महाकुंभ में बेबसी, आंसुओं और अपनों के खोने का जिम्मेदार कौन, VIP को सुरक्षा तो श्रद्धालुओं के लिए चूक क्यों?
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में सुरक्षा और व्यवस्था की पोल मौनी अमावस्या की रात खुल गई, जहां भगदड़ मचने से करीब 15 से 20 लोगों की मौत की खबर सामने आई. घटना में पीड़ित श्रद्धालु की बेबस आंखे अब ये सवाल कर रही है कि उनकी गलती क्या थी, वह तो सुरक्षा के दावों के सहारे संगम तट पहुंचे थे.;
Maha Kumbh 2025: श्रद्धा और विश्वास मन में लेकर चले थे संगम में डुबकी लगाने लाखों श्रद्धालु. अंधेरी रात में महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर मन में उत्साह लिए लाखों श्रद्धालु प्रयागराज के संगम तट पर नहाने का इंतजार कर रहे थे, तभी अचानक से अफवाह फैलती है और लोग इधर-उधर भागने लगते हैं.
एक ओर तेजी से बढ़ने के कारण बैरिकेडिंग टूट जाती है और भगदड़ ऐसी कि बैरिकेडिंग के पास आराम कर रहे और सोए भक्तों के ऊपर ही इधर-उधर भागते लोग कुचलते हुए आगे बढ़ जाते हैं. दौड़ने के दौरान बैरिकेडिंग में कुछ लोगों का पैर भी फंस जाता है और वो घायल हो जाते हैं.
हर तरफ बेबस आंखें
ये हादसा रात के 1 बजे होता है. चीख-पुकार तो तभी से शुरू हो जाती है, लेकिन जब उजाला होता है तो लोगों की बेबस आंखें अपनों की तलाश में आंसुओं के साथ हर तरफ देखने लगते हैं और उन्हें सहारा देने वाला कोई नहीं होता. प्रशासन एंबुलेंस की सुविधा तो देती है, लेकिन लोगों को उनके अपनों को ढूंढने में मदद करने वाला कोई नजर नहीं आता. वो रो रहे होते हैं और मदद की गुहार लगा रहे होते हैं.
इतना बड़ा उत्सव और शासन की ओर से इतनी बड़ी चूक! अब कई सवाल खड़े कर रहा है, क्योंकि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इसमें करीब 15 से 20 लोगों की मौतें भी हुई हैं. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 14 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए जा चुके हैं.
वहीं सोशल मीडिया पर वायरल कई वीडयो से पता चलता है कि भगदड़ के बाद कई लोगों ने अपनों को खो दिया, जिसकी तलाश में लगे हैं. कई लोग तो गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया.
VIP सुरक्षा में लगा प्रशासन श्रद्धालुओं को क्यों नजर अंदाज?
संगम तट तक जाने के लिए VIP तो अपने कैमरे और सुरक्षा के साथ पहुंच रहे थे, लेकिन श्रद्धालुओं का क्या? सभी अखाड़ों के लिए अलग-अलग गेट बनाए गए थे, लेकिन रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि श्रद्धालुओं के लिए संगम तट पर जाने का बस एक ही रास्ता था.
और तो और उनके जाने और आने (एंट्री और एग्जिट) के लिए अलग नहीं, बल्कि एक रास्ते ही बनाए गए थे. ऐसे में भगदड़ की स्थिति में उन्हें बैरिकेडिंग तोड़ना पड़ा. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार कितने भी दावे करे, लेकिन ये चीख-पुकार सरकार से कई सवाल पूछ रहे हैं.
क्यों बंद थे कई पंटून पुल?
अमृत स्नान की वजह से ज्यादातर पांटून पुल बंद थे, जिससे एक रास्तों की कमी के कारण भिड़ इकट्ठा हो गई. भगदड़ के दौरान लोगों को कहीं भी जाने का रास्ता नजर नहीं आया और लोग एक दूसरे पर चढ़ते चले गए. सवाल ये है कि आखिर पंटून पुलों को बंद क्यों किया गया था? घटना के समय करीब 9 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज में मौजूद थे. मीडिया रिपोर्ट्स दावा कर रहे हैं कि घटना के समय संगम तट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु थे.