बशर अल असद के शासन का अंत, दमिश्क पर विद्रोहियों का कब्जा; सीरिया में अब आगे क्या होगा?

सीरिया में बशर अल असद के शासन का अंत हो गया है. विद्रोहियों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. असद के भी देश छोड़ने की खबरें सामने आ रही हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विद्रोहियों के सत्ता में आने पर सीरिया और यहां के लोगों का भविष्य क्या होगा....;

Syria News In Hindi: सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के 24 साल के शासन का 8 दिसंबर को अंत हो गया. असद ने 2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की जगह ली थी, जिन्होंने करीब 30 साल तक सीरिया पर कठोर शासन किया. हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विद्रोहियों ने सीरिया पर कब्जा कर लिया है, जिसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि सीरिया और वहां के लोगों का अब क्या होगा?

सीरिया में 2011 में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब असद के देश छोड़कर भागे जाने के साथ समाप्त हुआ. इस विरोध प्रदर्शन ने बाद में गृह युद्ध का रूप धारण कर लिया, जिसमें पांच लाख से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि 6 लाख शरणार्थी बनने के लिए मजबूर हुए.

रूस और ईरान से सैन्य समर्थन हासिल होने के चलते असद की सत्ता अभी तक बरकरार रह पाई थी. ईरान के इजरायल और रूस के यूक्रेन से जंग के चलते इस बार असद की सेना विद्रोहियों के आगे नहीं टिक पाई. कुच ही दिनों में विद्रोहियों ने अलेप्पो, हामा और होम्स जैसे शहरों पर कब्जा कर लिया.

विद्रोही नेता अबू मोहम्मद-अल-गोलानी ने सीरियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद अल-जलाली को राज्य संस्थाओं का कार्यवाहक नियुक्त किया है. गोलानी को अहमद अल-शरा के नाम से भी जाना जाता है. अल-जलाली ने एक बयान में सीरिया के लोगों द्वारा चुने गए किसी भी नेतृत्व के साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की है.

सीरिया के लोगों का क्या होगा?

हयात तहरीर-अल शाम (HTS) अलकायदा से जुड़ा रहा है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि वहां एक कठोर इस्लामी शासन हो सकता है. असद का पतन मिडिल ईस्ट में रूस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. रूस को असद का समर्थक माना जाता है. वह 2015 से असद की मदद कर रहा था, लेकिन इस समय यूक्रेन के साथ जंग में उलझे होने की वजह से वह असद की मदद नहीं कर पाया.

ईरान भी नहीं कर पाया असद की मदद

ईरान इजरायल को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है. वह सीरिया में असद सरकार की मदद नहीं कर पाया. इजरायल ने हाल ही में ईरानी संपत्तियों को निशाना बनाया, जिससे चुनौतियां और बढ़ गईं. इससे ईरान रक्षात्मक हो गया है. वह चाहकर भी सीरिया की मदद नहीं कर पाया. वहीं, इजरायल के लिए, असद के शासन का पतन अवसर और जोखिम दोनों लाया है. सीरिया में ईरान के प्राथमिक सहयोगी के पतन से हिज़्बुल्लाह की आपूर्ति श्रृंखला बाधित होगी, लेकिन एक प्रमुख शक्ति के रूप में एचटीएस का उदय नई अनिश्चितताओं को जन्म देता है.

Similar News