भारतीय वायुसेना के जवान का 56 साल बाद मिला शव, जानें गुमशुदा की कहानी

मेरठ के भारतीय वायुसेना के जवान मलखान सिंह केवल 23 साल के थे, जब 7 फरवरी 1968 को उनका विमान लापता हो गया था. उनका शव 56 साल बाद मिला. तब पता चला की उनकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी. उनकी पत्नी ने 32 साल तक उनके लौटने का इंतज़ार किया था, लेकिन वह यह देखने से पहले ही चल बसीं. मलखान सिंह का जन्म 18 जनवरी 1945 को हुआ था. वह सहारनपुर के फतेहपुर गांव के रहने वाले थे.;

( Image Source:  Photo Credit- ANI )
Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 3 Oct 2024 11:58 AM IST

उत्तर प्रदेश : मेरठ के भारतीय वायुसेना के जवान मलखान सिंह केवल 23 साल के थे, जब 7 फरवरी 1968 को उनका विमान लापता हो गया था. इस विमान में उनके समेत 102 लोग सवार थे. बाद में यह विमान हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर दुर्घटनाग्रस्त पाया गया. मलखान के लापता होने के बाद, उनके परिवार ने कई वर्षों तक उनकी वापसी की उम्मीद की.

जब मंगलवार को सेना के दो अधिकारी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के फतेहपुर गांव पहुंचे और परिवार को 56 साल बाद मलखान के पार्थिव शरीर की बरामदगी की सूचना दी, तब पता चला की उनकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी. उनकी पत्नी ने 32 साल तक उनके लौटने का इंतज़ार किया था, लेकिन वह यह देखने से पहले ही चल बसीं. मलखान सिंह का जन्म 18 जनवरी 1945 को हुआ था. वह सहारनपुर के फतेहपुर गांव के रहने वाले थे.

परिवार की भावनात्मक प्रतिक्रिया

इस खबर के बाद पहले तो परिवार में सन्नाटा छा गया, फिर खुशी और अंत में आंसुओं की बाढ़. यह पल परिवार के लिए बहुत बुरा था. परिवार को मलखान के अंतिम संस्कार की तैयारी करने के लिए कहा गया. मलखान के छोटे भाई ईशम पाल, जो अब 65 साल के हैं, ने बताया कि जब मलखान लापता हुए थे, तब उनका एक बेटा नवजात था और एक बेटा रामप्रसाद जो करीब डेढ़ साल का था. उनके परिवार को यह यकीन नहीं हो पा रहा था कि वह अब जीवित नहीं हैं.

मलखान के गायब होने के बाद, उनके परिवार ने उन्हें ढूंढने की हर संभव कोशिश की, लेकिन समय के साथ उनकी उम्मीदें टूटने लगीं. मलखान की पत्नी का विवाह बाद में उनके भाई चंद्रपाल सिंह से कर दिया गया, ताकि परिवार में कुछ सुलह हो सके. मलखान के बेटे राम प्रसाद की भी 2010 में मृत्यु हो गई. अब इस दुनिया में मां-बाप और बेटा तीनो ही नहीं है.

पोते-पोतियां ने की आखिरी विदाई

मलखान के पोते-पोतियां, जिन्होंने अपने दादा की कहानियाँ सुनते हुए जीवन बिताया, उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए. सैकड़ों लोग उनके अंतिम संस्कार में उपस्थित हुए. उनके पोते गौतम कुमार ने कहा, "हम भावनाओं से भरे हुए हैं." मलखान सिंह की पार्थिव देह फतेहपुर गांव में पहुँचा और शाम को उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस प्रकार, लगभग 56 साल बाद मलखान सिंह अपने घर लौट आए.

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