किसकी गलती के कारण चली गई 30 जिंदगियां, कैसे फेल हुआ सिस्टम? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान बुधवार तड़के भयावह हादसा हो गया, जिसने सभी को सदमे में डाल दिया. भीषण भगदड़ में अब तक 30 लोगों की मौत की खबर है तो वहीं कई लोगों का इलाज चल रहा है.;

Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 30 Jan 2025 10:48 AM IST

प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान बुधवार तड़के भयावह हादसा हो गया, जिसने सभी को सदमे में डाल दिया. भीषण भगदड़ में अब तक 30 लोगों की मौत की खबर है, जबकि 30 से ज्यादा घायलों का इलाज जारी है. श्रद्धालु अपनों को खोजते रहे हादसे के बाद अपनों से बिछड़ने का डर इतना गहरा था कि एक व्यक्ति ने अपने रिश्तेदार के शव का हाथ तब तक नहीं छोड़ा, जब तक कि वह मुर्दाघर नहीं पहुंच गया अफरा-तफरी का माहौल करोड़ों की भीड़ के बीच प्रशासन मृतकों और घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए जूझता नजर आया.

50 से ज्यादा एंबुलेंस मौके पर 50 से ज्यादा एंबुलेंस घायलों को अस्पताल पहुंचाने में जुटी थीं. बिखरा हुआ सामान चारों तरफ जूते, चप्पल, कंबल, बैग और कपड़े बिखरे पड़े थे, जिससे हालात की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके बाद अब ऐसे में कई सवाल खड़े होते है कि आखिर किसकी गलती थी और इन 30 लोगों के मौत का जिम्मेदार कौन था. 144 साल बाद आने इस महाकुंभ पाप धुलने की होड़ में जहां पर 7000 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हो वहां पर कैसे सिस्टम फैल हो सकता है?

मंगलवार को मौनी अमावस्या का मुहूर्त शुरू होते ही शाम 7:35 बजे से श्रद्धालुओं का संगम तट पर आगमन शुरू हो गया. बुधवार तड़के 2 बजे तक यह भीड़ विशाल जनसैलाब का रूप ले चुकी थी. प्रारंभ में सभी व्यवस्थाएँ सुचारू रूप से चल रही थीं, लेकिन जैसे-जैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी, संगम तट पर स्नान करने वालों के लिए बाहर निकलने की जगह कम पड़ गई. धार्मिक उत्साह चरम पर था, और इसी दौरान अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिससे मेला प्रशासन के लिए स्थिति को नियंत्रित करना कठिन हो गया. घटना के बाद घायलों और मृतकों को महाकुंभ नगर स्थित केंद्रीय अस्पताल पहुंचाने के लिए त्वरित रूप से एंबुलेंस सेवा सक्रिय की गई.

कैसे फेल हुआ सिस्टम?

अक्षयवट मार्ग का कम उपयोग: श्रद्धालु अक्षयवट मार्ग से बाहर नहीं निकले, जिससे संगम अपर मार्ग पर आना-जाना दोनों बना रहा.सड़कों को चौड़ा करने के बावजूद बंद रखा गया: प्रशासन ने महाकुंभ के लिए सड़कों का विस्तार किया था, लेकिन उन्हें अधिकांश समय बंद रखा गया. प्रमुख मार्गों पर बैरिकेडिंग: श्रद्धालुओं को अधिक चलने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे वे थक गए और संगम किनारे बैठ गए. लोग जल्दी निकलने लगे, जिससे अफरा-तफरी मच गई.

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