इटावा में 'अहीर रेजिमेंट' का तांडव! कथावाचक विवाद पर बवाल जारी, अब तक 19 लोगों की गिरफ्तारी- देखिए फायरिंग-पथराव का Video

इटावा के दादरपुर गांव में कथावाचकों की जाति पूछकर उनके साथ मारपीट और अभद्रता के बाद अहीर रेजीमेंट समर्थकों और स्थानीय लोगों के बीच हिंसा भड़क गई. पुलिस ने बल प्रयोग और फायरिंग से भीड़ को तितर-बितर किया, अब तक 19 गिरफ्तारियां हुईं और 13 गाड़ियां जब्त की गई हैं. मामला राजनीतिक विवाद में तब्दील हो चुका है.;

By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 27 Jun 2025 12:09 PM IST

उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के थाना बकेवर क्षेत्र स्थित दादरपुर गांव में बीते 5 दिनों से जातीय तनाव और हिंसा का माहौल बना हुआ है. यादव, चमार और ब्राह्मण समुदाय को लेकर सोशल मीडिया से शुरू हुआ विवाद अब जमीन पर झगड़े और पथराव में बदल चुका है. खासतौर पर 'अहीर रेजीमेंट' और यादव महासभा से जुड़े कुछ युवाओं की पुलिस से भिड़ंत ने मामले को गंभीर बना दिया है.

चोटी काटी, पेशाब छिड़का, महिला से अभद्रता

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के थाना बकेवर क्षेत्र स्थित गांव दादरपुर में बीते दिनों जातीय हिंसा का बड़ा मामला सामने आया है, जिसने प्रदेश की राजनीति में भी हलचल मचा दी है. इस विवाद की शुरुआत 22 जून को हरिद्वार से आए कथावाचकों की जाति पूछने और फिर उनके साथ अपमानजनक व्यवहार से हुई.

मीडिया रिपोर्ट्स और वायरल वीडियो के अनुसार, कथावाचकों पर "चमार" जाति का आरोप लगाकर उनकी चोटी काट दी गई और उन पर पेशाब छिड़क दिया गया. यह घटना उस वक्त हुई जब कथावाचक गांव में एक घर में भागवत कथा पढ़ने आए थे. उसी घर की महिला रेनू तिवारी का दावा है कि कथावाचक ने उनके साथ छेड़छाड़ की, जिसके बाद उससे माफ़ी मंगवाई गई.

अहीर रेजीमेंट समर्थकों के प्रवेश से भड़का मामला

इस घटना के बाद जातीय तनाव और बढ़ गया, जब अहीर रेजीमेंट समर्थकों ने गांव में प्रवेश की कोशिश की. स्थानीय लोगों ने उन्हें रोक दिया, जिसके बाद कहासुनी और पथराव शुरू हो गया. पुलिस ने स्थिति को काबू में लाने के लिए बल प्रयोग किया और हवाई फायरिंग भी की. वायरल वीडियो में भीड़ भागती हुई और कुछ लोग पुलिस पर पत्थर फेंकते हुए नजर आ रहे हैं.

कथा विवाद पर अब तक क्या हुआ?

पुलिस ने इस बवाल को लेकर अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार किया है और 13 गाड़ियां सीज कर दी गई हैं. भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और गांव में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है. यह मामला अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रकरण को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि 'उत्तर प्रदेश में जातीय सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश हो रही है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है.

सोशल मीडिया से फैला जहर

माना जा रहा है कि इस बवाल की शुरुआत सोशल मीडिया पर जातिगत टिप्पणियों और वीडियो से हुई. अहीर रेजीमेंट समर्थकों की ओर से ब्राह्मण और दलित समुदाय पर कुछ आपत्तिजनक पोस्ट और नारों को लेकर प्रतिक्रिया आई, जिसने तनाव को और बढ़ाया. जिला प्रशासन और पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. अधिकारियों का कहना है कि “किसी भी अफवाह या भड़काऊ पोस्ट पर ध्यान न दें. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. मामले की जांच जारी है और सोशल मीडिया की निगरानी भी तेज कर दी गई है. गांव में शांति समितियों का गठन किया गया है और सीओ स्तर के अधिकारी मौके पर डटे हुए हैं. प्रशासन की कोशिश है कि हालात को काबू में रखा जाए और जातीय तनाव को और न भड़कने दिया जाए.

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