'25 लाख भरो', इलाहाबाद HC ने 20 साल पुराने बाल विवाह को ठहराया अमान्य, समझें मामला
उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट से एक खबर सामने आई है. जहां कोर्ट ने एक कुटुंब अदालत के फैसले के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए, 2004 में 12 वर्षीय एक लड़के और नौ वर्षीय एक लड़की के बाल विवाह को अमान्य घोषित कर दिया है.;
देश में शादी के लिए कानूनन आयु की अवधि तय की गई है. शादी के दौरान लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होनी चाहिए. अगर शादी की तारीख पर दोनों में से किसी एक की भी उम्र कम हो तो ऐसी स्थिति में मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन सकता है. इस कड़ी में उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट से एक खबर सामने आई है. जहां कोर्ट ने एक कुटुंब अदालत के फैसले के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए, 2004 में 12 वर्षीय एक लड़के और नौ वर्षीय एक लड़की के बाल विवाह को अमान्य घोषित कर दिया है.
न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी.रमेश की पीठ ने गौतमबुद्ध नगर की एक कुटुंब अदालत के निर्णय के खिलाफ संजय चौधरी नाम के व्यक्ति की अपील पर यह आदेश पारित किया. अदालत में दायर मुकदमे में अपीलकर्ता ने 28 नवंबर 2004 को हुए अपने विवाह को अमान्य घोषित किए जाने का अनुरोध किया है.
कितने साल में हुई थी दोनों की शादी?
जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. कुटुंब अदालत में साबित तथ्यों के मुताबिक, अपीलकर्ता क जन्म 7 अगस्त 1992 को हुआ और उसकी पत्नी का जन्म 1 जनवरी 1995 को हुआ था. इसके बाद 28 नवंबर 2004 को दोनों का विवाह हुआ. विवाह के समय अपीलकर्ता की आयु करीब 12 वर्ष थी. जबकि उसके पति आयु 9 वर्ष थी. साथ ही यह भी आदेश दिया कि व्यक्ति अपनी "पत्नी" को 25 लाख रुपए का भुगतान करे.
क्या बोला इलाहाबाद HC?
पीठ ने अपने 47 पन्नों के फैसले में कहा कि मुकदमा समय सीमा के अंदर दायर किया गया और अपीलकर्ता पति स्वयं इस मुकदमे को दायर करने में सक्षम था. तथा कहा कि पारिवारिक न्यायालय ने मामले को खारिज करने में गलती की है. अदालत ने कहा जहां तक समय सीमा की बात है. उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर विचार करते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह मुकदमा दायर करने के लिए अपीलकर्ता के पास 23 वर्ष तक की आयु की समयसीमा उपलब्ध थी.