अब लड़कियों को नहीं चाहिए दाढ़ी वाला ब्वॉयफ्रेंड, इंदौर में सड़कों पर उतरीं महिलाएं

हम सभी को बेहतर जीवन के लिए कहीं न कहीं विरोध करना पड़ता है. आपने अच्छी पढ़ाई, रोजगार और सुविधाओं के लिए देश भर में हो रहे विरोधों के बारे में जरूर सुना होगा, लेकिन क्या हो जब महिलाएं दाढ़ी के लिए प्रदर्शन करने लगे?;

( Image Source:  Credit- @ghantaa )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 18 Oct 2024 7:32 PM IST

दुनिया भर में कई जरूरी मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जाते हैं. हमें कानून प्रोटेस्ट करने का अधिकार देता है. लेकिन क्या हो जब प्रदर्शन के बारे में सुन आपको हैरानी न होकर हंसी आने लगे? यह कहना गलत नहीं होगा कि एक जमाना था जब लड़कियों को दाढ़ी वाले लड़के पसंद आते थे, लेकिन अब दौर बदल गया है. हाल ही में इंदौर की महिलाओं ने दाढ़ी के खिलाफ प्रोटेस्ट किया है. सुनकर अजीब लग रहा होगा न? लेकिन यह सच है. इस प्रदर्शन में महिलाओं ने दाढ़ी को लेकर जो अजीबो-गरीब मांग रखी,  जिसे जान आप भी सोचेंगे.. हाय रे जमाना. चलिए जानते हैं क्या है मामला.

सड़कों पर उतरीं इंदौर की महिलाएं

यह इंदौर की खबर है. इस प्रोटेस्ट में अलग-अलग महिलाएं अपने हाथों में पोस्ट लिए खड़ी हैं. इन पोस्टर में “दाढ़ी हटाओ, या गर्लफ्रेंड भूल जाओ,नो क्लीन शेव, नो लव, और बियर्डलेस बॉयफ्रेंड की तमन्ना अब हमारे दिल में है, जैसे स्लोगन लिखे हुए थे. अब इस बारे में नहीं पता चला है कि यह एंटी फेशियल हेयर मूवमेंट है या सिर्फ चर्चा में आने का एक तरीका है.

दाढ़ी नहीं पसंद तो...यूजर ने किए ऐसे कमेंट

इस खबर के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर अलग-अलग राय दे रहे हैं. इस पर एक इंस्टाग्राम यूजर ने कहा, "मैं आपके लिए अपने प्यूबिक हेयर तक नहीं हटाऊंगा. दूसरे यूजर ने लिखा- इस तरह की इंदौर की लड़कियां कृपया घर के अंदर रहे. कुछ लोगों ने इस प्रोटेस्ट पर सवाल भी उठाए हैं. अगर आपको दाढ़ी पसंद नहीं है, तो क्लीन-शेव्ड लड़के को चुनें.

इस तरह का हंगामा करने का क्या मतलब है?" हमारे पूरे इतिहास में, पुरुषों की दाढ़ी रही है. जब से हम आदिम जानवर के रूप में शुरू हुए, तब से लेकर मॉर्डन वर्ल्ड में हमारे ट्रासिजंशन तक. सिर्फ इसक

यूजर ने बताया बिर्यड रखने का मतलब

एक यूजर ने बताया कि फेशियल हेयर रखने का मकसद बदल गया है. प्रागैतिहासिक पुरुष गर्मी के लिए दाढ़ी रखते थे. दाढ़ी शक्ति और सम्मान का प्रतीक भी मानी जाती थी. 

2010 के बाद पुरुषों में दाढ़ी रखने का चलन बढ़ गया था. इसके बाद कई एंटी-बियर्ड कैंपेन भी हुए, जिसने पुरुषों को खुद के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित किया. 

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