अपनी पीठ पर बना दिया पुल... बच्चों को मौत के मुंह से बचाकर पार कराया रास्ता, देखें VIDEO
देश के कई राज्यों में मानसून से बुरा हाल है. बारिश के कारण सड़के और पुल टूटने की खबरें आम हो चुकी हैं. ऐसा ही एक मामला पंजाब के मोगा से आया है, जहां गांव की मुख्य सड़क बह गई. इसके चलते स्कूल के बच्चे फंस गए. जहां दो युवकों ने अपनी समझदारी और हिम्मत से 30 बच्चों को रास्ता पार कराया. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.;
पंजाब के मोगा जिले के कस्बे निहाल सिंह वाला में आसमान जैसे फट पड़ा. तेज़ बारिश के कारण गांव मल्लेयाना को जोड़ने वाली मुख्य सड़क का एक हिस्सा पानी में बह गया. उसी समय जगरांव स्कूल से लौट रहे गांव के करीब 30 स्कूली बच्चे उसी रास्ते पर फंस गए. पानी का बहाव इतना तेज था कि कोई सोच भी नहीं सकता था कि उसे पार करना मुमकिन होगा.
तभी गांव के दो युवा गगनदीप सिंह और सुखविंदर सिंह बिना एक पल गंवाए, बच्चों की मदद के लिए दौड़े. गांववालों की मदद से उन्होंने स्थिति को समझा और तुरंत एक साहसिक कदम उठाया और सभी बच्चों को रास्ता पार कराया.
हिम्मत बनी बच्चों की ढाल
दोनों युवक ने दिमाग लगाया और वह पानी के उस कटे हुए हिस्से में घुटनों के बल बैठ गए, जहां पानी का बहाव जानलेवा था. एक-एक कर बच्चों को अपनी पीठ पर बिठाकर उन्होंने उन्हें उस पार पहुंचाया. कुल मिलाकर 30 बच्चे और स्कूल स्टाफ के कुछ सदस्य इस हौसले और इंसानियत की मिसाल के चलते सुरक्षित बाहर निकल सके.
ऐसे हीरों को मिले सम्मान
मोगा के ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि गांव की सड़क को तत्काल दुरुस्त किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो. साथ ही, उन्होंने गगनदीप और सुखविंदर को सरकारी स्तर पर सम्मानित करने की भी अपील की.
बठिंडा में छलांग लगाकर बचाई 11 जानें
इसी दिन बठिंडा जिले में भी एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला वाकया हुआ. एक कार अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरी, जिसमें 11 लोग सवार थे और चीख-पुकार मच गई. मौके पर मौजूद एक पुलिसकर्मी ने बिना एक पल सोचे अपनी जान की परवाह किए बिना नहर में छलांग लगा दी. पानी गहरा था, करंट तेज़ था, लेकिन उस जाबाज़ पुलिसकर्मी ने एक-एक करके सभी 11 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला.
चाहे मूसलधार बारिश हो या उफनती नहर, पंजाबियों की यही खासियत है कि वो मुसीबत में पीछे नहीं हटते. वे अपनी जान जोखिम में डालकर भी दूसरों की मदद करना जानते हैं. गगनदीप, सुखविंदर और वह पुलिसकर्मी आज के समाज के वे हीरो हैं, जिन्हें न तो पद की ज़रूरत है, न ही किसी मेडल की. उनका असली सम्मान लोगों के दिलों में है.