4000 हेक्टेयर में फैले महाकुंभ नगर को कैसे किया जाएगा साफ़? 31 अस्थाई पुलों को हटाना है बड़ा चैलेंज
महाकुंभ समाप्त होने के बाद प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती 4,000 हेक्टेयर में फैले अस्थायी शहर को हटाने और क्षेत्र को उसकी मूल स्थिति में लाने की है. इसमें लाखों टेंट, टॉयलेट, बिजली के खंभे, पाइपलाइन और पंटून पुलों को व्यवस्थित रूप से हटाना और सफाई सुनिश्चित करना शामिल है.;
महाकुंभ का भव्य समापन हो चुका है, लेकिन अब प्रशासन के लिए असली परीक्षा शुरू हो रही है. गंगा के तट पर 4,000 हेक्टेयर में फैले इस अस्थायी शहर को हटाना और क्षेत्र को उसकी मूल अवस्था में लाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. इसकी अंतिम समय सीमा 20 मार्च तय की गई है, लेकिन अनइंस्टॉलेशन, सत्यापन और सूचीकरण की प्रक्रिया को देखते हुए यह समय सीमा आगे बढ़ सकती है.
महाकुंभ की तैयारियां एक साल पहले शुरू हो गई थीं, लेकिन मानसून समाप्त होने के बाद ही अस्थायी शहर का निर्माण शुरू हुआ. 14 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस शहर को 25 सेक्टरों में विभाजित किया गया था, जिसे अब पुनः हटाया जाना है.
कई चरणों में पूरा होगा काम
अधिकारियों के अनुसार, पूरे क्षेत्र को साफ करने और सभी संरचनाओं को हटाने का काम कई चरणों में पूरा किया जाएगा. अधिकारियों को लगभग 2 लाख टेंट, 1.5 लाख पोर्टेबल टॉयलेट, 2.69 लाख एल्युमीनियम प्लेट, 1,300 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन, 56,000 पानी के नल, 80 अस्थायी ट्यूबवेल, 52,000 बिजली के खंभे और 70,000 एलईडी लाइटों को हटाना होगा. इसके अलावा, 200 किलोमीटर सीवेज पाइप, 2,700 सीसीटीवी कैमरे और 31 पंटून पुलों को भी व्यवस्थित रूप से हटाकर रखा जाएगा.
1000 करोड़ रुपये की है संपत्ति
मेला अधिकारी विजय किरण आनंद के अनुसार, यह काम केवल संरचनाओं को हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तहत 1,000 करोड़ रुपये की इन्वेंट्री को व्यवस्थित तरीके से सूचीबद्ध करना भी शामिल है. साथ ही, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के 'जीरो-डिस्चार्ज' मानकों को पूरा करने के लिए क्षेत्र की सफाई सुनिश्चित करनी होगी. शहरी विकास, सिंचाई, लोक निर्माण, बिजली और स्वास्थ्य विभाग इस कार्य में शामिल हैं. विशेष रूप से, 1.5 लाख शौचालयों की सफाई, जल निकासी पाइपलाइनों को हटाना और टेंटों को समेटना शहरी विकास और सिंचाई विभाग की बड़ी जिम्मेदारियों में शामिल हैं.
31 पुलों को हटाना है बड़ी चुनौती
26 फरवरी को मेला समाप्त होते ही तीसरे पक्ष द्वारा सत्यापन शुरू कर दिया गया था. 25 में से 20 सेक्टरों में सत्यापन पूरा हो चुका है, जबकि शेष क्षेत्रों में यह कार्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा. सत्यापन के आधार पर ही सभी भुगतान और बिल तैयार किए जाते हैं. सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों में से एक 31 पंटून पुलों को हटाना भी है. पीडब्ल्यूडी के अनुसार, इन पुलों के निर्माण में 3,308 पंटूनों का उपयोग किया गया था, जिनमें से 1,000 को अगले माघ मेले में पुनः इस्तेमाल किया जाएगा और शेष को अन्य जिलों में भेज दिया जाएगा.