अमेरिकी रिपोर्ट ने ही खोली F-35 की पोल, क्या अब भारत खरीदेगा लड़ाकू विमान?

अमेरिकी रिपोर्ट में F-35 लड़ाकू विमान की बढ़ती लागत और घटती उपलब्धता पर चिंता जताई गई है. ट्रंप द्वारा भारत को F-35 सौदे की पेशकश के बीच, यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण है. रक्षा विभाग की योजना 2088 तक इन विमानों का उपयोग जारी रखने की है, लेकिन लागत और विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठ रहे हैं.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 15 Feb 2025 5:12 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को पांचवीं पीढ़ी के F-35 लड़ाकू विमानों की पेशकश के बाद, एक अमेरिकी रिपोर्ट ने विमान के प्रदर्शन और लागत को लेकर पोल खोल दी है. यूनाइटेड स्टेट्स गवर्नमेंट अकाउंटेबिलिटी ऑफिस (GAO) के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में F-35 बेड़े की उपलब्धता में गिरावट आई है. इसके सभी वेरिएंट (F-35A, F-35B, F-35C) अपनी उपलब्धता लक्ष्यों को पूरा नहीं कर रहे हैं.

GAO अमेरिकी कांग्रेस के लिए ऑडिटिंग और मूल्यांकन सेवाएं प्रदान करने वाली एक स्वतंत्र सरकारी एजेंसी है. इसे ‘कांग्रेसी निगरानी संस्था’ के रूप में भी जाना जाता है. इसका नेतृत्व अमेरिका के नियंत्रक जनरल करते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है. अप्रैल 2024 में जारी एक रिपोर्ट में, GAO ने F-35 कार्यक्रम से जुड़ी कई चुनौतियों को उजागर किया गया था.

सबसे उन्नत और महंगा हथियार सिस्टम

रिपोर्ट के अनुसार, F-35 विमान अमेरिकी रक्षा विभाग (DOD) का सबसे उन्नत और महंगा हथियार सिस्टम है. वर्तमान में, DOD के पास 630 F-35 विमान हैं और 1,800 और खरीदने की योजना है. रक्षा विभाग का अनुमान है कि इन विमानों को 2088 तक उपयोग में रखा जाएगा. हालांकि, F-35 बेड़े को बनाए रखने की लागत 2018 के $1.1 ट्रिलियन से बढ़कर 2023 में $1.58 ट्रिलियन हो गई है, जबकि विमान की विश्वसनीयता अपेक्षा से कम बनी हुई है.

बजट पर डाल रहा बोझ

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वायु सेना, नौसेना और मरीन कॉर्प्स, तीनों सैन्य शाखाएं, F-35 के मूल रूप से तय किए गए उड़ान घंटों से कम उपयोग कर रही हैं. इसके अलावा, वायु सेना ने प्रति विमान वार्षिक परिचालन लागत को 4.1 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 6.8 मिलियन डॉलर कर दिया है, जो कि बजट पर अतिरिक्त बोझ डाल रहा है. रक्षा विभाग ने लागत कम करने के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इनसे विमान की कुल संचालन लागत में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा. GAO ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रक्षा विभाग ने F-35 कार्यक्रम में सुधार के लिए 43 सिफारिशें की थीं, जिनमें से 30 अब तक लागू नहीं की गई हैं.

भारत के लिए रिपोर्ट है फायदेमंद

रक्षा विभाग की योजना 2088 तक F-35 का उपयोग जारी रखने और इसके अधिग्रहण व रखरखाव पर 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च करने की है. GAO की वार्षिक समीक्षा में यह आकलन किया जाता है कि क्या रक्षा विभाग इस लागत को नियंत्रित करने में सक्षम है? रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भविष्य में F-35 बेड़े की सामर्थ्य बनाए रखने के लिए नई रणनीतियों की आवश्यकता होगी. भारत के लिए यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि F-35 सौदे को स्वीकार किया जाता है, तो इसकी लागत और प्रदर्शन संबंधी मुद्दों पर विचार करना आवश्यक होगा. इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि अत्याधुनिक तकनीक के बावजूद, F-35 कार्यक्रम में अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं.

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