Nepal: सोशल मीडिया पर बैन समाप्त, PM ओली का आया पहला बयान; जिम्मेदारी से खुद को ऐसे बचा लिया?

Nepal Protest Update: नेपाल में सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ जनरेशन Z (Gen Z) के युवाओं द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को दबाव में ला दिया है. इन प्रदर्शनों में हुई हिंसा के बाद पीएम ने पहली बार सार्वजनिक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया बैन के लिए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए इसे केवल 'संविधान की रक्षा' के रूप में पेश किया है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 9 Sept 2025 11:05 AM IST

Nepal Lift Social Media Ban: नेपाल में सोशल मीडिया पर से प्रतिबंध को हटा लिया है. इसके बावजूद इसको लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. इसके बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इंटरनेट सेवा पर से बैन हटाने के बाद पहला बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि देश में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ के लिए 'निहित स्वार्थी' तत्व शामिल हैं. उन्होंने बवाल के लिए उन्हीं को जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया बैन के विरोध के दौरान हिंसक घटनाएं सामान्य नहीं है. इस घटना ने कई लोगों की जान ले ली. ओली ने कहा कि उनकी सरकार सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने का समर्थन करती है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य विनियमन है, पूर्ण प्रतिबंध नहीं है.

देश विरोधी कार्य स्वीकार्य नहीं

प्रधानमंत्री ओली ने इस संकट के बीच पहली बार बयान दिया है, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया बैन को संविधान की रक्षा के रूप में  पेश किया है. उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी हमेशा अहंकार और समाज में फैली बुराइयों का विरोध करती रही है. जो भी कार्य राष्ट्र की संप्रभुता और गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं, उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा."

गृह मंत्री के इस्तीफे से ओली पर बढ़ा दबाव

इस बीच नेपाल के गृह मंत्री ने हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है, जिससे प्रधानमंत्री ओली पर भी इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है. विपक्षी दलों और युवाओं ने ओली से इस्तीफे की मांग की है. जबकि सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना की मदद ली है.

हिंसा की जांच शुरू

दरअसल, नेपाल सरकार ने 28 अगस्त को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पंजीकरण के लिए सात दिनों का समय दिया था, लेकिन अधिकांश कंपनियों ने इसे नजरअंदाज किया. इसके बाद 5 सितंबर 2025 को सरकार ने 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया. इस फैसले के खिलाफ युवाओं ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जिसमें पुलिस की गोलीबारी में 20 से अधिक लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए. इस हिंसा के बाद सरकार ने प्रतिबंध वापस ले लिया और हिंसा की जांच के लिए समिति गठित की.

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