CM योगी ने आगरा की इस इमारत से मिटाया मुगल का नाम! अब शिवाजी के नाम से होगा मशहूर

आगरा, ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध एक ऐसा शहर, जहां मुगलों की छाप हर गली, हर इमारत में आज भी महसूस की जा सकती है. इस शहर की विरासत को सहेजने के उद्देश्य से एक भव्य म्यूजियम बनाने की योजना बनी थी, जिसे ‘मुगल म्यूजियम’ नाम दिया गया था.;

Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 28 March 2025 10:46 AM IST

आगरा, ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध एक ऐसा शहर, जहां मुगलों की छाप हर गली, हर इमारत में आज भी महसूस की जा सकती है. इस शहर की विरासत को सहेजने के उद्देश्य से एक भव्य म्यूजियम बनाने की योजना बनी थी, जिसे ‘मुगल म्यूजियम’ नाम दिया गया था. लेकिन अब योगी सरकार को आठ साल पूरे होने के बाद एक नई घोषणा के बाद नया मोड़ दिया गया है जिसके बाद यह चर्चा तेज हो गई है.

आगरा के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित एक भव्य जनसभा में, योगी आदित्यनाथ ने एलान किया कि इस म्यूजियम का नाम अब 'छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम' होगा. उन्होंने कहा, 'हम गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल चुके हैं. अब हमें उन नायकों को सम्मान देना चाहिए जिन्होंने भारतीय संस्कृति और अस्मिता के लिए संघर्ष किया.

म्यूजियम के नाम बदलने का अर्थ

मुख्यमंत्री का यह बयान प्रतीकात्मक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी एक बड़ा संदेश है. योगी सरकार लंबे समय से इतिहास और सांस्कृतिक प्रतीकों को पुनर्परिभाषित करने की मुहिम में जुटी हुई है. पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हुआ, फिर फैजाबाद को अयोध्या में बदला गया और अब यह कदम आगरा में उठाया गया है.

हालांकि, इस बदलाव के साथ कई सवाल भी खड़े हो गए हैं. खासकर इसलिए क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज का आगरा से संबंध मात्र एक घटना तक सीमित था—जब उन्हें औरंगज़ेब ने आगरा किले में कैद किया था. इससे अधिक कोई सांस्कृतिक या प्रशासनिक जुड़ाव शिवाजी का इस शहर से नहीं रहा.

विपक्ष का तीखा प्रहार

जैसे ही इस घोषणा की खबर फैली, विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक स्टंट बताते हुए सरकार पर निशाना साधा. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, 'विकास के नाम पर सरकार के पास दिखाने को कुछ नहीं है, इसलिए नाम बदलकर जनता का ध्यान भटकाया जा रहा है. कांग्रेस नेता शब्बीर अब्बास ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी, 'नाम बदलने से न तो इतिहास बदलेगा और न ही शहर का भविष्य. जनता को अब समझ में आ गया है कि ये सब 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी है.'

म्यूजियम की शुरुआत और उद्देश्य

इस म्यूजियम की योजना 2015 में उस समय के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बनाई गई थी. 2016 में इसकी नींव रखी गई और इसे 190 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाना था. इस परियोजना का उद्देश्य आगरा की ऐतिहासिक विरासत को एक छत के नीचे लाना था. इस म्यूजियम में आगरा से संबंधित खुदाई में मिले अवशेष, मुग़ल काल की दुर्लभ वस्तुएं, डिजिटल डिस्प्ले, और स्थापत्य कला की प्रतिकृतियां शामिल की जानी थीं. इसके अलावा आगरा के प्रसिद्ध हस्तशिल्प को भी एक अलग गैलरी में स्थान दिया जाना था, ताकि शहर की सांस्कृतिक पहचान को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जा सके.

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