क्‍या है जापान की मियावाकी तकनीक, जिससे महाकुंभ के लिए तैयार किया गया है शुद्ध हवा देने वाला जंगल?

योगी सरकार ने महाकुंभ में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ हवा और स्वस्थ वातावरण देने के लिए कल्याणकारी काम किया है. सरकार ने घना जंगल बनाकर पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, प्रयागराज नगर निगम ने पिछले दो वर्षों में शहर भर में ऑक्सीजन बैंक स्थापित करने के लिए जापानी "मियावाकी तकनीक" का इस्तेमाल किया है.;

( Image Source:  canva )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 10 Jan 2025 4:18 PM IST

Miyawaki Technique Used In Mahakumbh: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है. लाखों की संख्या में लोग गंगा स्नान के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं. यूपी सरकार भी श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा प्रदान करने के लिए फैसले ले रही है. यूपी सरकार ने लोगों को शुद्ध हवा मिले इसके लिए जंगल का निर्माण किया है. इसे जापान की मियावाकी तकनीक से तैयार किया गया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, योगी सरकार ने महाकुंभ में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ हवा और स्वस्थ वातावरण देने के लिए कल्याणकारी काम किया है. सरकार ने घना जंगल बनाकर पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, प्रयागराज नगर निगम ने पिछले दो वर्षों में शहर भर में ऑक्सीजन बैंक स्थापित करने के लिए जापानी "मियावाकी तकनीक" का इस्तेमाल किया है.

क्‍या है जापानी मियावाकी तकनीक?

मियावाकी तकनीक को वर्ष 1970 में प्रसिद्ध जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था. यह सीमित स्थानों में घने जंगल बनाने की एक क्रांतिकारी विधि है. इसे अक्सर 'पॉट प्लांटेशन विधि' के नाम से भी जाना जाता है. इसमें पेड़ों और झाड़ियों को एक दूसरे के करीब लगाया जाता है ताकि उनकी वृद्धि में तेजी आए. इस तकनीक से पौधे 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं. यह विधि घनी रूप से लगाए गए देशी प्रजातियों के मिश्रण का उपयोग करके प्राकृतिक वनों की नकल करती है. यह मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करता है, जैव विविधता को बढ़ाता है और वन विकास में मदद करता है.

श्रद्धालुओं को मिलेगी साफ हवा

रिपोर्ट के मुताबिक, जापानी "मियावाकी तकनीक" से प्रदेश में हरियाली चलाने का प्रयास किया जा रहा है. इन प्रयासों से हरे-भरे स्थान विकसित हुए हैं जो न केवल शहर की हरियाली को बढ़ाते हैं बल्कि वायु गुणवत्ता और पर्यावरण संतुलन को बेहतर बनाने में भी योगदान देते हैं. प्रयागराज नगर निगम के आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने बताया इस संबंध में जानकारी दी. गर्ग ने बताया कि निगम ने 10 से ज्यादा जगहों पर पेड़ लगाए हैं, जो 55,800 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैले हैं. 

नैनी औद्योगिक क्षेत्र में 63 प्रजातियों के लगभग 1.2 लाख पेड़ लगाए गए हैं. यह सबसे बड़ा जंगल माना जा रहा है. 27 प्रजातियों के 27,000 पेड़ों से युक्त एक और प्रमुख वृक्षारोपण ने बसवार कचरा डंपिंग यार्ड को हरे-भरे विस्तार में बदल दिया है. गर्ग ने कहा कि यह पहल न केवल औद्योगिक कूड़े के निपटारे में मदद करती है, बल्कि शहर में वायु गुणवत्ता को बढ़ावा देते हुए धूल और गंध को भी कम करती है. ये जंगल पक्षियों और जानवरों के लिए आवास के रूप में काम करते हैं जबकि परिवेश के तापमान को 4 से 7 डिग्री सेल्सियस तक कम करते हैं. 

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