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भारत के खिलाफ लड़ी थी जंग, अब बांग्लादेश बता रहा आजादी का हीरो; कहानी Ziaur Rahman की

Ziaur Rahman: भारत के खिलाफ जंग रहने वाले शख्स को अब बांग्लादेश की आजादी का हीरो बताया जा रहा है. अब बांग्लादेश की किताबों में बताया जाएगा कि स्वतंत्रता की घोषणा शेख मुजीबुर रहमान ने नहीं, बल्कि जियाउर रहमान ने की थी. शेख हसीना के सत्ता से जाने के बाद मोहम्मद युनुस की सरकार अब देश का नया इतिहास लिख रही है. आइए, जानते हैं कि एक मेजर कैसे राष्ट्रपति बना...

भारत के खिलाफ लड़ी थी जंग, अब बांग्लादेश बता रहा आजादी का हीरो; कहानी Ziaur Rahman की
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Who Was Ziaur Rahman: जिसने बांग्लादेश को अस्तित्व में लाया, जिसे बांग्लादेश का राष्ट्रपिता कहा जाता है, अब उसी शख्स का नामोनिशान मिटाने पर अंतरिम सरकार तुली हुई है. उससे राष्ट्रपिता की उपाधि भी छीन ली गई है. यह शख्स कोई और नहीं, बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान हैं. शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बनी अंतरिम सरकार अब नए सिरे से इतिहास लिखने जा रही है. अब बांग्लादेश की कक्षा 1 से 9 तक की किताबों में लिखा जाएगा कि 1971 में देश के स्वतंत्र होने की घोषणा मुजीबुर रहमान ने नहीं, बल्कि जिया उर रहमान ने की थी. यह बदलाव कुल 33 किताबों में किया गया है.

मोहम्मद युनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार 1971 के जंग पर फिर से किताब लिख रही है. ये किताबें अब बच्चों में बांटी जा रही है. सरकार का कहना है कि शेख मुजीबुर रहमान की तरफ से स्वतंत्रता की घोषणा करने वाला वायरलेस संदेश भेजने का दावा तथ्यात्मक जानकारी पर आधारित नहीं था. इसलिए इसे हटाने का फैसला लिया गया है. बीएनपी का कहना है कि स्वतंत्रता की घोषणा पार्टी के संस्थापक जियाउर रहमान ने की थी.

कौन थे जियाउर रहमान?

जियाउर रहमान बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बीएनपी के संस्थापक और देश के पूर्व राष्ट्रपति थे. उनका जन्म 19 जनवरी 1936 को बंगाल के बागबारी में हुआ था. वे 1977 से लेकर 1998 तक राष्ट्रपति रहे. उनकी पढ़ाई कराची में हुई. जिया पहले मेजर थे, बांग्लादेश का गठन होने के बाद उन्हें कर्नल बनाया गया.

भारत के खिलाफ लड़ी जंग

जियाउर रहमान ने पाकिस्तान की तरफ से भारत के खिलाफ 1965 की लड़ाई लड़ी थी. वे उस समय खेमकरण सेक्टर में तैनात थे. उन्होंने करीब पांच साल तक पाकिस्तानी सेना के खुफिया विभाग में काम किया. जब पाकिस्तान ने 25 मार्च 1971 ऑपरेशन सर्चलाइट के जरिए बांग्लादेश में जमकर नरसंहार किया. इसी दिन मेजर जिया ने पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह कर दिया. उन्होंने 26 मार्च को चटगांव के कलुरघाट रेडियो स्टेशन से आजादी का एलान करते हुए कहा, मैं मेजर जिया... बांग्लादेश मुक्ति सेना का प्रोविजनल कमांडर-इन-चीफ.. बांग्लादेश की आजादी की घोषणा करता हूं.

जियाउर रहमान 1955 में सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर सेना में कमीशन मिला था. उन्हें 1972 में बांग्लादेश के सशस्त्र बलों का डिप्टी चीफ ऑफ स्टाप बनाया गया. इसके बाद 1973 में वे ब्रिगेडियर और फिर मेजर जनरल बने. अगस्त 1975 में सैन्य तख्तापलट और शेख मुजीबुर रहमान की मौत के बाद उन्हें सेना प्रमुख बनाया गया. अप्रैल 1977 में जिया बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने. मेजर जनरल मोहम्मद अब्दुल मंजूर ने साजिश रचकर 30 मई 1981 को जिया को मौत के घाट उतार दिया.

भारत विरोधी रहे जियाउर रहमान

नवंबर 1975 में तख्तापलट के बाद मेजर जनरल जियाउर रहमान सत्ता में आए. जिया ने पाकिस्तान का समर्थन किया, जबकि भारत विरोधी रवैया अपनाया. उन्होंने सेना को मजबूत किया और कानून व्यवस्था में सुधार किया. जिया ने 1 सितंबर 1978 को बीएनपी की स्थापना की. उनकी पत्नी खालिदा जिया प्रधानमंत्री रह चुकी हैं. उन्हें शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद जेल से रिहा किया गया है.

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