उत्तरकाशी आपदा : ISRO की सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ बड़ा खुलासा, वैज्ञानिकों ने बताए विनाश के चौंकाने वाले संकेत

अब भी वैज्ञानिक इस बात की पक्की वजह खोजने की कोशिश कर रहे हैं कि यह अचानक आई बाढ़ कैसे हुई. पहले अंदाजा लगाया जा रहा था कि ऊपरी पहाड़ी इलाकों में बादल फटने के कारण ये बाढ़ आई, लेकिन फिलहाल इस अनुमान को साबित करने के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध नहीं है.;

( Image Source:  X : @theinformant_x )
Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 27 Sept 2025 1:03 PM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हाल ही में आई भयानक बाढ़ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस विनाशकारी आपदा की वजह जानने के लिए वैज्ञानिक और सरकारी एजेंसियाँ लगातार जांच में जुटी हुई हैं। इसी सिलसिले में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी नई सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से बाढ़ के बाद की स्थिति और नुकसान का डिटेल्ड एनालिसिस किया है.

इसरो के कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट द्वारा 7 अगस्त को ली गई हाई क्वालिटी वाली तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि धराली गांव में, जहां खीरगाड़ धारा भागीरथी नदी में मिलती है, वहां एक विशाल क्षेत्र में मिट्टी, पत्थरों और मलबे का जमाव फैल गया है. यह क्षेत्र लगभग 20 हेक्टेयर (करीब 750 मीटर लंबा और 450 मीटर चौड़ा) है। यह पूरा इलाका बाढ़ के बाद बुरी तरह तबाह हो गया है.

तबाही की पहले की तस्वीरों तुलना 

इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC), हैदराबाद द्वारा की गई इस जांच में 7 अगस्त की बाढ़ के बाद की तस्वीरों की तुलना 13 जून की साफ मौसम वाली पुरानी तस्वीरों से की गई. इस तुलना से यह स्पष्ट हो गया कि इस क्षेत्र में किस पैमाने पर तबाही मची है. बाढ़ के बाद न केवल नदी की दिशा बदली है, बल्कि धाराएं भी चौड़ी हो गई हैं, जिससे आसपास के घरों, पुलों, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है.

फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने में  मदद 

इसरो ने बताया कि धराली गांव में कई इमारतें या तो कीचड़ और मलबे में पूरी तरह दब गई हैं या बह गई हैं. इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बाढ़ कितनी तेज और भयानक रही होगी. ये तस्वीरें वर्तमान में चल रहे खोज और बचाव अभियानों में मदद कर रही हैं ताकि फंसे हुए लोगों तक तेजी से पहुंचा जा सके और जिन इलाकों का संपर्क कट गया है, उन्हें फिर से जोड़ा जा सके.

आपदा को लेकर तैयार रिपोर्ट 

हालांकि, अब भी वैज्ञानिक इस बात की पक्की वजह खोजने की कोशिश कर रहे हैं कि यह अचानक आई बाढ़ कैसे हुई. पहले अंदाजा लगाया जा रहा था कि ऊपरी पहाड़ी इलाकों में बादल फटने के कारण ये बाढ़ आई, लेकिन फिलहाल इस अनुमान को साबित करने के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध नहीं है. इस बीच, उत्तर प्रदेश की एक भू-अवलोकन और डेटा विश्लेषण कंपनी सुहोरा टेक्नोलॉजीज ने भी इस आपदा को लेकर अपनी जांच रिपोर्ट शेयर की है. उन्होंने कहा कि यह बाढ़ किसी ग्लेशियर झील (Glacial Lake) के फटने से नहीं हुई, जिसे आमतौर पर ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) कहा जाता है. सुहोरा टेक्नोलॉजीज ने इसरो की तस्वीरों की तुलना अपने ग्लेशियर झीलों की सूची से की और बताया कि धराली गांव के ऊपर की ओर कोई ग्लेशियर झील मौजूद नहीं थी. 

6 से अधिक मौत कई लोग लापता  

इस कंपनी ने 5 अगस्त की रात 11:01 बजे सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) से ली गई तस्वीरों के जरिए घटना की लगभग वास्तविक समय (real-time) में निगरानी की. इस तकनीक की मदद से बाढ़ की सही जानकारी और समय पर विश्लेषण संभव हो सका, जिससे बचाव कार्यों में तेजी लाई जा सकी. बाढ़ ने धराली और हरसिल जैसे सुंदर हिमालयी गांवों को बुरी तरह प्रभावित किया है. तेज बहाव में घर, दुकानें, पुल और सड़कें सब कुछ बह गए. अब तक 6 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और कई लोग अभी भी लापता हैं. पानी की बड़ी लहरों ने जो भी सामने आया, उसे अपने साथ बहा लिया. बारिश का सिलसिला अभी भी थमा नहीं है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अनुमान जताया है कि इस क्षेत्र में 11 अगस्त तक भारी बारिश जारी रह सकती है, क्योंकि दक्षिण-पश्चिम मानसून इस समय पूरे उत्तराखंड में सक्रिय है। लगातार बारिश और खराब मौसम के चलते राहत और बचाव कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. 

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