उदयपुर के एकलिंगजी मंदिर का क्‍या है इतिहास, कड़ी सुरक्षा में विश्‍वराज सिंह मेवाड़ को करना पड़ा दर्शन

पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ की मृत्यु के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ का 77वें महाराणा के रूप में राजतिलक किया गया. उनके राज्याभिषेक के बाद इस बात को लेकर विवाद हो गया. क्योंकि उन्हें कुलदेवी धूणी माता के दर्शन के लिए सिटी पैलेस उदयपुर में प्रवेश नहीं करने दिया गया. दो मंजिला इस मंदिर को पिरामिड स्टाइल छत के साथ बनाया गया है.;

Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 27 Nov 2024 5:03 PM IST

Udaipur News: राजस्थान के उदयपुर के सिटी पैलेस में मेवाड़ के शासक देवता एकलिंगजी मंदिर स्थित है. इन दिनों यह मंदिर एक विवाद की वजह से चर्चा में बना हुआ है. दरअसल बुधवार को विश्वराज सिंह मेवाड़ ने इस मंदिर में दर्शन किए. हालांकि वह धूणी माता के दर्शन नहीं कर पाए. उनके लिए अरविंद सिंह मेवाड़ और लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस का दरवाजा नहीं खोला.

पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ की मृत्यु के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ का 77वें महाराणा के रूप में राजतिलक किया गया. उनके राज्याभिषेक के बाद इस बात को लेकर विवाद हो गया. क्योंकि उन्हें कुलदेवी धूणी माता के दर्शन के लिए सिटी पैलेस उदयपुर में प्रवेश नहीं करने दिया गया.

पूजा को लेकर विवाद

जानकारी के अनुसार विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ में रहते हैं. अरविंद के परिवार ने विश्वराज सिंह को सिटी पैलेस में जाने से रोक दिया. जिससे विश्वराज मेवाड़ के समर्थकों में आक्रोश फैल गया.

क्या है मंदिर का इतिहास?

उदयपुर में एकलिंगजी मंदिर स्थित है. यह भारत के सबसे प्राचीन मंदिर में से एक है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 734ई. में बप्पा रावल ने इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. यह मंदिर एक चार-मुखी मूर्ति की वजह से पूरे भारत में मशहूर है और यह भगवान शिव को समर्पित है. स्थानीय लोगों का कहना है कि 15वीं शताब्दी के दौरान इस मंदिर को लूटने के लिए कई बार आक्रमण भी हुए थे. जिसके बाद इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था.

मंदिर की बनावट

एकलिंगजी मंदिर को एकलिंगजी नाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इसकी वास्तुकला बहुत सुंदर है. दो मंजिला इस मंदिर को पिरामिड स्टाइल छत के साथ बनाया गया है. मंदिर के बीच में काले संगमरमर से बनी एकलिंगजी की एक चार-मुखी मूर्ति है. यहां पर भगवान शिव की करीब 50 फीट विशाल प्रतिमा है. मंदिर की दीवारों पर एक से बढ़कर एक बेहतरीन चित्र बने हुए हैं. यहां घूमने आने का सबसे अच्छा समय शाम को होता है, क्योंकि चारों ओर लाइट्स की चमक मंदिर को देखते ही बनता है. मंदिर में आप सुबह 5 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच दर्शन कर सकते हैं.

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