आखिर मेरठ में क्यों ढहाई गई 150 साल पुरानी मस्जिद? जानें क्या है विवाद
मेरठ में आरआरटीएस प्रोजेक्ट का काम चालू है. इसके चलते 150 साल पुरानी मस्जिद को ढहा दिया गया है. 1981 में मस्जिद के खिलाफ एक कानूनी मामला दायर किया गया था और इसे कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक कानूनी लड़ाई के बाद मस्जिद को फिर से खोला गया था.;
मेरठ शहर में 150 साल से ज्यादा पुरानी मस्जिद को ढहा दिया गया है. जिला प्रशासन के आदेश के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इस मस्जिद को पूरी तरह से गिराने की प्रक्रिया में हैं. दरअसल यह मस्जिद दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के रास्ते में आ रही थी. यह मस्जिद दिल्ली से लगभग 60 किलोमीटर और मेरठ शहर के सेंटर से 5-6 किलोमीटर दूर है. पैनल के एक सदस्य ने बताया कि शुक्रवार के दिन मस्जिद के दरवाजे और खिड़कियां हटा दी गईं.
मेरठ शहर के एडिशनल जिला मजिस्ट्रेट बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि 'दिल्ली-मेरठ सड़क लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है. साथ ही, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) सड़क के नीचे दिल्ली-मेरठ-गाजियाबाद RRTS कॉरिडोर का निर्माण कर रहा है, ठीक उसी जगह जहां मस्जिद स्थित है.
पीडब्ल्यूडी को दिया गया आदेश
मस्जिद समिति के सदस्य मोहम्मद वसीम खान ने कहा कि 'मस्जिद 1857 में बनी थी और इसने समुदाय की सेवा की है. एनसीआरटीसी के अधिकारियों ने हमसे संपर्क किया था और बात करने के बाद हमें आश्वासन दिया गया था कि रूट को डायवर्ट किया जाएगा. हालांकि, कुछ दिन पहले हमें पता चला कि जिला प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी को मस्जिद को हटाने का आदेश दिया है.
मुआवज़े की हो रही बात
इसलिए, दोनों विभागों ने विकास कार्य के लिए रास्ता साफ करने के लिए मस्जिद को हटाने का अनुरोध किया है. इसके आगे उन्होंने बताया कि मुआवज़े के बारे में मस्जिद के अधिकारियों से बातचीत की जा रही है. हमें उनकी तरफ से किसी भी तरह के टकराव का सामना नहीं करना पड़ा है.
कोई लिखित आदेश नहीं मिला
वसीम खान ने यह भी बताया कि 'दो दिन पहले अधिकारियों ने हमें बताया गया कि हमें या तो ब्रह्मपुरी पुलिस सीमा के तहत धार्मिक संरचना को जबरन हटाना चाहिए, क्योंकि यह आरआरटीएस के रूट को बाधित कर रही थी. वसीम ने कहा कि उन्हें अभी तक कोई लिखित आदेश नहीं मिला है. साथ ही 'हम केवल एक उचित मुआवज़ा चाहते हैं. चाहे वह नई मस्जिद बनाने के लिए जमीन के रूप में हो. दूसरी मस्जिद का निर्माण हो या वित्तीय सहायता हो.'