बहराइच हिंसा के पीछे किसकी साजिश, पुलिस-प्रशासन की नाकामी पर उठ रहे सवाल; देर रात भी हुई हिंसा
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान शुरू हुई हिंसा रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। उपद्रवियों ने सोमवार को ग्रामीणों के मकान, दुकान, संपत्ति, ट्रैक्टर और बाइक शोरूम को भी आग के हवाले कर दिया। क्षेत्र में अभी भी इंटरनेट बंद है।;
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान शुरू हुई हिंसा रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। उपद्रवियों ने सोमवार को ग्रामीणों के मकान, दुकान, संपत्ति, ट्रैक्टर और बाइक शोरूम को भी आग के हवाले कर दिया। वहां के लोग आंखों के सामने घरों को जलता हुआ देख रहे थे। क्षेत्र में अभी भी इंटरनेट बंद है।
ये हिंसा यही नहीं रुकी। हालात को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात थी। फिर भी उपद्रवियों ने नकवा गांव में देर रात धार्मिक स्थल को तोड़ दिया और आग लगाने की कोशिश भी की। हालांकि पुलिस की टीम मौके पर पहुंची तो हालात पर काबू पा लिया गया। इसे लेकर पुलिस प्रशासन पर सवाल उठ रहा है कि आखिर उन्होंने समय रहते इसपर काबू क्यों नहीं किया?
दो दिन से जल रहा 20 किमी का क्षेत्र
इस हिंसा की आग में करीब 20 किमी का क्षेत्र जल रहा है। इन क्षेत्रों में रामपुरवा चौकी, महाराजगंज और महसी तहसील आता है। इन क्षेत्रों में अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात हैं। दो दिन से स्कूल-कॉलेज और बाजार सभी बंद हैं। बहराइच में यूपी पुलिस के बड़े अधिकारियों ने कैंप लगा रखा है। इंटरनेट सेवाएं भी कल तक के लिए बंद हैं। इसके साथ ही हिंसा प्रभावित इलाकों में आधार कार्ड देखकर ही लोगों को एंट्री दी जा रही है।
साजिश का शक
हिंसा के बाद जब जांच टीम आरोपियों के छत की तलाशी ली तो उन्हें छत से ईंट, सरिया मिला। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बवाल की पहले से साजिश रची गई थी। फ़िलहाल बहराइच में 12 कंपनी पीएससी, 2 कंपनी सीआरपीएफ, 1 कंपनी आरएएफ और गोरखपुर ज़ोन की पुलिस फोर्स ने मोर्चा संभाल रखा है।
सवालों के घेरे में एसपी और डीएम
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन की नाकामी की वजह से ये हिंसा भड़की है। प्रतिमा विसर्जन के दिन सुरक्षा का इंतजाम नहीं था। हिंसा की कोई जानकारी भी नहीं थी। लोग जब शिकायत करने गए तो उसपर ही लाठीचार्ज कर दिया गया। यही हाल दूसरे दिन भी रहा, जिसकी वजह से ADG लॉ एंड ऑर्डर को सड़क पर उतरना पड़ा। आखिर कौन से कुंभकर्णी नींद में बहराइच पुलिस सो रही थी।
बवाल, तोड़फोड़ और आगजनी में पूरा पुलिस का खुफिया तंत्र फेल रहा। पुलिस के सामने ही लोगों ने घरों में आग लगा दी, गाड़ी और दुकानों में तोड़फोड़ की। फिर भी पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। इस मामले में हरदी थाने के प्रभारी निरीक्षक सुरेश कुमार वर्मा और संबंधित पुलिस चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया गया था। लेकिन सिर्फ पुलिसकर्मी को निलंबित कर देने से प्रशासन पल्ला नहीं झाड़ सकता। लापरवाही को लेकर क्यों नहीं एसपी और डीएम को सस्पेंड किया गया? इस पूरी घटना को लेकर एडीजी जोन से लेकर आईजी और एसपी बहराइच सवालों के घेरे में हैं।
बड़े अफसरों ने बरती लापरवाही
दुर्गा पूजा से पहले योगी आदित्यनाथ ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें जोन, रेंज और जिले के कप्तान शामिल हुए थे। सीएम ने मूर्ति विसर्जन को लेकर निर्देश दिए थे कि इस मामले में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। इस हिंसा ने सभी आदेश की धज्जियां उड़ा दी। अफसरों ने एक बार फिर लापरवाही और नाकामी से प्रदेश को दंगे की आग में जलने दिया।
देर रात फिर हुई तोड़फोड़
रात के करीब 10 बजे नकवा गांव में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ और आगजनी की घटना को अंजाम दिया। नकवा के ग्राम प्रधान ने बताया कि रात में करीब 10-15 लोग अचानक गांव पहुंचे और आगजनी करने लगे। साथ ही धार्मिक स्थल को भी तोड़ने की कोशिश की गई। जानकारी मिलने के बाद पहुंची पुलिस और पीएसी के जवानों ने हालात को काबू में किया। पुलिस को देखते ही उपद्रवी भाग गए। महसी के BDO हेमंत यादव ने बताया कि अभी गांव में 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं।
हत्यारों का हो एनकाउंटर: मृतक का भाई
हिंसा में मारे गए राम गोपाल मिश्रा के भाई किशन मिश्रा ने बताया कि जिस तरह से उनके भाई की हत्या की गई है, हत्यारों को भी वैसे ही एनकाउंटर होना चाहिए। जब उनके भाई को गोली लगी तब वह मौके पर मौजूद था। किशन ने बताया कि गोली मारने वालों को अपनी आंख से देखा है। प्लास से उसके नाखून उखाड़े गए हैं और एक नहीं 10-15 गोली मारी गई हैं। उन्हें मुख्यमंत्री योगी से पूरी उम्मीद है कि उनके परिवार को न्याय देंगे।