बुजुर्ग दंपति के बीच गुजारा भत्ते विवाद पर हाई कोर्ट की टिप्पणी- 'ऐसी कानूनी लड़ाई चिंता का विषय'
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले के दौरान ये माना कि कलियुग आ गया है. मामला अलीगढ़ का है जहां एक 80-76 वर्षीय पति-पत्नी दोनों एक दूसरे से अलग होने के लिए याचिका दायर किया था. पत्नी ने गुजारे भत्ते की मांग की है. वैसे कोर्ट ने दोनों का आपसी समझौते से मामले को सुलझाने की सलाह दी है. आइए जानते हैं पूरा मामला.;
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बुजुर्ग दंपति के बीच गुजारा भत्ते को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई पर गंभीर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि यह मामला बताता है कि कलयुग आ चुका है, और ऐसी कानूनी लड़ाइयां समाज के लिए चिंता का विषय बन गई हैं.
यह मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का है, जहां 80 वर्षीय मुनेश कुमार गुप्ता, जो स्वास्थ्य विभाग से सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, और उनकी 76 वर्षीय पत्नी गायत्री देवी के बीच संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है. यह विवाद 2018 से चला आ रहा है। मामला पहले पुलिस तक पहुंचा, जिसके बाद इसे परिवार परामर्श केंद्र को सौंप दिया गया था, लेकिन दोनों के बीच कोई समझौता नहीं हो सका. इसके बाद दोनों ने अलग रहने का फैसला किया.
पत्नी ने मांगा गुजारा भत्ता
गायत्री देवी ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने अपने पति की पेंशन का हवाला देते हुए हर महीने 15,000 रुपये गुजारा भत्ता मांगा. उनकी याचिका के अनुसार, मुनेश गुप्ता की पेंशन लगभग 35,000 रुपये है. फैमिली कोर्ट ने 16 फरवरी को आदेश जारी करते हुए गायत्री देवी को 5,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया. इस फैसले को मुनेश गुप्ता ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है, और अब इस पर सुनवाई चल रही है.
हाई कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी इस याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, "ऐसी कानूनी लड़ाई यह संकेत देती है कि समाज में कलयुग आ गया है, और यह बेहद चिंताजनक है." उन्होंने दंपति को विवाद सुलझाने और आपसी समझौते की सलाह भी दी.
कोर्ट का आदेश और अगली सुनवाई
गायत्री देवी ने कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन उनके पति ने इस आदेश को चुनौती दी है. फिलहाल, हाई कोर्ट ने गायत्री देवी को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि उम्मीद है कि अगली सुनवाई तक दोनों किसी समझौते पर पहुंच सकें.