बच्चों को बचाने के प्रयास की दिल दहला देने वाली कहानी, झांसी में NICU के अंदर क्या हुआ?

शुक्रवार को झांसी मेडिकल कॉलेज की SNCU में रात करीब 10 बजे आग लग गई, जिसकी चपेट में आने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई. सूत्रों का कहना है कि घटना लापरवाही की वजह से हुई है. क्योंकि शॉर्ट सर्किट शाम 5 बजे ही हुआ था लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. इस बारे में अस्पताल के स्टाफ और मृतकों के परिजनों से खुद आपबीती सुनाई है.;

( Image Source:  canva )

Jhansi Medical College: देश भर में इन दिनों झांसी अग्निकांड को लेकर गुस्सा देखने को मिल रहा है. शुक्रवार को झांसी मेडिकल कॉलेज की SNCU में रात करीब 10 बजे आग लग गई, जिसकी चपेट में आने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई. सूत्रों का कहना है कि शाम 5 बजे ही शॉर्ट सर्किट हुआ था लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. इस लापरवाही का परिणाम बाद में देखने को मिला.

इंडियन एक्सप्रेस ने घटना रात क्या हुआ? कैसे आग लगी इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल के अधिकारी और पीड़ित परिजनों से बात की है. इस दौरान अस्पताल की एक महिला स्टाफ सदस्य ने खुद 10.20 बजे आग देखी थी. जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उन्होंने इसे बुझाने का प्रयास किया लेकिन अस्पताल के चिकित्सा उपकरणों ने आग को और भड़का दिया.

मेडिकल कॉलेज में कैसी लगी आग

स्टाफ ने बताया कि सभी आग बुझाने में लग गए, जिससे स्टाफ सदस्यों और माता-पिता को एनआईसीयू के अंदर बच्चों को बचाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस दौरान आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया. जिसमें 10 मासूमों की जान चली गई जबकि 39 अन्य को बचाया गया और इलाज के लिए दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया. एनआईसीयू वार्ड में बंटा हुआ है, एक में नॉर्मल शिशुओं के लिए और दूसरा गंभीर स्थिति वाले बच्चों को रखा जाता है. अधिकारियों के अनुसार, जैसे ही वार्ड से धुआं निकला, दरवाजे पर खड़े बच्चों के परिवारों ने अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें रोक दिया.

वार्ड में मौजूद थे इतने कर्मचारी

अधिकारी के अनुसार वार्ड लगने के समय वार्ड में अस्पताल के लगभग सात कर्मचारी मौजूद थे. बाहर वाले वार्ड से नवजात शिशुओं को पहले बाहर निकाला गया और उन्हें इंतजार कर रहे परिवारों को सौंप दिया गया. हालांकि जल्द ही आग तेज हो गई, जिससे वार्ड में धुआं-धुआं हो गया और अंदर वाले वार्ड में शिशुओं को बचाने में बाधा आई. एनआईसीयू के सिर्फ एक एग्जिट गेट पर पहले से ही भागने वाले परिवारों और कर्मचारियों की भीड़ थी, इसलिए बच्चों को खिड़कियों के माध्यम से बाहर निकाला गया.

देरी के कारण गई जान

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एन.एस. और अन्य अधिकारी ने घटना के बारे में जानकारी दी. उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधा सिंह सहित वरिष्ठ जिला अधिकारियों को सतर्क कर दिया. अस्पताल स्टाफ और पुलिस ने अग्निशमन विभाग को भी सूचना दी. झांसी मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे के मुताबिक 15 से 20 मिनट में आग पर काबू पा लिया गया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

वार्ड के सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि आग उपकरण शॉर्ट सर्किट हुआ था. एक अभिभावक हारिस शंकर, जिनके बच्चे को अस्पताल के दूसरे वार्ड में भर्ती कराया गया था, ने कहा, "हमें नहीं पता कि अस्पताल के कर्मचारियों ने वार्ड के अंदर कैसे प्रबंधन किया, लेकिन परिणाम से पता चलता है कि उन्हें आग बुझाने वाले यंत्रों का उपयोग करने या बचाव अभियान चलाने के लिए ठीक से ट्रेनिंग दी गई थी.

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