UCC में संशोधन! अब आसानी से कर पाएंगे मैरिज रजिस्ट्रेशन; जानें नेपाल, भूटान और तिब्बती लोगों को कैसे मिलेगा फायदा?
उत्तराखंड में UCC यानी समान नागरिक संहिता में बड़ा संशोधन किया गया है, जिससे नेपाल, भूटान और तिब्बती मूल के लोगों के लिए विवाह पंजीकरण अब आसान हो गया है. पहले आधार कार्ड की वजह से ये लोग दिक्कत में थे, लेकिन अब नए नियमों के तहत वे अपने देश के प्रमाणपत्र या वैध रजिस्ट्रेशन दस्तावेज से शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे.;
उत्तराखंड में UCC कानून लागू हो गया है, जिसके बाद काफी कुछ बदला. अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने इस कानून के तहत एक नया संशोधन किया है. जहां हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में 8 बड़े प्रस्तावों को मंजूरी मिली. इनमें सबसे चर्चित निर्णय समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत मैरिज रजिस्ट्रेशन सिस्टम में संशोधन का रहा.
यह बदलाव खासतौर पर नेपाल, भूटान और तिब्बती मूल के नागरिकों की पुरानी समस्या को सुलझाने के लिए किया गया है कि एक समस्या जो लंबे समय से दस्तावेज़ी अड़चनों के कारण अनसुलझी थी.
आधार कार्ड की मुश्किल
UCC के नियमों में पहले मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड जरूरी था, लेकिन सीमा से सटे जिलों पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी और उधमसिंह नगर में रहने वाले नेपाल, भूटान और तिब्बत से आए कई नागरिकों के पास भारतीय आधार कार्ड नहीं होता है. नतीजतन, शादी के रजिस्ट्रेशन का सपना कई घरों में अटका रह जाता था. सालों से इन परिवारों के कानूनी दस्तावेज़ अधूरे रहते, जिससे सामाजिक रिश्तों का सरकारी मान्यता पाना कठिन हो जाता.
नया संशोधन- नई उम्मीद
अब राज्य सरकार ने इन समुदायों के लिए रास्ता आसान कर दिया है. नेपाल और भूटान के नागरिक अपने देश का नागरिकता प्रमाणपत्र दिखाकर शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे.अगर वे भारत में 182 दिन से अधिक समय से रह रहे हैं, तो भारत स्थित नेपाली मिशन या रॉयल भूटानी मिशन द्वारा जारी प्रमाणपत्र भी मान्य होगा. तिब्बती मूल के नागरिक विदेशी पंजीकरण अधिकारी द्वारा जारी वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र को आधार की तरह इस्तेमाल कर सकेंगे.
सामाजिक रिश्तों को मिला अधिकार
उत्तराखंड की नेपाल और तिब्बत से लगी सीमाएं सिर्फ नक्शे में नहीं, बल्कि जीवन में भी गहरी जुड़ी हुई हैं. गांव-गांव में अंतरदेशीय विवाह आम हैं, जिनसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भाईचारे का रिश्ता मज़बूत हुआ है. पहले कानूनी अड़चनों में फंसी शादी की पंजीकरण प्रक्रिया अब इस संशोधन के साथ तेज़ और सरल हो जाएगी. यह बदलाव न सिर्फ प्रशासनिक राहत है, बल्कि यह सीमाओं पर बसे समुदायों के दिलों को भी जोड़ने वाला कदम है. शादी की कानूनी मान्यता अब उनके सामाजिक सम्मान में चार चांद लगाएगीऔर रोटी-बेटी के रिश्ते की कहानी अब कागज़ों पर भी पूरी होगी.