राम की नगरी में शर्मसार हुए रिश्ते! कैंसर पीड़िता बुजुर्ग को सड़क किनारे छोड़ गए परिजन, इलाज के समय हुई मौत | Video
यह सब हुआ रात करीब दो बजे, पूरी रात वह मां सड़क किनारे बेसहारा पड़ी रही अकेली, बीमार, असहाय. सुबह करीब 10 बजे दर्शन नगर चौकी की पुलिस को सूचना मिली. पुलिस मौके पर पहुंची और बुजुर्ग महिला को तत्काल दर्शन नगर मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया.;
यह वही अयोध्या है जहां एक पुत्र ने अपने पिता की मर्यादा के लिए राजगद्दी छोड़ दी थी. जहां भगवान राम ने महल की सुख-सुविधाएं त्याग कर 14 सालों तक वनवास को गले लगाया, ताकि पिता दशरथ के वचन की मर्यादा अक्षुण्ण रह सके. लेकिन आज उसी अयोध्या की धरती पर एक ऐसा दृश्य सामने आया है जिसने रिश्तों की गरिमा, इंसानियत और सभ्यता तीनों को एक साथ शर्मसार कर दिया है.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक वीडियो अयोध्या के दर्शन नगर मेडिकल कॉलेज के पास का है. रात के अंधेरे में, जब पूरा शहर नींद में था, उस समय एक ई-रिक्शा चुपचाप वहां आकर रुका. उसमें से दो महिलाएं और एक पुरुष उतरे. उनके साथ एक बुज़ुर्ग महिला भी थी उम्र ने जिसकी कमर झुका दी थी, और बीमारी ने चेहरा थका दिया था. तीनों ने उसे सड़क किनारे उतारा, बिना कुछ बोले. उनमें से एक महिला ने एक बार पलटकर बुजुर्ग मां का चेहरा देखा शायद आखिरी बार और फिर बिना किसी पछतावे के वहां से चले गए. उस वक्त न कोई आंसू थे, न कोई पछतावा... मानो एक बोझ उतार दिया गया हो.
मानवता को हिला देने वाली मौत
यह सब हुआ रात करीब दो बजे, पूरी रात वह मां सड़क किनारे बेसहारा पड़ी रही अकेली, बीमार, असहाय. सुबह करीब 10 बजे दर्शन नगर चौकी की पुलिस को सूचना मिली. पुलिस मौके पर पहुंची और बुजुर्ग महिला को तत्काल दर्शन नगर मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने उसकी हालत नाज़ुक बताई उसके गले में गहरा घाव था, जो प्रथम दृष्टया कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की ओर इशारा करता है. दुख की बात यह है कि इलाज शुरू होने से पहले ही वह मां दुनिया से रुख़सत हो गई. शाम तक उसने अंतिम सांसें ले ली अकेलेपन, दर्द और अपनों की बेवफाई के साथ.
अब तक नहीं मिली पहचान
चौकी प्रभारी जगन्नाथ मणि त्रिपाठी ने जानकारी दी कि महिला की सेवा मानवता के आधार पर की गई. पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली है, लेकिन रात का अंधेरा और कैमरे की दूरी इतनी अधिक थी कि ई-रिक्शा और उसमें बैठे लोगों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. पुलिस अब इस बुजुर्ग महिला की पहचान और उसके परिजनों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है. लेकिन जिस क्रूरता से उसे फेंका गया, उससे संदेह यही उठता है कि उसे जान-बूझकर ठिकाने लगाया गया जैसे कोई अनुपयोगी सामान सड़क पर फेंक दी जाती है.