विजय शाह को क्यों नहीं हरा पा रही BJP? 10 Points में बदज़ुबान मंत्री की विजयगाथा
मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान देकर राजनीतिक हलचल मचा दी है, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी उनके खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठा रही. विजय शाह हरसूद सीट से आदिवासी नेता हैं. वे कई बार विधायक रह चुके हैं, जिससे उनका जनाधार बेहद मजबूत है. पार्टी को डर है कि उन्हें हटाने से आदिवासी वोट बैंक नाराज़ हो सकता है या वे बागी हो सकते हैं. विपक्ष की कमजोरी और स्थानीय संगठन पर उनकी पकड़ भी उन्हें अजेय बनाती है.;
MP minister Vijay Shah controversy: कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह एक सुर्खियों में हैं. विपक्ष उन पर न केवल महिलाओं के अपमान का आरोप लगा रहा है, बल्कि बीजेपी की चुप्पी पर भी सवाल उठा रहा है. बयानबाज़ी के बावजूद पार्टी उनके खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठा रही, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि आख़िर भाजपा उनके खिलाफ कार्रवाई से डर क्यों रही है?
विजय शाह वर्तमान में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा सीट से विधायक हैं और लंबे समय से लगातार जीतते आ रहे हैं. ‘बदज़ुबान’ छवि और तमाम विवादों के बावजूद उनका जनाधार ऐसा है कि बीजेपी भी उन्हें नजरअंदाज़ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती. आदिवासी समाज में उनकी गहरी पकड़, मजबूत वोट बैंक और विपक्ष की कमजोरी उन्हें अजेय बनाती है.
विजय शाह को क्यों नहीं हरा पा रही बीजेपी?
- मजबूत आदिवासी वोट बैंक: आदिवासी समुदाय में विजय शाह की गहरी पकड़ है. हरसूद सीट इसी जनसंख्या का गढ़ है. उन्हें हटाने से बीजेपी को इस पूरे वोट बैंक के खिसकने का डर है.
- कई बार विधायक रह चुके, स्थानीय लोकप्रियता: विजय शाह 1990 से अब तक 8 बार विधायक रह चुके हैं. उनका जीत का रिकॉर्ड पार्टी के लिए भरोसे का कारण है.
- बगावती कदम का डर: बीजेपी को डर है कि अगर पार्टी उन्हें टिकट नहीं देती या कार्रवाई करती है, तो उनके बागी होकर चुनाव लड़ने का खतरा है, जिससे सीट का नुकसान हो सकता है.
- विकास और कामकाज का दावा: उनके समर्थक उन्हें क्षेत्र में विकास कार्यों जैसे सड़क, स्कूल और पानी जैसी सुविधाओं के लिए श्रेय देते हैं, जिससे उनका आधार मज़बूत है.
- बीजेपी नेतृत्व के प्रति वफादारी: पार्टी के उच्च नेतृत्व के प्रति उनकी निष्ठा बनी रही है, जिससे हाईकमान उनके खिलाफ सीधी कार्रवाई से बचता है.
- विपक्ष की कमजोरी: कांग्रेस या अन्य दल इस क्षेत्र में कोई ऐसा चेहरा पेश नहीं कर पाए जो विजय शाह की टक्कर ले सके.
- कार्यकर्ता नेटवर्क और संसाधन: उनके पास मजबूत जमीनी कार्यकर्ता नेटवर्क और चुनाव लड़ने के लिए संसाधनों की भरमार है, जो उन्हें हर मुकाबले में सक्षम बनाता है.
- ‘बेबाक नेता’ की छवि: भले ही वे विवादित बयान देते हों, लेकिन उनके समर्थकों के बीच उन्हें ‘बेबाक’ और 'सच्चा आदमी' माना जाता है, जिससे उनका आधार नहीं डगमगाता.
- भाजपा की आदिवासी रणनीति का हिस्सा: विजय शाह को हटाना पार्टी की आदिवासी समर्पण नीति पर चोट हो सकती है, खासकर आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए. वे प्रमुख आदिवासी चेहरे हैं. प्रदेश में 22 आदिवासी हैं, जिनका 47 विधानसभा और 6 लोकसभा सीटों पर दबदबा है. ऐसे में पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती.
- स्थानीय संगठन पर गहरी पकड़: हरसूद और आसपास के क्षेत्र में बीजेपी संगठन में उनका प्रभाव इतना गहरा है कि अगर उन्हें नज़रअंदाज़ किया जाए तो पार्टी भीतर से ही टूट सकती है.