ऐसे पड़ा था अलीराजपुर का नाम, अब नए नाम से जाना जाएगा मध्यप्रदेश का ये जिला; जानें पूरा इतिहास
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले का नाम अब बदलकर आलीराजपुर कर दिया गया है. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी. 2008 में बने इस जिले का नाम लंबे समय से बदलाव की मांग पर आधारित है. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए अब सरकारी दस्तावेजों और रिकॉर्ड में इसका नया नाम लागू होगा.;
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले का नाम अब औपचारिक रूप से बदलकर आलीराजपुर कर दिया गया है. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी. अब से सरकारी रिकॉर्ड, राजस्व विभाग के दस्तावेज और प्रशासनिक कागजात में जिले का नाम ‘आलीराजपुर’ ही दर्ज होगा. यह बदलाव न केवल प्रशासनिक दृष्टि से अहम है बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी ऐतिहासिक महत्व रखता है.
यह फैसला अचानक नहीं लिया गया है. लंबे समय से स्थानीय लोगों की यह मांग थी कि जिले का नाम उसके मूल स्वरूप आलीराजपुर में ही जाना जाए. कलेक्टर द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा और गृह मंत्रालय ने 21 अगस्त को NOC जारी करते हुए इसे हरी झंडी दे दी. अधिसूचना जारी होते ही अब जिले का नाम हर जगह आधिकारिक रूप से बदल दिया जाएगा.
कब और कैसे बना जिला?
अलीराजपुर जिले का गठन 17 मई 2008 को झाबुआ से अलग करके किया गया था. उस समय इसका नाम तत्कालीन मुख्यालय पर आधारित था. लेकिन लोगों की भावनाओं और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए अब इसे उसके मूल नाम से पुकारा जाएगा. यह बदलाव जिले की पहचान को और भी मजबूत करने वाला साबित होगा.
नाम बदलने की कवायद कब शुरू हुई?
दिलचस्प बात यह है कि जिले के नाम बदलने की प्रक्रिया 2012 में ही शुरू हो गई थी. जिला योजना समिति की बैठक में यूनिवर्सल सृजन जनसेवा नामक एनजीओ ने ज्ञापन देकर मांग की थी कि जिले का नाम अलीराजपुर नहीं बल्कि आलीराजपुर होना चाहिए. करीब 13 साल की लंबी प्रक्रिया और कई स्तरों की अनुमति के बाद 2025 में आखिरकार यह सपना पूरा हुआ.
नाम के पीछे की कहानी
आलीराजपुर नाम के पीछे इतिहास छिपा है. 18वीं शताब्दी में राजा प्रताप सिंह प्रथम के वजीर मुसाफिर मकरानी ने इस क्षेत्र का नामकरण सुझाया था. उस समय यहां राजपुर नामक कस्बा और उसके पास ही आली नाम का गांव था. दोनों को मिलाकर ‘आलीराजपुर’ नाम रखा गया. लेकिन अंग्रेजी शासनकाल में स्पेलिंग बदलकर ‘अलीराजपुर’ कर दिया गया. अब इस ऐतिहासिक नाम को फिर से सही रूप में बहाल कर दिया गया है.
राजा आलिया भील की विरासत
आलीराजपुर का इतिहास भील जनजाति से गहराई से जुड़ा हुआ है. 15वीं सदी में यहां राजा आलिया भील का शासन था और उनके नाम पर ही इस इलाके को ‘आलीराजपुर’ कहा गया. मुगलों और बाद में मराठों के शासनकाल में भी इसका महत्व बना रहा. अंग्रेजों के आने के बाद यह एक स्वतंत्र रियासत बन गया, जो ब्रिटिश भारत की मध्य भारत एजेंसी का हिस्सा था.
आजादी के बाद से अब तक का सफर
भारत की आजादी के बाद आलीराजपुर मध्य भारत का हिस्सा रहा और बाद में मध्य प्रदेश में सम्मिलित हो गया. शुरू में यह झाबुआ जिले का भाग था, लेकिन 2008 में इसे अलग जिले का दर्जा दिया गया. इस जिले में आज भी भील आदिवासी बाहुल्य है, जो अपनी परंपराओं और संस्कृति से इसे विशिष्ट पहचान दिलाते हैं.
सांस्कृतिक पहचान और नया अध्याय
आलीराजपुर नाम की बहाली केवल प्रशासनिक आदेश नहीं है, बल्कि यह जनता की भावनाओं और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है. यह कदम जिले की पहचान को न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे देश में एक नई पहचान देगा. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह बदलाव स्थानीय लोगों की वर्षों की मांग और संघर्ष की जीत है.