लॉरेंस बिश्नोई के हुनर का मुरीद था बाबा सिद्दीकी का शूटर, पढ़ाई में था होशियार; फिर क्यों अपनाया ये रास्ता?
बाबा सिद्दीकी की हत्या के आरोप में कैद शूटर धर्मराज के भाई ने बताया कि वो अपने छोटे भाई धर्मराज को डॉक्टर बनाना चाहा था. क्योंकी पढ़ाई में भी वो काफी होशियार था. लेकिन वो लॉरेंस बिश्नोई के हुनर का मुरीद था. जिसके बाद उसने जुर्म की इस दुनिया में अपना पांव रखा. उन्होंने कहा कि आज अगर उसने परिवार की बात सुनी होती तो शायद ऐसी स्थिति न होती.;
लखनऊः मुंबई में NCP नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या का आरोपी धर्मराज कश्यप अगर अपने परिवार के कहने के अनुसार चलता, तो आज शायद वह मरीजों का इलाज कर रहा होता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ 20 साल की उम्र से उसने गोलीबारी करना शुरू किया और इसी तरह बाबा सिद्दीकी की हत्या का आरोपी बन गया.
आरोपी को लेकर कई खुलासे किए गए. जिसमें कहा गया कि वह उत्तर प्रदेश के बहराईच में एकचच गरीब परिवार में धर्मराज पैदा हुआ था. सब कुछ एक दम अच्छा चल रहा था. शातिर गोलीबाजी के साथ-साथ पढ़ाई में भी अव्वल था. इसका अंदाजा उसकी 10 क्लास की बोर्ड परीक्षा में आए मार्क्स से लगाया जा सकता है.
चिकित्सक बनने के लिए किया था प्रेरित
10 वीं में 78 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. इतने अच्छे मार्क्स आने पर उसके परिवार ने उसे डॉक्टर बनने के लिए प्रोत्साहित किया था. लेकिन इस मामले के बाद वह काफी डरा हुआ है. सोशल मीडिया पर गैंगस्टर के खिलाफ चलने वाली बातों ने उसे आकर्षित किया. जिसके चक्कर में धर्मराज भी फस गया. इतना आकर्षित कि लॉरेंस बिश्नोई गैंगस्टर उसका आइडल बन गया. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान धर्मराज के बड़े भाई ने कहा कि अपने भाई को ऐसा होते हुए देखकर मैं खुद को धिक्कारता हूं.
परीक्षा में बैठने में हुआ असफल
धर्मराज के बड़े भाई ने बताया कि इन सब गड़बड़ियों का पता तब चला जब इस साल वह अपनी इंटरमीडिएट परीक्षा में बैठने में असफल रहा. जब बड़े भाई को इस बात का पता चला तो उसने धर्मराज ने अपने पड़ोसी दोस्त शिवकुमार गौतम के साथ पुणे भागना ही उचित समझा. शिवकुमार इस हत्या मामले में मुख्य संदिग्ध है. बताया जाता है कि संदिग्ध शिवकुमार पिछले तीन सालों से पुणे में अपने चचेरे भाई हरीष निषाद के साथ स्क्रैप बिजनेस में लगा हुआ था. शिवकुमार के साथ भागने के बाद धर्मराज के लिए पुणे में जीवन और काम करने करने का तरीका एक नया अनुभव था. मुंबई पुलिस की एक टीम अनुराग को पूछताछ के लिए उसके बहराईच के गंडारा गांव से ले गई थी. दो दिन पहले ही वह घर लौटा था.
हत्या से पहले था डिलीवरी एजेंट
इस स्क्रैप के बिजनेस में पड़ने से पहले अपने परिवार की सहायता के लिए शिवकुमार डिलीवरी एजेंट का काम करता था. हालांकि उम्र में धर्मराज से काफी छोटा है. बताया गया कि वह 5वीं क्लास ड्रॉपआउट था. अनुराग ने बताया कि जब वे गांव में थे तब दोनों ने कोई हिंसक व्यवहार किया था. मुंबई पुलिस ने धर्मराज के बड़े भाई अनुराग को उसके साथ बैठकर बात करने की इजाजत दी थी.
जहां उसने बिश्नोई गैंग से जुड़े कोला स्थित शार्पशूटर शुभम लोनकर ने उनके प्राथमिक संपर्क के रूप में काम किया था. बता दें कि धर्मराज की देखभाल करने का काम अनुराग ही किया गया था. परिवार की कपड़ों की दुकान है. इसी दुकान से परिवार की आय चलती थी.