झारखंड का डॉन खत्म! खूंखार उग्रवादी पप्पू लोहरा का खून से रंगा इतिहास जान हिल जाएंगे, एनकाउंटर में मार गिराया

पप्पू लोहरा की कहानी की शुरुआत माओवादी आंदोलन से हुई थी. वह एक समय माओवादियों के साथ काम करता था, लेकिन बाद में किसी कारणवश मतभेद बढ़े और वह अलग हो गया. जानकारों का मानना है कि उसने माओवादियों को धोखा दिया था. इसी कारण माओवादियों ने उसे मारने का हुक्म जारी कर दिया;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 25 May 2025 4:47 PM IST

झारखंड के तीन जिलों लातेहार, लोहरदगा और पलामू में दशकों से दहशत का पर्याय बन चुका पप्पू लोहरा अब इस दुनिया में नहीं रहा. प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) का यह कुख्यात सुप्रीमो शुक्रवार रात लातेहार जिले में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया.

यह मुठभेड़ उसके ही गांव लुंडी (सदर थाना क्षेत्र) से कुछ दूरी पर हुई, जहां वह कभी बेताज बादशाह की तरह राज करता था. इलाके के लोग कहते थे कि 'यहां बिना पप्पू की मर्जी के एक पत्ता भी नहीं हिलता.' चलिए जानते हैं पप्पू लोहरा की क्राइम कुंडली.

कभी माओवादी, फिर बना उनका दुश्मन

पप्पू लोहरा की कहानी की शुरुआत माओवादी आंदोलन से हुई थी. वह एक समय माओवादियों के साथ काम करता था, लेकिन बाद में किसी कारणवश मतभेद बढ़े और वह अलग हो गया. जानकारों का मानना है कि उसने माओवादियों को धोखा दिया था. इसी कारण माओवादियों ने उसे मारने का हुक्म जारी कर दिया. लेकिन पप्पू ने समय रहते चतुराई दिखाई और माओवादियों की आंखों में धूल झोंक फरार हो गया. बाद में जब जेजेएमपी के संजय यादव की मौत हुई, तब पप्पू संगठन का नया सुप्रीमो बन गया. 

जंगल से शहर तक फैलाया आतंक

शुरुआत में पप्पू लोहरा जंगलों में छिपकर काम करता था. धीरे-धीरे उसका नेटवर्क शहरों तक फैल गया. उसने लेवी वसूलने, हत्याएं करने और लोगों को डराने का काम बड़े पैमाने पर किया.उसका इतना दबदबा था कि कोई भी निर्माण कार्य या व्यापार उसकी मर्जी के बिना संभव नहीं था. माओवादियों तक को उसके इलाके में पैर रखने की हिम्मत नहीं होती थी.

10 लाख का इनामी 

मुठभेड़ खत्म होने के बाद पुलिस को दो शव बरामद हुए – पप्पू लोहरा और प्रभात गंजू के। प्रभात गंजू जेजेएमपी का सब-जोनल कमांडर था। इसके अलावा एक और उग्रवादी के पैर में गोली लगी थी, जिसे पुलिस ने जिंदा पकड़ लिया. पप्पू लोहरा पर10 लाख और प्रभात गंजू पर 5 लाख का इनाम था. उनके मारे जाने को सुरक्षा बलों ने बड़ी सफलता बताया है.

झारखंड को मिली बड़ी राहत

पप्पू लोहरा का अंत सिर्फ एक अपराधी की मौत नहीं, बल्कि उस आतंक के अंत की शुरुआत है जिसने वर्षों से हजारों लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित किया. अब इलाके के लोग राहत की सांस ले रहे हैं, उम्मीद है कि आने वाले दिन शांतिपूर्ण होंगे.

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