उदय प्रताप कॉलेज भी वक्फ की संपत्ति! बोर्ड के नए दावे से वाराणसी में खड़ा हुआ नया विवाद
वक्फ संशोधन विधेयक की संसदीय समिति जांच कर रही है. यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के 6 साल पुराने नोटिस से शुक्रवार को नया बवाल सामने आया. इस नोटिस में दावा किया गया कि वाराणसी के 115 साल पुराने उदय प्रताप कॉलेज के परिसर में एक मस्जिद और उसकी जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया गया है. कॉलेज प्रबंधन ने सुन्नी बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए एक सप्ताह के अंदर नोटिस का तुरंत जवाब दिया था.

Varanasi News: देश भर में पिछले कुछ दिनों से मस्जिद और मंदिर को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है. अजमेर शरीफ की दरगाह पर शिव मंदिर दावा करने के बाद अब उत्तर प्रदेश में नया हंगामा खड़ा हो गया है. वाराणसी के एक कॉलेज परिसर में मस्जिद होने का दावा किया गया है.
जानकारी के अनुसार वक्फ संशोधन विधेयक की संसदीय समिति जांच कर रही है. यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के 6 साल पुराने नोटिस से शुक्रवार को नया बवाल सामने आया. इस नोटिस में दावा किया गया कि वाराणसी के 115 साल पुराने उदय प्रताप कॉलेज के परिसर में एक मस्जिद और उसकी जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया गया है.
नोटिस में कही ये बात
सुन्नी बोर्ड के द्वारा कॉलेज में मस्जिद होने का दावा करने के बाद, कॉलेज की ओर से बयान जारी किया गया. कॉलेज प्रबंधन ने सुन्नी बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए एक सप्ताह के अंदर नोटिस का तुरंत जवाब दिया था. लेकिन बीते दिन कॉलेज में भारी संख्या में मुस्लिम नमाज पढ़ने पहुंच गए, जिससे तनाव पैदा हो गया. TOI से बात करते हुए कॉलेज के एक स्टाफ ने बताया कि आमतौर पर कॉलेज परिसर के अंदर मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए 10-15 लोग आते हैं लेकिन आज 300 से ज्यादा लोग पहुंच गए.
मामले पर प्रसिंपल का बयान
कॉलेज के अधिकारियों ने नोटिस का जवाब देते हुए कहा, उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना 1909 में चैरिटेबल एंडोमेंट एक्ट के तहत की गई थी. कॉलेज में वर्तमान में 17,000 से अधिक छात्र हैं. वक्फ बोर्ड ने साल 2022 में मस्जिद पर निर्माण करने का प्रयास किया था, जिसे कॉलेज की शिकायत के बाद पुलिस ने रोक दिया था. कॉलेज के प्रिंसिपल डीके सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि मंदिर की बिजली आपूर्ति काट दी गई, क्योंकि वहां इस्तेमाल की जा रही बिजली कॉलेज से "अवैध रूप से चुराई गई" थी.
किसने भेजा नोटिस?
जानकारी के अनुसार प्रारंभिक नोटिस वाराणसी निवासी वसीम अहमद खान द्वारा भेजा गया था. जिनकी 2022 में मृत्यु हो गई. हालांकि वक्फ बोर्ड द्वारा कोई नया प्रयास नहीं किया गया था, लेकिन लोकसभा में पेश किए जाने वाले आगामी वक्फ संशोधन विधेयक के मद्देनजर यह मामला एक बार फिर चर्चा में आया है.