माता प्रसाद पाण्डेय से लेकर चंद्रशेखर तक, आखिर क्यों विपक्षी नेताओं को संभल जाने से रोक रही योगी सरकार?
Sambhal Violence: यूपी का संभल जिला इस समय सुर्खियों में छाया हुआ है. हिंसा प्रभावित इस जिले का आज सपा प्रतिनिधिमंडल दौरा करने वाला था, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी. इसकी क्या वजह है, आइए जानते हैं...;
Sambhal Violence News Latest Update: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सियासी पारा हाई बना हुआ है. समाजवादी पार्टी का एक डेलिगेशन आज संभल जाने वाला था, लेकिन पुलिस ने नहीं जाने दिया. इससे सपा भड़क गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पुलिस और सरकार पर जमकर हमला बोला है.
बता दें कि नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, 5 सांसद, 4 विधायक और तीन जिलाध्यक्ष आज संभल जाने वाले थे, लेकिन पुलिस ने नहीं जाने दिया. इस पर सपा ने आरोप लगाया है कि योगी सरकार प्रतिनिधिमंडल से डर गई है. सत्ता के इशारे पर पुलिस ने प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल को घर में नजरबंद कर दिया है. बीजेपी सरकार संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही हैं. वह संभल का सच छिपा रही है.
सपा प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन हैं शामिल?
प्रतिनिधिमंडल में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद लाल बिहारी यादव, सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल, सांसद हरेंद्र मलिक, रूचि वीरा, इकरा हसन, जियाउर रहमान बर्क, नीरज मौर्य, विधायक कमाल अख्तर, रविदास मेहरोत्रा, नवाब इकबाल महमूद, पिंकी सिंह यादव, संभल जिलाध्यक्ष असगर अली अंसारी, मुरादाबाद जिलाध्यक्, जयवीर सिंह यादव और बरेली जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप शामिल हैं.
'प्रतिबंध लगाना बीजेपी सरकार की नाकामी है'
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि प्रतिबंध लगाना बीजेपी सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है. ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार पहले ही लगा देती तो संभल में शांति और सौहार्द का माहौल नहीं बिगड़ता. उन्होंने कहा कि बीजेपी जिस तरह एक साथ पूरी कैबिनेट बदल देती है, उसी तरह उसे संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित कर देना चाहिए. इसके साथ ही उन पर किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए.
संभल में बाहरी व्यक्तियों के जाने पर रोक
संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने एक निर्देश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि संभल में 10 दिसंबर तक कोई भी बाहरी व्यक्ति नहीं आ सकता. उसे सक्षम अधिकारी की परमिशन लेनी जरूरी है. डीएम ने यह भी कहा कि अगर कोई भी सोशल मीडिया पर अफवाह या भड़काऊ पोस्ट करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
माता प्रसाद पाण्डेय ने उठाए सवाल
माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि हमें नियम के मुताबिक लिखित नोटिस मिलना चाहिए था, लेकिन नहीं मिला. उन्होंने सवाल उठाया कि जब न्याय आयोग और प्रेस के लोग वहां जा रहे हैं तो अगर हम भी चले जाएंगे तो क्या वहां अशांति पैदा हो जाएगी. सरकार जानबूझकर अपने कृत्यों पर पर्दा डालने के लिए हमें रोक रही है.
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि मेरे पास गृह सचिव संजय प्रसाद का फोन आया था. उन्होंने मुझसे संभल नहीं जाने का अनुरोध किया है. संभल के डीएम का भी फोन मेरे पास आया था. उन्होंने बताया कि जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक 10 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी गई है. इसलिए मैं अब सपा कार्यालय जाऊंगा और इस मुद्दे पर चर्चा करूंगा.
अब अखिलेश यादव खुद जाएंगे संभल
सपा डेलिगेशन के रोके जाने से नाराज अखिलेश यादव ने एलान किया है कि वे अब खुद संभल जाएंगे. उन्होंने कहा कि अब सपा प्रतिनिधिमंडल तो संभल जाएगा ही, मैं खुद भी संभल जाऊंगा. सपा पीड़ित परिवारों की मदद भी करेगी. बीजेपी सरकार ने हमारे दोनों नेता विरोधी दल को संभल नहीं जाने दिया. उन्होंने पुलिस पर लोगों को गालियां देने, धमकाने और गोलियां मारने का आरोप लगाया है.
सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने क्या कहा?
सपा सांसद हरेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि हमें संभल में राज्य सरकार और पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर भरोसा नहीं है. जब जिला प्रशासन घटना में शामिल है तो सरकार को अन्य माध्यमों से भी जांच करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि संभल की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे संभल में हालात बिगड़े और अगर उन्हें हमारे प्रतिनिधिमंडल के संभल दौरे से कोई दिक्कत है तो वे वीडियोग्राफी कराएं. अगर प्रशासन हमें इजाजत दे तो हम संभल जाएंगे.
सवा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने दी धमकी
सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, लेकिन हम सुबह ही घर से निकल गए थे. हम पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के आवास पर गए थे. हम मृतकों के परिवार से मिलने और उन्हें सांत्वना देने जा रहे हैं. हम घायलों से भी मिलेंगे. हमारा लक्ष्य वहां शांति बनाए रखना है. डीएम और एसएसपी को हटाया जाना चाहिए और हाईकोर्ट के न्यायाधीश के तहत जांच शुरू की जानी चाहिए. डीएम और एसएसपी लोगों को डरा रहे हैं और उन्हें अपने घरों से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. अगर हमें वहां जाने से रोका गया तो हम धरने पर बैठेंगे.
दिल्ली-गाजियाबाद सीमा पर रोके गए मोहिबुल्लाह नदवी
दिल्ली-गाजियाबाद सीमा पर सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस ने हमें रोका है. जब सर्वे किया जा रहा था तो यूपी पुलिस को धैर्य रखना चाहिए था. अब जब हम शांति की अपील करने और लोगों का हालचाल पूछने (संभल) जा रहे हैं, तो वे हमें रोक रहे हैं.
मौलाना तौकिर रजा को पुलिस ने रोका
सपा डेलिगेशन के पहले पुलिस ने मौलाना तौकिर रजा को भी संभल जाने से रोका था. तौकिर रजा इत्तेहाद-ए-मिल्लत कौंसिल (IMC) के प्रमुख हैं. वे 29 नवंबर को बरेली से संभल जाने के लिए निकले थे, लेकिन उन्हें सीबीगंज थाना क्षेत्र में गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, उन्हें एक घंटे बाद छोड़ दिया गया.
तौकिर रजा ने पुलिस पर पत्थर फिंकवाने और गोली चलाने का आरोप लगाया है. तौकिर रजा ने कहा कि दिल्ली और लखनऊ की सरकारों की आपसी लड़ाई में मुसलमान पिस रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली की सरकार यूपी में अपना सीएम बैठाना चाहती है.
चंद्रशेखर को भी पुलिस ने नहीं जाने दिया संभल
नगीना से सांसद चंद्रशेखर को पुलिस ने संभल नहीं जाने दिया. उन्हें हापुड़ में हिरासत में ले लिया गया.चंद्रशेखर हिंसाग्रस्त इलाके में जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, संभल की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताने वाली एक याचिका कोर्ट में दायर की गई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 19 नवंबर को जामा मस्जिद का सर्वे करने का निर्देश दिया. इसके बाद से ही वहां तनाव की स्थिति बनी हुई थी. जब 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वे करने के लिए टीम पहुंची तो हिंसा भड़क उठी. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 25 लोग घायल हो गए.
विपक्षी नेताओं को क्यों नहीं जाने दिया जा रहा संभल?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विपक्षी नेताओं को संभल इसलिए नहीं जाने दिया जा रहा है, क्योंकि सरकार को डर है कि कहीं फिर से हिंसा न भड़क उठे और जिले का माहौल तनावपूर्ण हो. पुलिस और सरकार को यह भी डर है कि कहीं ये नेता कुछ विवादित बयान न दे डाले, जिससे शांति का माहौल बाधित हो जाए.