27204 KM की रफ्तार से पृथ्वी के करीब आ रहा विमान जितना बड़ा एस्टेरॉयड, मची हलचल, नासा-ISRO की नजर
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार 30 जुलाई को एक 110 फुट लंबा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा. इसको लेकर दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए हलचल मची है. NASA की नजर क्षुद्रग्रह के चट्टान पर टिकी है, जो विमान जितना बड़ा है. वैज्ञानिक सतर्क हैं, जबकि इससे खतरे की आशंका न के बराबर है.;
दुनिया के सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने 30 जुलाई के लिए एक चेतावनी जारी की है. नासा की ओर से जारी अलर्ट के मुताबिक 30 जुलाई को एक 110 फुट लंबा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरने वाला है. NASA की नजर इस अंतरिक्ष चट्टान पर टिकी है. वैज्ञानिक सतर्क हैं लेकिन टकराव की आशंका नहीं है. इसरो के वैज्ञानिकों की भी इसकी गतिविधि पर पैनी नजर रहेगी.
नासा के मुताबिक क्षुद्रग्रह 2025 OL1 30 जुलाई को पृथ्वी के पास से गुजरेगा. यह चट्टान लगभग 110 फुट चौड़ी है. लगभग एक यात्री विमान के आकार की है. इस हफ्ते एक अंतरिक्ष मेहमान हमारी ओर बढ़ रहा है. हालांकि, इससे कोई खतरा नहीं है. फिर भी इसकी नजदीकी की वजह से दुनिया भर के स्काई लवर्स और वैज्ञानिक इस पर अपनी नजर टिकाए हुए हैं.
नासा के अनुसार एस्टेरॉयड पृथ्वी से 1.29 मिलियन किलोमीटर के दायरे में आएगा और लगभग 27,204 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ेगा. यह दूरी सुरक्षित लग सकती है, लेकिन अंतरिक्ष के लिहाज से यह ट्रैक करने के लिए काफी नजदीक है.
नासा के अधिकारियों का कहना है कि एस्टेरॉयड को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है. यह क्षुद्रग्रह इतना बड़ा या नजदीक नहीं है कि उसे खतरनाक माना जाए. खतरनाक घोषित होने के लिए किसी वस्तु का 7.4 मिलियन किलोमीटर के दायरे में आना और कम से कम 85 मीटर चौड़ा होना जरूरी है. 2025 OL1 दोनों ही मामलों में कमजोर है.
फिर भी अंतरिक्ष वैज्ञानिक सतर्क हैं. किसी क्षुद्रग्रह की कक्षा में छोटा सा बदलाव भी मायने रख सकता है. एक छोटा सा धक्का, समय के साथ, किसी पिंड को पृथ्वी के करीब ला सकता है. इसीलिए 2025 OL1 जैसे कम जोखिम वाले अंतरिक्ष पिंडों पर भी कड़ी नजर रखी जाती है.
इस घटना का क्या महत्व है?
ऐसे निकट-मुहावरे वाले क्षुद्रग्रह वैज्ञानिकों को सौरमंडल की गतिविधियों को समझने में मदद करते हैं. इनका अध्ययन भविष्य में संभावित खतरों की पूर्व चेतावनी और रक्षा तकनीक के विकास के लिए बेहद जरूरी माना जाता है.
ISRO भी अलर्ट
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO भी अब इन खबरों को लेकर गंभीर है. एजेंसी के प्रमुख एस. सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि भारत को भविष्य की किसी भी अंतरिक्ष आपदा के लिए तैयार रहना होगा. ISRO खासकर Apophis जैसे विशाल एस्टेरॉयड पर नजर रख रहा है, जो 2029 में बेहद करीब से धरती के पास से गुजरेगा. ISRO अब NASA, ESA (यूरोप), और JAXA (जापान) जैसी वैश्विक एजेंसियों के साथ मिलकर एस्टेरॉयड डिटेक्शन और डिफ्लेक्शन तकनीक पर भी काम कर रहा है.
वैज्ञानिकों के लिए सुनहरा मौका
खगोलीय घटना के लिहाज से ‘2025 OL1’ का पृथ्वी के करीब आना वैज्ञानिकों के लिए बेहतरीन अवसर है. ऐसे नजदीक फ्लाईबॉय वैज्ञानिकों को एस्टेरॉयड की संरचना, गति और गुरुत्वाकर्षण पर इसके प्रभाव को समझने में मदद करते हैं.