कैसे फर्जी IAS 5 राज्यों में असली अफसरों को देता रहा चकमा? रौब के लिए रखा था गनर, मर्सिडीज का...
यूपी सहित पांच राज्यों में फर्जी आईएएस बनकर अफसरों और नेताओं को सालों से चकमा देने वाले सौरभ त्रिपाठी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. चौंकाने वाली बात यह है कि जहां पर उसे पकड़े जाने का दूर-दूर तक नहीं थी, आशंका वहीं, रूटीन वाहन चेकिंग के दौरान यूपी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. अफसरों और प्रभावशाली लोगों पर रौब झाड़ने के लिए वह गनर और मर्सिडीज कार का इस्तेमाल करता था. वह सभी को खुद का आईएएस अधिकारी होने का दावा करता था.;
आईएएस (IAS) बनने का सपना हर किसी का होता है, लेकिन कुछ लोग इस सपने को पूरा करने के लिए जालसाजी का रास्ता चुन लेते हैं. ऐसे ही एक मामले में यूपी पुलिस ने एक फर्जी आईएएस अफसर (सौरभ त्रिपाठी) को गिरफ्तार कर बड़ा खुलासा किया है. फर्जी आईएएस सालों से यूपी सहित पांच राज्यों में असली अफसरों को चकमा देता रहा है. इसी के बल पर उसने खुद की पहचान रौबदार और हाई प्रोफाइल अफसर की बनाई. वह गनर, लग्जरी कार और रसूखदार स्टाइल के दम पर उसने अफसरों और नेताओं को प्रभावित करता रहा. खुलासे के बाद पांचों के प्रशासनिक अधिकारी सकते में हैं.
यूपी के लखनऊ से लेकर दिल्ली तक, सौरभ त्रिपाठी एसयूवी, पुलिसवालों को गार्ड बनाकर और मंत्रियों के साथ सेल्फी लेकर लोगों को ठगता था. खास बात यह है कि वह कॉलेज के दिनों से ही ऐशो-आराम की जिंदगी जीने का आदी था.
हाई सिक्योरिटी एरिया में बेधड़क करता था घुसपैठ
उत्तर प्रदेश के अफसरों को 36 वर्षीय फर्जी आईएएस अधिकारी सौरभ त्रिपाठी की गिरफ्तारी ने चौंका दिया है. पुलिस की जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि कैसे एक जालसाज ने सालों तक हाई सिक्योरिटी वाले इलाकों में घुसपैठ करने, व्यापारियों को ठगने और अपने अधिकार का रौब जमाने के लिए व्यवस्थागत खामियों का फायदा उठाता रहा.
गिरफ्तारी के बाद नहीं आया कोई काम, गया जेल
आरोपी ने पूछताछ करने वाली पुलिस टीम के मुताबिक आरोपी आत्मविश्वास से लबरेज था, जिसका इस्तेमाल उसने इतने लंबे समय तक लोगों को ठगने में किया. लेकिन लखनऊ वजीरगंज के थाना प्रभारी राजेश कुमार त्रिपाठी ने कहा, "अपने आत्मविश्वास का इस्तेमाल कर, वह किसी भी कार्यक्रम में घुस जाता था, क्योंकि वह नौकरशाहों और मंत्रियों के साथ होने वाली बैठकों और कार्यक्रमों में सुरक्षाकर्मियों को डराने के लिए निजी गनर (अंगरक्षक) के साथ चलता था." फिलहाल आरोपी को जेल भेज दिया गया है.
ऐसे पकड़ा गया सौरभ त्रिपाठी
लखनऊ पुलिस ने बुधवार को राज्य की राजधानी में एक नियमित वाहन जांच अभियान के दौरान इस फर्जी आईएएस अधिकारी को पकड़ा था और रेंज रोवर, मर्सिडीज बेंज सी 220 समेत छह लग्जरी गाड़ियां, जाली पासपोर्ट और पहचान पत्र जब्त किए हैं. वह आलीशान घरों में रहता था और कैबिनेट विशेष सचिव के अपने पद का रौब दिखाकर ऑनलाइन रौब जमाना था.
