खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते... भारत के बाद अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान का पानी किया बंद, क्या बोले जल मंत्री?

तालिबान ने अफगानिस्तान में कूहर नदी पर तुरंत बांध बनाने का आदेश दिया है. अफगान जल मंत्री अब्दुल लतीफ मंसूर के अनुसार, यह कदम पाकिस्तान पर दबाव बनाने और अफगान कृषि और बिजली के लिए जल सुनिश्चित करने के लिए है. इससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच जल और रणनीतिक तनाव बढ़ सकता है. भारत के उदाहरण “रक्त और पानी एक साथ नहीं बह सकते” की तरह, अफगानिस्तान भी जल संसाधनों पर अपने अधिकारों को सुरक्षित करना चाहता है.;

( Image Source:  X/Afghanistan_5 )
Edited By :  नवनीत कुमार
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अफगान तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबातुल्लाह अखुंडजादा ने कूहर नदी पर तुरंत बांध निर्माण का आदेश दिया है. न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के जल मंत्री अब्दुल लतीफ मंसूर ने कहा कि “अफगान नागरिकों को अपने जल संसाधनों का प्रबंधन करने का अधिकार है.” यह कदम पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पानी को लेकर बढ़ते तनाव को और बढ़ा सकता है.

कूहर नदी पाकिस्तान के चितरल क्षेत्र से निकलती है और अफगानिस्तान के नंगरहर और कूहर प्रांतों से होकर बहती है. अंततः यह पाकिस्तान की सिंधु नदी में मिल जाती है. काबुल और कूहर जैसी नदियां अफगानिस्तान से पाकिस्तान में जाती हैं और पाकिस्तान के कृषि क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं.

हमले को लेकर क्या कहता है अफगानिस्तान?

अफगानिस्तान का मानना है कि पाकिस्तान नागरिकों पर हवाई हमले करता रहा है और पानी को इसका गैर-सैन्य हथियार मानता है. तालिबान उच्च स्रोतों के अनुसार, “ISI ने दशकों तक काबुल में ISIS गुटों को सशस्त्र और वित्तीय सहायता दी. पानी को बंद करना या मोड़ना अफगानिस्तान को पाकिस्तान की गहरी राज्य रणनीति का मुकाबला करने का अवसर देता है.”

बांध और जल-संग्रहण परियोजनाएं

अफगानिस्तान ने काबुल, कूहर और हेलमंद जैसी नदियों पर बांध और जलाशयों की योजना बनाई है. कमाल खान और शाहटूट जैसे प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य केवल जल संरक्षण और बिजली उत्पादन नहीं, बल्कि पाकिस्तान पर रणनीतिक दबाव बनाना भी है.

पाकिस्तान द्वारा अफगानियों के प्रति दबाव

तालिबान सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजना और तॉर्खम व्यापार मार्ग बंद करना भी जल नीति को प्रभावित करने का कारण है. अफगानिस्तान इसे पाकिस्तान की आर्थिक और मानवतावादी दबाव रणनीति का विरोध मान रहा है.

अंतरराष्ट्रीय समर्थन

सूत्रों का कहना है कि ईरान और चीन भी चुपचाप अफगानिस्तान की नदियों पर नियंत्रण का समर्थन कर रहे हैं, ताकि पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब और बलूचिस्तान के कृषि क्षेत्र कमजोर हों. यह क्षेत्रीय रणनीति अफगानिस्तान के लिए जल और भू-राजनीतिक संतुलन बनाने का जरिया है.

खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते

इससे पहले 12 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.” उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर भी इंडस वाटर्स ट्रिटी को निलंबित करने के फैसले को दोहराते हुए पाकिस्तान के साथ सामान्य जल साझेदारी और आतंकवाद को सह-अस्तित्व में नहीं रहने योग्य बताया.

समाधान की कोशिश

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर संघर्ष के बाद दोनों देशों ने 19 अक्टूबर को तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई. अफगान अधिकारियों के अनुसार, समझौते में पूर्ण युद्धविराम, परस्पर सम्मान, नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमलों पर प्रतिबंध और सभी विवादों को संवाद के माध्यम से हल करने का आश्वासन शामिल है.

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