कर्ज में ले डूबी ऑनलाइन गेम की लत! हल्द्वानी में जहर खाकर 12वीं के छात्र ने खत्म की जिंदगी

हल्द्वानी में पर 12वीं कक्षा के छात्र ने गेम के चक्कर में कर्ज में डूब गया और फिर सुसाइड कर लिया. इस चक्कर में वह कई बार गेम हार जाता था. उस पर धीरे-धीरे कर्ज बढ़ता चला गया आखिर में तंग आकर उसने जहर खा लिया. हालत खराब होने पर उसे रुद्रपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.;

( Image Source:  Meta AI )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 5 Dec 2025 6:04 PM IST

Haldwani News: आज के इिजिटल दौर में बच्चे बाहर खेलने की जगह घंटों मोबाइल पर गेम खेलते हैं. युवा अपने दिन का ज्यादातर समय ऑनलाइन गेमिंग में लगा रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और सेहत पर असर देखने को मिल रहा है. कई बार गेमिंग के चक्कर में बच्चे लाखों उड़ा देते हैं. ऐसा ही एक मामला हल्द्वानी से सामने आया है. जहां पर 12वीं कक्षा के छात्र ने गेम के चक्कर में कर्ज में डूब गया और फिर सुसाइड कर लिया.

जानकारी के अनुसार 12वीं क्लास में पढ़ने वाला सागर (18) एक साल से ऑनलाइन गेम में पैसे लगा रहा है. इस चक्कर में वह कई बार गेम हार जाता था. उस पर धीरे-धीरे कर्ज बढ़ता चला गया आखिर में तंग आकर उसने जहर खा लिया. हालत खराब होने पर उसे रुद्रपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.

गेम की लगी थी लत

परिजनों ने मृतक सागर के बारे में बताया कि उसे ऑनलाइन गेम की लत लगी थी. वह घंटों मोबाइल पर गेम खेलता रहता था. जब वह कर्ज में डूबा तो ऐसा कदम उठा लिया. सागर की मौत के पूरा परिवार सदमे में है. उसके चाचा ने बताया कि सागर को परिवार ने ऑनलाइन गेम न खेलने की सलाह दी थी. इस पर उसने कहा, ठीक है मैं नहीं खेलूंगा. लेकिन उसने बाद में खेल खेलना बंद नहीं किया. चाचा ने कहा कि वह पिछले कुछ महीने से टेंशन में रहता था. जानकारी के अनुसार सागर तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा था.

सरकार ने दी पैरेंट्स और टीचर्स को सलाह

ऑनलाइन गेमिंग की वजह से बच्चों पर कई तरह का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. अब केंद्र सरकार ने राज्यसभा को सोशल मीडिया पर बच्चों की ऑनलाइन गेम की लत को दूर करने के बारे में सलाह दी है. शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि ऑनलाइन गेम खेलने से गेमिंग की एक बुरी लत लग जाती है, जिसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में माना जाता है. बिना किसी प्रतिबंध और स्व-निर्धारित सीमाओं के ऑनलाइन गेम खेलने से कई यूजर्स को लत लग जाती है और आखिर में गेमिंग डिसऑर्डर का इलाज किया जा सकता है. डॉक्टर्स का कहा है कि गेम खेलने की वजह से बच्चों की आंखों की रोशनी कम होना आम बात है. वहीं मोटापा, डिप्रेशन और अकेलापन जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं.  

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