दीया कुमारी ने की 'घूमर महोत्सव'की शुरुआत, खुद बजाया नगाड़ा, 6 हजार महिलाओं ने किया घूमर डांस
राजस्थान की धरती पर बुधवार का दिन सांस्कृतिक उत्साह और रंगों से सराबोर हो उठा, जब पूरे प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर घूमर महोत्सव का आयोजन किया गया. जयपुर से लेकर सभी सात संभागीय मुख्यालयों तक एक ही लय, एक ही ताल और एक ही परंपरा की गूंज सुनाई दी. उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में पारंपरिक नगाड़ा बजाकर महोत्सव का शुभारंभ किया.;
राजस्थान की मिट्टी में बसे रंग, ताल और परंपराएं जब एक साथ जीवंत हो उठें, तो वह पल इतिहास बन जाता है. बुधवार को ऐसा ही अद्भुत नज़ारा पूरे प्रदेश में देखने को मिला, जब पहली बार सातों संभागीय मुख्यालयों में एक साथ भव्य घूमर महोत्सव का आयोजन हुआ.
हज़ारों महिलाओं ने एक सुर, एक ताल और एक भावना के साथ डांस करते हुए राजस्थान की समृद्ध लोक विरासत को नई ऊंचाई दी. यह आयोजन न सिर्फ सांस्कृतिक उत्सव बना, बल्कि एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम भी दर्ज कर गया. इस दौरान डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने नगाड़ा बजाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
सबसे बड़ा घूमर महोत्सव
उपमुख्यमंत्री तथा पर्यटन, कला और संस्कृति विभाग की मंत्री दीया कुमारी की सोच से शुरू हुआ यह आयोजन राजस्थान की लोकनृत्य परंपरा को नई चमक दे गया. पहली बार पूरे राज्य के सातों संभागीय शहरों में लगभग 6 हजार महिलाएं और लड़कियां एक ही समय पर घूमर नृत्य करती दिखीं, जिसने इस दिन को यादगार बना दिया. रंग-बिरंगे कपड़ों में सजी महिलाएं जब गोल घेरे में घूमर की चाल पर घूमीं और साथ में लोक संगीत की मधुर धुनें गूंजीं, तो पूरा माहौल अद्भुत लगने लगा. यह नजारा न केवल आकर्षक था, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान को दुनिया के सामने और भी मजबूत कर गया.
विद्याधर नगर स्टेडियम में सांस्कृतिक उत्सव का भव्य आगाज़
जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में स्टेडियम सांस्कृतिक उल्लास से भर उठा. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित दिया कुमारी ने पारंपरिक नगाड़ा बजाकर महोत्सव की शुरुआत की. उनके स्वागत में आईं हजारों महिलाओं ने एक साथ घूमर की लय पर थिरकते हुए अनोखा दृश्य रचा. जयपुर सांसद मंजू शर्मा समेत कई महिला प्रतिनिधि इस ऐतिहासिक पल की साक्षी बनीं. दिया कुमारी ने खुद भी सांकेतिक रूप से घूमर प्रस्तुत कर प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया. जब ‘एक बार हो पिया जयपुर शहर पधार जो’ गीत की धुन बजी, तो मानो राजस्थानी लोकसंस्कृति की आत्मा स्टेडियम में उतर आई. हर घूम, हर ताल ने परंपरा की उस प्राचीन शैली को जीवंत किया, जिसे सदियों से राजस्थान की महिलाएं निभाती आई हैं.
परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का संकल्प
महोत्सव के दौरान दीया कुमारी ने महिलाओं से बातचीत करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है जब राजस्थान की पुरानी सांस्कृतिक परंपराओं को नए विचारों और लोगों की भागीदारी के साथ आगे ले जाना होगा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पर्यटन और संस्कृति को ऐसा मजबूत ढांचा देना चाहती है, जो लंबे समय तक टिक सके और जिसकी पहचान दुनिया भर में बने. कार्यक्रम में स्व. पद्मश्री राजमाता गोवरधन कुमारी, जिन्होंने राजस्थानी लोकनृत्यों को संभालने में बड़ा योगदान दिया, उनकी याद में एक छोटा सा वीडियो भी दिखाया गया. इस प्रजेंटेशन ने पूरे आयोजन को और ज्यादा भावुक और खास बना दिया.