भजनलाल सरकार को झटका, अंता में चौथी बार कांग्रेस के नेता प्रमोद जैन भाया की जीत, जानें नेता ने कैसे रचा इतिहास

राजस्थान की राजनीति में अंता उपचुनाव का नतीजा सिर्फ एक सीट का फैसला नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की सत्ता-समीकरण को झकझोर देने वाला संदेश बनकर सामने आया है. भजनलाल शर्मा सरकार को करारा झटका देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जनता के ‘भरोसेमंद चेहरा’ प्रमोद जैन भाया ने चौथी बार विधानसभा में धमाकेदार वापसी की है.;

( Image Source:  instagram-@pramodbhayainc )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 14 Nov 2025 4:36 PM IST

राजस्थान की राजनीति में अंता विधानसभा सीट हमेशा से सत्ता के सेंटिमेंट को मापने का पैमाना रही है और इस बार के उपचुनाव ने इसे फिर साबित कर दिया. यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया ने ना सिर्फ भारी जीत दर्ज की, बल्कि राजनीतिक हलकों में नया मैसेज भी दे दिया कि जमीनी पकड़ और जनता से सीधा जुड़ाव अभी भी चुनावी राजनीति का सबसे बड़ा हथियार है.

चौथी बार विधानसभा पहुंचने वाले भाया की जीत सिर्फ एक उम्मीदवार की जीत नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार के लिए एक सीधी चेतावनी भी है कि जनता का मूड पल भर में करवट ले सकता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कौन हैं प्रमोद जैन भाया?

इतने वोटों से मिली जीत

प्रमोद जैन भाया की जीत का अंतर 15,594 वोट है, जो साफ बताता है कि अंता की जनता ने बीजेपी की रणनीति को नकारते हुए भाया के पुराने कामों और उनके भरोसे पर अपना वोट एकजुट होकर दिया. 20 राउंड की हाई-वोल्टेज काउंटिंग ने बार-बार एक ही कहानी दोहराई कि अंता में भरोसा अभी भी प्रमोद जैन के नाम पर टिका है.

कौन हैं प्रमोद जैन भाया?

प्रमोद जैन भाया राजस्थान की राजनीति का वह नाम हैं, जिन्होंने लंबे समय से अपनी सादगी, जमीनी जुड़ाव और प्रशासनिक क्षमता के बल पर अंता में एक अलग पहचान बनाई है. 2018 से 2023 तक वे अशोक गहलोत सरकार में खान एवं गोपालन मंत्री रहे और अपने कामकाज को लेकर लगातार चर्चा में रहे. भाया अंता से तीन बार विधायक रह चुके हैं और यह उपचुनाव जीतकर चौथी बार विधानसभा पहुंचे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अंता में भाया एक नेता से बढ़कर एक ऐसे प्रतिनिधि हैं जिन पर जनता बिना हिचक भरोसा करती है.

कैसे मिली प्रमोद जैन को ऐतिहासिक जीत

पिछले विधानसभा चुनाव में मिली हार ने प्रमोद जैन को नई रणनीति बनाने पर मजबूर किया. इस बार उन्होंने जमीनी स्तर पर खुद को और अधिक सक्रिय किया. हर मोहल्ले, हर गांव और हर परिवार से सीधे संवाद किया. लोगों की शिकायतें वही सुनते, उसी वक्त हल का आश्वासन भी देते.

माइक्रो मैनेजमेंट बना निर्णायक हथियार

प्रमोद जैन की टीम ने बारीकी से बूथ-वार रणनीति तैयार की. सोशल, जातीय और स्थानीय समीकरणों को समझकर हर सेक्टर में अलग-अलग प्लान लागू किया गया, जिसका फायदा वोटिंग के दिन साफ दिखा.

कांग्रेस का संयुक्त शक्ति प्रदर्शन

इस उपचुनाव को कांग्रेस ने प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर पूरा हाईकमान अंता में उतार दिया. सचिन पायलट, अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा, टीकाराम जूली और अन्य वरिष्ठ नेताओं का संयुक्त अभियान कार्यकर्ताओं के मनोबल के लिए बूस्टर साबित हुआ. लगातार रोड शो, नुक्कड़ सभाओं और व्यक्तिगत अपील ने कांग्रेस के पक्ष में वातावरण तैयार कर दिया.

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