क्या बांग्लादेश का भी होगा विभाजन, ब्रिटेन से उठी हिंदुओं को आजादी देने की मांग
Bangladeshi Hindus: एक लेबर काउंसलर और एक बांग्लादेशी जिसे अपनी मातृभूमि छोड़नी पड़ी पुष्पिता का काम भले ही लंदन के केंद्र में हो, लेकिन वह हर साल पूरे बांग्लादेश जाती थीं, जब तक कि वहां तख्तापलट नहीं हुआ था.;
Bangladeshi Hindus: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे लगातार हमले के बाद वहां के अल्पसंख्यकों को लेकर दुनिया भर में आवाज उठाई जा रही है. अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक में हिंदुओं की सुरक्षा की मांग हो रही थी, लेकिन अब बांग्लादेशी मूल की लंदन स्थित सत्तारूढ़ लेबर पार्टी की पार्षद पुष्पिता गुप्ता ने बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए एक स्वतंत्र देश की मांग कर दी है.
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, पुष्पिता गुप्ता ने कहा, 'अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से बांग्लादेश की हिंदू आबादी पर हमेशा से हमला होता रहा है, लेकिन नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आने के बाद से यह अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है.' उन्होंने हिंदुओं के लिए बांग्लादेश से अलग एक स्वतंत्र भूमि की मांग भी की है.
तख्तापलट के बाद पुष्पिता नहीं जाती बांग्लादेश
पुष्पिता गुप्ता बांग्लादेश छोड़कर ब्रिटेन चली गईं. हालांकि, वह लगातार बांग्लादेश जाती रहती हैं, जब तक कि एक तरह के तख्तापलट ने हसीना को भारत में अस्थायी शरण लेने के लिए मजबूर नहीं कर दिया. वह मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में रहे बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का विरोध कर रही हैं. उनका कहना है कि मोहम्मद यूनुस के आने के बाद बांग्लादेश जाना सुरक्षित नहीं रह गया है.
नौकरियों से अल्पसंख्यकों को किनारा
बांग्लादेश में हाल ही में अल्पसंख्यकों को धार्मिक आधार पर सरकारी नौकरियों से वंचित करने का आरोप लगाया गया है. अवामी लीग भी इस पर आगे बढ़ चुकी है. लोक प्रशासन मंत्रालय के मुताबिक, खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर 227 उम्मीदवारों की BCS भर्ती रद्द कर दी गई है. ऐसे में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से उनके जीने का जरिया भी छिना जा रहा है.
पाकिस्तान बनने की राह पर बांग्लादेश
यूनुस ने दावा किया है कि चुनाव 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में होने की संभावना है, लेकिन उन्होंने मतदान की उम्र 18 से घटाकर 17 साल करने का प्रस्ताव भी रखा है. वहीं आजादी की हर कहानी को मिटाने के लिए वह किताबों के सिलेबस में बदलाव की तैयारी भी कर रहा है. देश को पूरी तरह से कट्टरपंथियों के हवाले करने की तैयारी चल रही है. यदि यह नीति जारी रहती है, तो भारत बांग्लादेश के इतिहास में गलत पक्ष पर खड़ा रहेगा और दोनों देशों के बीच संबंध 1971 से पहले वाले स्तर पर पहुंच जाएंगे.