भारत को अल्पसंख्यक हितों की सीख देने वाला कनाडा क्यों कर रहा 'Mikmaw' समुदाय की उपेक्षा? क्या है मामला

कनाडा की सरकार भारत सहित कई देशों को मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के हितों की पाठ पढ़ाने से बाज नहीं आती. वही कनाडा अपनी ही धरती पर बसे Mi’kmaw (आदिवासी समुदाय) की आवाज को अनसुना कर रहा है. मछली पकड़ने, शिक्षा, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान को लेकर यह समुदाय लगातार संघर्ष कर रहा है.;

( Image Source:  Andrew Vaughan/Canadian Press )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 20 Sept 2025 11:57 AM IST

भारत को बार-बार अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर उपदेश देने वाला कनाडा, खुद अपने देश की आदिवासी Mi’kmaw (मिकमैक) कम्युनिटी की उपेक्षा कर रहा है. यह समुदाय लंबे समय से अपने संवैधानिक अधिकार, प्राकृतिक संसाधनों पर हक और सामाजिक न्याय की मांग कर रहा है. सवाल यह है कि जब कनाडा दूसरों को नसीहत देता है तो क्या खुद अपने देश के अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा में विफल हो रहा है? हालांकि, कनाडा की नई सरकार ने भारत से अपने संबंधों को नए सिरे से मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है.

झींगा मछली पकड़ने पर मचा था बवाल

साल 2020 में Sipekne katik First Nation संगठन ने अपनी स्व-नियंत्रित लॉबस्टर मछली पकड़ने की पहल शुरू की, यह दावा करते हुए कि ऐसा करने का उन्हें संवैधानिक और मौलिक अधिकार हैं. इस कदम से गैर-आदिवासी मछुआरों के साथ मिकमैक के लोगों की हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें संपत्ति को नुकसान और धमकियां शामिल थीं. जबकि 1999 में कनाडा के सुप्रीम कोर्ट ने इन अधिकारों को मान्यता दी थी, लेकिन Mi’kmaw मछुआरे अभी भी अपने अधिकारों से हैं.

 Mi’kmaw समुदाय कौन?

Mi’kmaw कनाडा के पूर्वी हिस्से (Nova Scotia, New Brunswick, Prince Edward Island आदि) में बसे आदिवासी हैं. इनकी परंपरा मुख्यतः मछली पकड़ने, खेती और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है. कनाडा की ऐतिहासिक संधियों में इन्हें विशेष अधिकार दिए गए हैं.

सरकार के खिलाफ नाराजगी क्यों?

Mi’kmaw समुदाय की कनाडा सरकार से नाराजगी की कई वजह है. मछली पकड़ने के अधिकारों पर सरकार और स्थानीय कंपनियों के साथ टकराव. प्राकृतिक संसाधनों और भूमि पर कब्जे की शिकायत. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में इस कम्युनिटी के लोगों के साथ लगातार भेदभाव. सांस्कृतिक पहचान और भाषा संरक्षण की अनदेखी व अन्य मुद्दे शामिल हैं.

क्या है मांग?

Mi’kmaw समुदाय चाहता है कि कनाडा सरकार 18वीं शताब्दी में हुए समझौतों के प्रावधानों का पालन करे. संधि के प्रावधानों के अनुसार मिकमैक समुदाय का वहां के संसाधनों पर हक, समुद्री और स्थलीय संसाधनों पर उनका प्राथमिक अधिकार बहाल करे. सामाजिक-आर्थिक न्याय, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार सुनिश्चित करे. सांस्कृतिक संरक्षण – उनकी भाषा और परंपरा को शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाए.

कनाडा का दोहरा मानदंड आया सामने

कनाडा भारत में अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर अक्सर बयान देता है, लेकिन अपने ही देश में Mi’kmaw जैसे समुदाय उपेक्षित रहते हैं. इससे कनाडा की दोहरे मानदंडों की नीति उजागर होती है. कनाडा की सरकार यदि वास्तव में अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों की हितैषी है, तो उसे पहले अपने ही देश के Mi’kmaw आदिवासी समुदाय की मांगों को सुनना होगा. वरना भारत जैसे देशों को नसीहत देना केवल राजनीतिक दिखावा ही माना जाएगा.

$7.1 मिलियन डॉलर के निवेश का नहीं दिखा असर

हालांकि, कनाडा सरकार ने Mi’kmaw समुदाय की भाषा को बढ़ावा देने के लिए 2023 में 5 वर्षों के लिए $7.1 मिलियन का निवेश किया है. इसका उद्देश्य Mi’kmaw भाषा को पुनर्जीवित करना है. यह निवेश Mi’kmaw Kina’matnewey को सौंपा गया है, जो नोवा स्कोटिया में Mi’kmaw समुदायों की शैक्षिक और सांस्कृतिक जरूरतों को पूरा करने वाली प्रमुख संस्था है.

इस पहल के तहत, Mi’kmaw भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई गई.  जैसे कि बच्चों के लिए इमर्शन क्लासेस, भाषा शिविर और शैक्षिक संसाधनों का निर्माण. यह सभी कार्यक्रम Mi’kmaw समुदाय की प्राथमिकताओं और जरूरतों के आधार पर तैयार किए गए हैं.

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