों पर मोदी सरकार के कार्यकाल में ही बैन लगाए गए हैं. मोदी सरकार आतंकवादी मसले को लेकर पिछले सालों से पाकिस्तान से द्विपक्षीय वार्ता को भी इजाजत नहीं दे रहे हैं.

चार्ली किर्क हत्या के मामले में एंटीफा के खिलाफ कार्रवाई और ट्रंप की घोषणा राजनीतिक और सामाजिक बहस को बढ़ा रही है. भारत में अगर इसी तरह की स्थिति होती, तो सरकार के निर्णय और जनता की प्रतिक्रिया भी गंभीर होती. यह मामला दुनिया भर में राजनीतिक हिंसा और चरमपंथ के मुद्दों पर सोचने का अवसर देता है.

अमेरिका में समूह की गतिविधियां

  • अमेरिका में एंटीफा समूहों को 12 अगस्त 2017 को वर्जीनिया के चार्लोट्सविले में श्वेत वर्चस्ववादियों और उनके विरोधियों के बीच हुई हिंसक झड़प हुई थी.
  • जून 2016 में, एंटीफा और अन्य प्रदर्शनकारियों ने कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में एक नव-नाजी रैली का विरोध किया, जिसमें कम से कम पांच लोगों को चाकू मार दिया गया.
  • फरवरी, मार्च और अप्रैल 2017 में एंटीफा सदस्यों ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले में अति-दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों पर ईंटों, पाइपों, हथौड़ों और घर में बने आग लगाने वाले उपकरणों से हमला किया.
  • जुलाई 2019 में स्वयंभू एंटीफा विलियम वैन स्प्रोन्सन ने वाशिंगटन के टैकोमा स्थित अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन निरोध केंद्र पर प्रोपेन टैंक से बमबारी करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उसे मार गिराया.
  • अपने पहले कार्यकाल से ही ट्रम्प पुलिस के विरुद्ध हिंसा को लेकर 6 जनवरी, 2021 को अमेरिकी कैपिटल में दंगा भड़काने तक और अपनी नापसंदगी के विभिन्न कार्यों के लिए एंटीना को दोषी ठहराते रहे हैं.
  • ट्रंप के पूर्व एफबीआई निदेशक, क्रिस्टोफर रे ने 2020 में गवाही में कहा था कि एंटीफा एक विचारधारा है, न कि एक संगठन, और इसमें वह  संरचना नहीं है जो आमतौर पर इसे संघीय सरकार द्वारा एक आतंकवादी समूह घोषित करने की अनुमति देती है.
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