एक आदेश, 50 हजार जिंदगियां, हल्द्वानी अतिक्रमण केस में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी नजरें; लोग बोले- हमारी गर्दन पर तलवार...
हल्द्वानी अतिक्रमण केस में 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है. इस फैसले पर 50 हजार लोगों की उम्मीदें टिकी हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनको सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है और कोर्ट ऐसा कोई फैसला नहीं करेगा जिससे इतने सारे लोगों को एकसाथ घर छोड़ना पड़े.;
उत्तराखंड के हल्द्वानी में सालों से बसे हजारों परिवार इन दिनों गहरे असमंजस और चिंता के दौर से गुजर रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर चल रहा विवाद अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है, जहां करीब 50,000 लोगों का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तय होने वाला है.
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इस संवेदनशील मामले ने न केवल स्थानीय प्रशासन ही नहीं बल्कि पूरे राज्य का ध्यान अपनी ओर खींचा है. एक ओर रेलवे और सरकार जमीन को अपनी बताते हुए अतिक्रमण हटाने पर अड़े हैं, वहीं दूसरी ओर दशकों से वहां रह रहे लोग खुद को बेघर होने की आशंका से जूझता हुआ पा रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
हल्द्वानी में बड़ी संख्या में घर, दुकानें और अन्य ढांचे ऐसी जमीन पर बने हुए हैं, जिसे भारतीय रेलवे अपनी संपत्ति बता रहा है. रेलवे और सरकार का कहना है कि यह जमीन रेलवे के रिकॉर्ड में दर्ज है और इस पर बना निर्माण अवैध है, इसलिए इसे हटाया जाना चाहिए.
हाईकोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
इस विवाद में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने साल 2022 में बेदखली का आदेश जारी किया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद इलाके में रहने वाले लोगों में भारी डर और असंतोष फैल गया. प्रभावित परिवारों ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद से मामला शीर्ष अदालत में लंबित है.
स्थानीय लोगों की दलील
स्थानीय निवासियों का दावा है कि वे कई दशकों से इस इलाके में रह रहे हैं और उनके पास ऐसे दस्तावेज और कागजात मौजूद हैं, जो उनके लंबे समय से यहां रहने की पुष्टि करते हैं. उनका कहना है कि अचानक उन्हें अतिक्रमणकारी बताकर हटाना ठीक नहीं होगा. एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि सरकार से कौन लड़ सकता है अगर वे हमें जाने के लिए कहेंगे तो हम चले जाएंगे. हमारी गर्दन पर तलवार लटकी है. लेकिन हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है.
फैसले से पहले हाई अलर्ट
मामले की सुनवाई कई बार टल चुकी है, लेकिन अब 16 दिसंबर को फैसले की संभावना जताई जा रही है. इसी को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में भारी पुलिस और सुरक्षा बल तैनात कर दिया है, ताकि किसी भी तरह की अशांति या तनाव की स्थिति से निपटा जा सके.