पॉलिटिकल थ्रिलर से कम नहीं फेक IAS का नाटक
एचटी मीडिया ने डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित के हवाले से कहा, "आरोपी का सहायक, जो उसके साथ घूमता था, भी उसकी असलियत नहीं जानता था, क्योंकि उसने (सौरभ त्रिपाठी) उससे भी अपनी पहचान छिपाई थी." डीसीपी ने आगे कहा कि लखनऊ पुलिस उन राज्यों के बारे में जानकारी जुटा रही है, जहां वह लोगों से पैसे ठगने के लिए गया था. अब तक पता चला है कि वह बिहार, उत्तराखंड और दिल्ली समेत कई जगहों पर गया था। मीटिंग, संदिग्ध सौदों में मर्सिडीज का इस्तेमाल करता था. जांच अधिकारी के अनुसार, उसका नाटक किसी राजनीतिक थ्रिलर जैसा था.
सौदेबाजी के लिए करता था मर्सिडीज का इस्तेमाल
मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी ने बताया, "त्रिपाठी आधिकारिक बैठकों में फॉर्च्यूनर चलाता था, लेकिन संदिग्ध सौदों पर बातचीत करते समय मर्सिडीज या डिफेंडर चला लेता था." अधिकारी ने बताया कि उसने निजी सुरक्षा गार्ड रखे थे, जिनमें से एक पुलिस की वर्दी पहने हुए था. कमलेश दीक्षित ने आगे कहा, "जांचकर्ता अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि उसने इन लोगों और वर्दी का इंतजाम कैसे किया."
राज्य दर राज्य दोहरी पहचान
सौरभ त्रिपाठी का घोटाला उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली और बिहार तक फैला हुआ था. लखनऊ में, उसने खुद को उत्तर प्रदेश सरकार में विशेष सचिव बताया था. राज्य के बाहर, उसने खुद को केंद्र सरकार का अधिकारी बताया था . पुलिस ने कहा कि उसने लोगों को यकीन दिलाया कि वह उत्तर प्रदेश कैडर में एक हाई-प्रोफाइल पोस्टिंग के कगार पर है और इस आश्वासन का इस्तेमाल उसने विश्वास जीतने पर पैसे ऐंठने के लिए किया.
वजीरगंज के एसएचओ ने कहा, "मंत्रियों, वरिष्ठ नौकरशाहों और यहां तक कि धार्मिक नेताओं के साथ सावधानीपूर्वक खिंचवाई गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर उसके शक्तिशाली अधिकारी होने के दावे को पुख्ता करती थीं. कई लोगों के लिए, उन तस्वीरों ने सारे संदेह मिटा दिए."
ठिकाना बताने के लिए कई पते का करता था इस्तेमाल
यूपी पुलिस ने उसके गृहनगर मऊ में तीन घरों, नोएडा के गरिमा विहार में एक फ्लैट और लखनऊ के गोमतीनगर एक्सटेंशन में शालीमार वन वर्ल्ड में एक आलीशान अपार्टमेंट का पता लगाया है. थाना प्रभारी के मुताबिक, "दोनों घर किराए पर थे. उसने अपनी धाक जमाने के लिए इन्हें किराए पर लिया था, क्योंकि हर पता उसके प्रभाव और धन की मनगढ़ंत कहानी को और पुख्ता करता था."
कॉलेज के साथी हैरान
एचटी मीडिया के मुताबिक सौरभ त्रिपाठी की गिरफ्तारी से उसके कॉलेज के साथी हैरान हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक करीबी दोस्त ने बताया, "हमने 2006-2009 के बीच गाजियाबाद के एक कॉलेज से साथ में बीसीए की पढ़ाई की थी. हम सभी हैरान हैं क्योंकि हमारा कॉलेज ग्रुप कल रात से ही उसके बारे में चर्चा कर रहा है. त्रिपाठी कॉलेज के दिनों से ही अति-आत्मविश्वासी था और उन दिनों से ही महंगे फोन और बाइक के साथ एक शानदार जीवनशैली जी रहा था."
"वह हमें बताया था कि उसके पिता मऊ जिले में एक नेता हैं और नोएडा में भी उनका एक फ्लैट है. कॉलेज के बाद मैं भी उससे दो बार मिला था, जहां उसने बताया था कि वह आईटी मंत्रालय में काम करता है. पढ़ाई में वह औसत से कमजोर था, लेकिन जब उसने सोशल मीडिया पर अपनी सफलता का बखान किया, तो हम सब दंग रह गए."