1930 में टपरी से शुरू किया आश्रम, आज धाम में हैं 3 बस अड्डे, 1500 बीघे में फैला आनंदपुर नहीं है किसी खूबसूरत शहर से कम

कोई भी आनंदपुर धाम आश्रम के अंदर बिना परमिशन के नहीं जा सकता है. इतना ही नहीं धाम के अंदर आप अपनी इच्छा अनुसार भी नहीं घूम सकते हैं. मैनेजमेंट सभी की गतिविधी पर पैनी नजर रखता है, ताकि किसी भी तरह की कोई परेशान न हो.;

( Image Source:  shrianandpur.org )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 11 April 2025 7:21 PM IST

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के आनंदपुर धाम गए. जहां उनका स्वागत धर्मगुरुओं ने किया. इसके बाद पीएम ने गुरुजी महाराज मंदिर में पूजा अर्चना की. इस आश्रम को परमहंस अद्वैतानंद महाराज को श्री परमहंस दयाल महाराज जी के नाम से भी जाना जाता है. उनका जन्म भारत के छपरा शहर में हुआ था.

श्री परमहंस अद्वैत मत के 'प्रथम आध्यात्मिक गुरु' के रूप में जाना जाता है, जबकि उन्होंने 1900 के दशक की शुरुआत में 'द्वितीय गुरु' और श्री स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज को भी दीक्षा दी थी. इस धाम में कई साधु- संत अपनी इच्छा से लोगों की सेवा करते हैं. चलिए जानते हैं कैसे हुई इस आश्रम की स्थापना.

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टपरी से शुरू किया आश्रम

माना जाता है कि आनंदपुर धाम में परमहंस अद्वैतानन्द महाराज ने समाधि ली थी. साल 1930 के आसपास महाराज ने एक टपरी से इस आश्रम की शुरूआत की थी. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस आश्रम के अंदर तीन बसअड्डे और फायर ब्रिगेड है. इसके अलावा, सुंदर गार्डन भी है, जहां लोग बैठ सकते हैं. मॉर्डन मशीनें, सीसीटीवी सर्विलांस, प्राइवेट सिक्योरिटी और गाड़ियों के लिए वर्कशॉप भी हैं.

 5 गुरूओं के हैं मंदिर 

1500 बीघे में बने आनंदपुर धाम आश्रम में पांच मंदिर हैं. खास बात यह है कि गुरुओं के मंदिर इस तरह से बनाए गए हैं कि यह चारों तरफ से तालाबों से जुड़े हैं. इस आश्रण में करीब 1500 लोगों के रहने की व्यवस्था है. जो लोग दर्शन के लिए जाते हैं, उन्हें एक अलग रास्ते से मंदिर ले जाया जाता है. लोगों को मंदिर तक पहुंचाने के लिए आश्रम के पास अपनी गाड़ियां हैं.

आश्रम चलाता है स्कूल और अस्पताल 

आनंदपुर धाम ट्रस्ट स्कूल और अस्पताल भी चलाता है. यह ट्रस्ट सारी प्रॉपर्टी को भी मैनेज करने का काम करता है. फिलहाल आश्रम के जरिए अशोकनगर जिले में तीन स्कूल और अस्पताल चल रहे हैं. स्कूल में बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया जाता है. साथ ही, मिड डे मिल भी दिया जाता है और स्कूल ड्रेस भी दी जाती है. वहीं, अस्पताल में लोगों के इलाज के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाता है और दवाइयां भी मिलती है.

अनुमति है जरूरी

कोई भी आनंदपुर धाम आश्रम के अंदर बिना परमिशन के नहीं जा सकता है. इतना ही नहीं धाम के अंदर आप अपनी इच्छा अनुसार भी नहीं घूम सकते हैं. मैनेजमेंट सभी की गतिविधी पर पैनी नजर रखता है, ताकि किसी भी तरह की कोई परेशान न हो.

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