मध्य प्रदेश में बढ़ता जा रहा यूरिया संकट, लूटे जा रहे फर्टिलाइजर के ट्रक, दो हफ्तों में दो किसानों की मौत, कब मिलेगा समाधान
मध्य प्रदेश में यूरिया संकट लगातार गहराता जा रहा है, जिससे किसान भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. उर्वरक की कमी के चलते वितरण केंद्रों पर लंबी कतारें लग रही हैं और हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पिछले दो हफ्तों में दो किसानों की मौत हो चुकी है. खेतों में बोआई और फसलों की ज़रूरत बढ़ने के बीच यूरिया की कमी ने किसानों में नाराज़गी और चिंता दोनों बढ़ा दी हैं. बढ़ते विरोध, अव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं.;
मध्य प्रदेश में यूरिया का संकट दिनों-दिन गहराता जा रहा है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि खाद के लिए लंबी कतारों में खड़े किसानों की बेबसी अब त्रासदी में बदलने लगी है. पिछले दो हफ्तों में दो किसानों की मौत ने सिस्टम की लापरवाही और प्रशासनिक तैयारियों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं.
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उधर दूसरी तरफ, खाद की किल्लत ने अव्यवस्था को इतना बढ़ा दिया है कि कई जिलों में फर्टिलाइज़र से भरे ट्रकों की लूटपाट तक होने लगी है. यह परिस्थिति न सिर्फ कृषि व्यवस्था की कमज़ोरी उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किसानों को बुनियादी जरूरतों के लिए भी किस हद तक संघर्ष करना पड़ रहा है. सवाल यह है कि जब संकट हर साल दोहराया जाता है, तो समाधान कब मिलेगा? आखिर कब किसानों को समय पर खाद, सुरक्षा और राहत देने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे?
दो हफ्ते में दो किसानों की मौत
टीकमगढ़ जिले में यूरिया की कमी एक और किसान की जान ले गई. सोमवार को 52 साल के जमुना कुशवाहा यूरिया लेने के लिए केंद्र की लाइन में खड़े थे, तभी उनकी हालत बिगड़ गई. वह तीन दिनों से लगातार यूरिया लेने की कोशिश कर रहे थे. आखिरी दिन तो वे बिना नाश्ता किए ही सुबह-सुबह केंद्र पहुंच गए. दोपहर होते-होते उन्हें चक्कर आया और वे बेहोश होकर गिर पड़े. अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पोस्टमॉर्टम में उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया. यह दो हफ्तों में दूसरी ऐसी दुखद घटना है. इससे पहले 26 नवंबर को ग्वाना जिले में 45 साल की भूरी बाई भी यूरिया की लाइन में खड़े रहने के बाद अपनी जान गंवा चुकी थीं.
फर्टिलाइजर आपूर्ति पर सवाल
टीकमगढ़ के कृषि उप संचालक अशोक शर्मा का कहना है कि जिले में अब तक 19,000 टन यूरिया बांटा जा चुका है और सरकार ने 2,800 टन और मंगाने का अनुरोध किया है. उनका दावा है कि बडोरा घाट केंद्र पर किसी किसान की मौत नहीं हुई और यूरिया वितरण पूरी तरह टोकन सिस्टम के आधार पर हो रहा है.
लेकिन किसान इस दावे से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि टोकन सही तरीके से नहीं बांटे जाते और कई बार लोगों को घंटों लंबी कतारों में खड़े रहने के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ता है. किसान लगातार आरोप लगा रहे हैं कि व्यवस्था जमीन पर कहीं भी ठीक तरह से काम नहीं कर रही.
किसानों का आक्रोश और सड़क पर प्रदर्शन
फर्टिलाइजर की कमी ने टीकमगढ़ और आसपास के जिलों में हालात बेहद तनावपूर्ण कर दिए हैं. सोमवार को खरगपुर में गुस्साए किसानों ने मुख्य सड़क जाम कर दी, जिससे कई किलोमीटर लंबा ट्रैफिक फंस गया.
किसान लूट ले गए ट्रक
पिछले हफ्ते जतारा कृषि मंडी में तो हालात और बिगड़ गए. यहां यूरिया से भरे दो ट्रक पहुंचे ही थे कि लंबे समय से खाद की तलाश में भटक रहे किसानों की भीड़ अचानक उमड़ पड़ी. मार्केट मैनेजर रामकुमार सोनी के मुताबिक, किसान कई दिनों से अलग-अलग केंद्रों और समितियों के चक्कर लगा रहे थे, लेकिन कहीं भी यूरिया नहीं मिल रहा था. जब ट्रक मंडी में आए, तो कुछ लोगों ने जल्दबाज़ी और गुस्से में ट्रकों से यूरिया के बैग उठा लिए, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई. हालांकि बाद में पुलिस और प्रशासन ने स्थिति संभाल ली, लेकिन इस घटना ने साफ दिखा दिया कि जिले में सप्लाई सिस्टम और प्रशासनिक व्यवस्था में कितनी बड़ी खामियां हैं.
सरकार की प्रतिक्रिया और बढ़ती मांग
भूरी बाई की मौत के बाद राज्य और केंद्र सरकार में हड़कंप मच गया. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तुरंत उनके परिवार से मिलने पहुंचे और स्थानीय अधिकारियों को सख्त शब्दों में फटकार लगाई. इधर, देशभर में यूरिया की मांग लगातार बढ़ रही है. अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में खपत 40 मिलियन टन तक पहुंच सकती है.
किसानों की कतार में मौतें, हड़बड़ी और प्रदर्शन यह सवाल उठाते हैं: क्या प्रशासन और आपूर्ति प्रबंधन समय पर किसानों की जरूरतों को समझ पा रहा है? या फिर यह सिस्टम में गहरी खामियों का इमोशनल नतीजा है, जो सीधे किसानों की जिंदगी को खतरे में डाल रहा है?