स्कूल में मजे... सेक्सुअल हैरेसमेंट के बाद छात्रा ने डाला पोस्ट, POCSO केस में दोषी टीचर को मिली रिहाई, जानें पूरा मामला
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस के एक मामले में सजा काट रहे शिक्षक को बड़ी राहत दी है. अदालत ने उसकी सजा को अपील के लंबित रहते हुए निलंबित कर दिया. यह फैसला जस्टिस नमित कुमार की एकल पीठ ने सुनाया, जिन्होंने अपने आदेश में पीड़िता के व्यवहार और घटना के बाद उसके रवैये पर गंभीर टिप्पणी की.;
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक चौंकाने वाले मामले में पोक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए शिक्षक की सजा को निलंबित कर दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता के व्यवहार और सोशल मीडिया एक्टिविटी को देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि उसके साथ इतनी गंभीर घटना हुई थी.
कोर्ट ने पाया कि जिस छात्रा ने शिक्षक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. उसने कथित घटना के अगले ही दिन स्कूल में तस्वीरें खींचीं और इंस्टाग्राम पर स्कूल में मजे कैप्शन के साथ पोस्ट कीं. ऐसे में अदालत ने माना कि पीड़िता का बर्ताव किसी ऐसे व्यक्ति जैसा नहीं था, जिसने हाल ही में ट्रॉमा या डर का एक्सपीरियंस किया हो.
क्या है केस?
दरअसल 7वीं क्लास की छात्रा ने टीचर दिनेश कुमार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसे मिलने के बहाने बुलाकर गलत तरीके से छुआ था. इतना ही नहीं, बच्चे के साथ आपत्तिजनक बातें भी की थी. छात्रा ने घर जाकर अपने माता-पिता को ये बात बताई थी, जिसके बाद पुलिस ने पोक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज की. ट्रायल कोर्ट ने दिनेश कुमार को दोषी ठहराकर 5 साल की सजा सुनाई थी.
कैसे बदला केस का रुख?
अदालत के अनुसार, कथित घटना के अगले ही दिन यानी 3 नवंबर 2022 को छात्रा अपने माता-पिता के साथ स्कूल में पेरेंट्स-टीचर्स मीटिंग में शामिल हुई थी. न केवल वह स्कूल पहुंची बल्कि उसने वहां कुछ फोटोज भी खींचीं और अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर "स्कूल में मजे" जैसा कैप्शन डालकर उन्हें शेयर किया. इस पर अदालत ने कहा कि ऐसा व्यवहार उस मानसिक स्थिति से मेल नहीं खाता जो किसी हालिया यौन उत्पीड़न की पीड़िता की हो सकती है.जस्टिस नमित कुमार ने लिखा कि इस तरह के गंभीर अपराध के बाद आम तौर पर बच्चों में डर, झिझक और भावनात्मक अस्थिरता दिखती है. लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं नजर आया. इससे अभियोजन के दावे की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं. इसलिए कोर्ट ने आरोपी को राहत दी.
टीचर ने सफाई में कही ये बात
हालांकि याची पक्ष ने तर्क दिया कि उसने छात्रा को स्कूल में मोबाइल लाने और वीडियो बनाने के लिए डांटा था. उसी का बदला लेने के लिए छात्रा ने झूठी शिकायत दर्ज कराई. हाईकोर्ट ने माना कि सजा के खिलाफ अपील की जल्द सुनवाई की संभावना नहीं है और आरोपी पिछले एक साल से जेल में है. इसके अलावा मामले में कोई मेडिकल या वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं मिले. इन तथ्यों के आधार पर अदालत ने सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित करने का आदेश दिया.