आसिम मुनीर ने दिए थे आतंकियों के जनाजे में पाक सेना के शामिल होने के आदेश, जैश कमांडर के खुलासे ने खोली ना-पाक की पोल

ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर कमांडरों के कबूलनामों ने पाकिस्तान की हकीकत उजागर कर दी है. वीडियो में पाक सेना अधिकारियों की आतंकियों के जनाज़े में मौजूदगी और सरकार द्वारा फंडिंग की बात सामने आई है. जानें कैसे पाकिस्तान की दोहरी नीति अब दुनिया के सामने बेनकाब हो गई.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 18 Sept 2025 8:05 AM IST

भारत के खिलाफ साज़िश रचने वाले आतंकी संगठन और उन्हें बढ़ावा देने वाले तंत्र का पर्दाफाश अब खुलकर सामने आ गया है. जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर इलियास कश्मीरी और लश्कर के डिप्टी सैफुल्लाह कसूरी द्वारा वायरल हुए वीडियोज़ ने न सिर्फ संगठन की दिलों दहला देने वाली बातें बताई हैं, बल्कि उन आरोपों को भी हवा दी है जिनमें पाकिस्तान की सेना और सरकार की सीधी संलिप्तता का संकेत मिलता है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुए नुकसान को लेकर जो बातें कबूली हैं वो बताते हैं कि जो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नकारता रहा, असलियत में वह कुछ और ही है. वह खुद ही आतंकियों के जनाजे में शामिल होने की इजाजत देता है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को शांति समर्थक बताता है.

जनाज़े में सेना की भागीदारी थी

वायरल वीडियो में जैश कमांडर इलियास कश्मीरी ने दावा किया कि बहावलपुर के जनाज़ों पर पाकिस्तान हेडक्वार्टर (GHQ) ने सीधे आदेश दिए थे और स्पेशल फौजी अधिकारी कोर कमांडर्स को उस अंतिम संस्कार में मौजूद रहने का निर्देश दिया गया था. उनके अनुसार यह आदेश तब दिया गया जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकियों के परिवार के सदस्य मारे गए थे. ये दावे बताते हैं कि किस तरह से पाकिस्तान के उच्च स्तर के अधिकारी आतंकवादियों की कब्र पर जार जार आंसू बहाने गए थे.

भारत के खिलाफ साजिश रचता था मसूद अजहर

इलियास ने अपने बयान में मास्टरमाइंड मसूद अजहर का नाम लेते हुए स्वीकार किया कि अजहर ने भारत में बड़ी साजिशें रचीं और उसके बाद बहावलपुर जैसी जगहों ने उसे ‘कार्य स्थल’ मुहैया कराया. उन्होंने यह भी कहा कि अजहर की गतिविधियों ने दिल्ली और मुंबई तक निशाना बनाया. यह कबूल न केवल जैश के दायरे का संकेत है बल्कि यह भी बताता है कि जिन ठिकानों को पाकिस्तान समय-समय पर नकारता रहा, वे कितनी बड़ी योजनाओं का केंद्र रहे.

डैम को बनाया जा सकता है निशाना

इसी क्रम में लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी सैफुल्लाह कसूरी का जो वीडियो सामने आया है, उसमें उन्होंने न सिर्फ भारत को धमकियाँ दीं बल्कि साफ कहा कि पाकिस्तान सरकार और सेना संगठन को फिर से अपना मुख्यालय बहाल करने के लिए पैसों और मदद दे रही है. कसूरी ने यह भी ऐलान किया कि वे जुस्टिस या बदले में भारत के इलाके और जल संसाधनों को निशाना बना सकते हैं. ऐसे बयान सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति के लिए बेहद गंभीर संकेत हैं.

पाकिस्तान के दावे हुए खोखले

पिछले महीनों में बहावलपुर में सेना अधिकारियों की मौजूदगी की तस्वीरें प्रकाशित हुईं तो पाकिस्तान ने इंकार किया, अब इन आतंकी नेताओं के बयान ने पाकिस्तान के दावों को खोखला कर दिया है. इससे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और FATF व अन्य निगरानी संस्थाओं के समक्ष नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं. खासकर तब जब दावा यह हो कि आतंकवादी ठिकानों का पुनर्निर्माण भी सरकारी मदद से हो रहा है.

आतंकवाद बर्दाश्त नहीं: भारत

ऑपरेशन सिंदूर के समय भारत ने स्पष्ट संदेश दिया था कि आतंकवाद के किसी भी गढ़ को वह स्वीकार नहीं करेगा. अब कमांडरों की कबूलियां इस रणनीति की वैधता को पुष्ट करती हैं और साथ ही यह भी बता रही हैं कि आगे की कूटनीतिक और सुरक्षा रणनीतियों में कई नई चौखटें जुड़नी होंगी. चाहे वह कूटनीति हो, सीमा-सेक्योर्ड मोबिलाइज़ेशन हो या अंतरराष्ट्रीय कानूनी कदम.

आतंकियों के बयान से खुली पोल

इलियास और कसूरी के बयानों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि किस हद तक पाकिस्तान अपनी ज़मीन पर सक्रिय आतंकवादी तत्वों की उपस्थिति और उनकी गतिविधियों के प्रति जवाबदेह है. इस मुद्दे पर पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग अब और तेज होगी. न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक समुदाय भी इस पर ध्यान देगा. अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, निगरानी संस्थाएँ और क्षेत्रीय साझेदार मिलकर यह तय करें कि आगे किस तरह संस्थागत दबाव और कानूनी कार्रवाई के जरिए असलियों को जवाबदेह ठहराया जाए.

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