किसी ने कहा और हमने कह दी....चार साल पुराने विवाद पर अब इंद्रेश उपाध्याय ने यादव समाज से मांगी माफी

वृंदावन के प्रसिद्ध युवा कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय जी हाल ही में एक बड़े विवाद में घिर गए थे. वजह थी उनकी करीब 4-5 साल पुरानी एक भागवत कथा का क्लिप, जो सोशल मीडिया पर अचानक वायरल हो गया. इस वीडियो में उन्होंने यदुवंश और यादव समाज को लेकर कुछ ऐसी टिप्पणियां की थीं, जिन्हें यादव समाज ने अपने अपमान और भगवान श्रीकृष्ण के वंशज होने के गौरव पर चोट के रूप में लिया. यादव समाज के लोग इसे श्रीकृष्ण की वंशावली से जोड़कर बेहद आहत हुए और सोशल मीडिया पर कड़ा विरोध दर्ज कराया. कई लोगों ने इंद्रेश जी से सार्वजनिक माफी की मांग की, तो कुछ ने कानूनी कार्रवाई तक की चेतावनी दी.;

( Image Source:  Instagram: bhaktipath )
Edited By :  रूपाली राय
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वृंदावन के मशहूर कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय जी इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में हैं. वजह है उनका एक पुराना वीडियो, जो करीब चार-पांच साल पहले की किसी कथा का है. उस वीडियो में उन्होंने यदुवंश और यादव समाज को लेकर कुछ ऐसी बातें कही थीं, जिनसे यादव समाज के लोग बहुत आहत हो गए. लोगों का मानना था कि इससे भगवान श्रीकृष्ण के वंशज होने का उनका गौरव प्रभावित होता है और यह उनके लिए अपमानजनक है. 

इस वीडियो के तेजी से वायरल होने के बाद यादव समाज ने इसका कड़ा विरोध जताया. कई लोगों ने इंद्रेश उपाध्याय जी से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की. कुछ ने तो कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी. आखिरकार, दबाव बढ़ने पर इंद्रेश उपाध्याय जी ने एक नया वीडियो जारी करके यादव समाज से दिल से माफी मांग ली. 

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कथावाचक इंद्रेश ने मांगी माफ़ी 

अपने माफी वाले वीडियो में इंद्रेश ने बहुत ही विनम्र और भावुक अंदाज में कहा, 'सबसे पहले तो हमारे पूरे यादव समाज के सभी भाई-बहनों से मैं बहुत-बहुत क्षमा मांगता हूं. आप लोग एक बात से बहुत दुखी और आहत हो गए हैं. चार-पांच साल पहले की एक कथा में किसी राजघराने के एक व्यक्ति ने आकर हमें कुछ जानकारी दी थी, और हमने वो बात कह दी. उस समय भी किसी ने हमें समझाया तो अगली तीन-चार साल की कथाओं में हमने उस बात को स्पष्ट कर दिया कि ऐसा नहीं है. आज भी हम अपनी हर कथा में कहते हैं यादवपति यादव राय, यादवपति जगत राय, संतन सदा सहाय, जाके गुण गावें स्वामी परमानंद... जय जय राधे कृष्ण, राधे कृष्ण, राधे गोविंद हे कृष्ण, हे यादव, हे सखा.' 

किसी भी व्यक्ति को दुख पहुंचाना नहीं था

उन्होंने आगे कहा कि उनका इरादा कभी भी यादव समाज के किसी भी व्यक्ति को दुख पहुंचाना नहीं था. उनके बहुत सारे अच्छे मित्र और परिचित यादव समाज से ही हैं. हम सब एक हैं, आपस में अलग होने की कोई वजह नहीं है. कुछ शरारती और अराजक तत्व ऐसे काम करवाते हैं ताकि हम आपस में लड़ें और बंट जाएं।इंद्रेश जी ने बार-बार क्षमा मांगते हुए कहा, 'अगर मेरी उस बात से आपको ठेस पहुंची हो तो मैं फिर से क्षमा मांगता हूं. हम तो प्रेम और भक्ति के भाव से कथा करते हैं. विवादों में पड़ना हमारा स्वभाव कभी रहा ही नहीं. आप सब हमारे अपने हैं, पूरा भारत हमारा है, सब ठाकुर जी के हैं. इस बात को दिल में बिल्कुल न रखें हम सबको प्रणाम करते हैं जय श्री कृष्ण!.'

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