गजब है MP! टॉपर को मिले 100 में से 101 अंक, छात्रों ने जमकर काटा बवाल

मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए एक एग्जाम में एक शख्स को 100 से ज्यादा नंबर मिल जाने पर लोग नाराज हो गए. इस परीक्षा का रिजल्ट 13 दिसंबर को घोषित किया गया था. इस घटना की वजह से नौकरी के इच्छुक युवा नाराज हो गए हैं और जांच की मांग को लेकर इंदौर में विरोध प्रदर्शन किया.;

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मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई वन एवं जेल विभाग की संयुक्त भर्ती परीक्षा 2023 में नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस के चलते एक अभ्यर्थी को 100 में से 101.66 अंक मिलने पर विवाद खड़ा हो गया है. इससे नौकरी के इच्छुक युवा नाराज हो गए हैं और जांच की मांग को लेकर इंदौर में विरोध प्रदर्शन किया.

नॉर्मलाइजेशन एक तकनीकी प्रोसेस है, जिसका उपयोग परीक्षा के अलग-अलग सत्रों में प्रश्नपत्रों की कठिनाई में होने वाले अंतर को बैलेंस करने के लिए किया जाता है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी अभ्यर्थी को प्रश्नपत्र के आसान या कठिन होने के वजह से अनुचित लाभ या नुकसान न हो. परीक्षा रिजल्ट को तुलनीय बनाने के लिए छात्रों के स्कोर में संशोधन किया जाता है.

कैसे हुआ विवाद?

वन एवं जेल विभाग की भर्ती परीक्षा का रिजल्ट 13 दिसंबर को घोषित किया गया था. इस परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस के कारण एक अभ्यर्थी को कुल अंकों (100) से अधिक 101.66 अंक मिले. इस घटना ने अभ्यर्थियों के बीच संदेह और नाराजगी पैदा कर दी. नौकरी के इच्छुक युवाओं ने इसे परीक्षा प्रणाली में गड़बड़ी का संकेत बताते हुए इंदौर में विरोध प्रदर्शन किया.

मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन

प्रदर्शनकारी बेरोजगार युवाओं ने इंदौर के जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने इकट्ठा होकर मुख्यमंत्री मोहन यादव के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में भर्ती प्रक्रिया में हुई इस अनियमितता की जांच की मांग की गई.

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसी घटना सामने आई है, जिसमें "नॉर्मलाइजेशन" के चलते उम्मीदवार को 100 से ज्यादा अंक मिले हैं. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे गोपाल प्रजापत ने कहा, "हम इस अनुचित नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस के खिलाफ हैं. सही जांच होनी चाहिए ताकि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे."

बोर्ड का स्पष्टीकरण

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड ने रिजल्ट घोषित करते हुए स्पष्ट किया कि परीक्षा के नियमों के अनुसार नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस लागू किया गया है. बोर्ड के मुताबिक, इस प्रक्रिया के तहत अंक शून्य से नीचे या पूर्ण अंक (100) से ऊपर भी जा सकते हैं.

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