ताजिया कितने फीट का होना चाहिए? संभल सीओ अनुज चौधरी के मुर्हरम को लेकर दिए फरमान पर बवाल
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मोहर्रम के जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन ने सख्त गाइडलाइन जारी की है. सीओ अनुज चौधरी ने निर्देश दिया कि ताजिया की ऊंचाई 10 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए और पेड़ या बिजली लाइन नहीं काटी जाएगी. साथ ही डीजे की आवाज भी तय सीमा में रखी जाए. मोहर्रम 2025 की शुरुआत 26-27 जून से मानी जा रही है, जबकि आशूरा 6 जुलाई को मनाया जाएगा.;
Sambhal Tajia Guidelines CO Anuj Chaudhary : उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मोहर्रम के मौके पर ताजिया जुलूस को लेकर प्रशासन की सख्ती सामने आई है. चंदौसी कोतवाली क्षेत्र में आयोजित शांति समिति की बैठक में सीओ अनुज चौधरी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस बार ताजिया की ऊंचाई 10 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए. साथ ही मोहर्रम जुलूस के दौरान बिजली की लाइन या कोई पेड़ नहीं काटे जाएंगे.
सीओ ने कहा कि डीजे की आवाज़ तय मानकों के भीतर होनी चाहिए. किसी भी स्थिति में अधिक आवाज़ में डीजे बजाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने यह भी आदेश दिया कि ताजिया वही व्यक्ति निकालेगा, जो पहले से इसका जिम्मेदार है. अगर वह खुद नहीं निकाल पा रहा है, तो उसकी जगह कोई और व्यक्ति जुलूस नहीं निकाल सकेगा. इस मौके पर एसडीएम ने भी लोगों की समस्याएं सुनीं और जुलूस के रास्ते को व्यवस्थित और साफ रखने के निर्देश दिए.
ताजिया की ऊंचाई कितनी होनी चाहिए?
ताजिया की ऊंचाई पर कोई धार्मिक रूप से निश्चित मानक नहीं है, लेकिन परंपरा और शान के अनुसार ताजिया आमतौर पर 8 फीट से लेकर 25-30 फीट तक बनाए जाते रहे हैं. हालांकि, छोटे कस्बों या गांवों में ताजिया आमतौर पर 8–12 फीट ऊंचा होता है. बड़े शहरों या शिया बहुल क्षेत्रों में यह ऊंचाई 20 फीट या उससे ज्यादा भी हो सकती है, खासकर जुलूस की भव्यता के लिए.
कुछ स्थानों पर तो 40-50 फीट तक के ताजिए भी बन चुके हैं, जो कला और आस्था का मिश्रण होते हैं, लेकिन, हाल के वर्षों में प्रशासनिक गाइडलाइन के चलते अधिकतर जगहों पर ताजिए की ऊंचाई 10 फीट तक सीमित रखने की सलाह दी जाती है, ताकि बिजली की लाइनें, पेड़ और यातायात बाधित न हों. इसलिए अब समुदाय के लोग परंपरा के साथ-साथ सुरक्षा और कानून व्यवस्था का भी ध्यान रखते हुए ताजिए बनाते हैं।
कब है मोहर्रम और आशूरा?
इस्लामिक पंचांग के अनुसार, 2025 में मोहर्रम की शुरुआत 26 या 27 जून की रात से हो रही है. यह इस्लामी वर्ष का पहला महीना होता है और इसे बेहद पवित्र माना जाता है. मोहर्रम का 10वां दिन 'आशूरा' कहलाता है, जो शहीदों की याद में मनाया जाता है. 2025 में आशूरा 5 या 6 जुलाई को पड़ सकता है. भारत में इसे 6 जुलाई को मनाए जाने की संभावना है.