रांची विश्वविद्यालय में शिक्षक नियुक्ति पर बवाल, NSUI ने किया विरोध प्रदर्शन

रांची विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर बवाल मच गया है. NSUI ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया है, जिसमें प्रदेश सचिव पवन कुमार, गुलशन सिंह, प्रिंस राज, विश्वजीत, प्रियांशु, अकमल, शाहनवाज, आयुष, आदित्य समेत कई छात्र शामिल थे.;

( Image Source:  ranchiuniversity )
Edited By :  हेमा पंत
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झारखंड एनएसयूआइ ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. अजीत कुमार सिन्हा का पुतला फूंका. इस दौरान राष्ट्रीय संयोजक आरुषि वंदना, प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अहमद, प्रदेश महासचिव अभिजीत सिंह, तनु राजपूत, अब्दुल राबनवाज मौजूद थे.

इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष विनय उरांव ने कहा कि फिलहाल रांची यूनिवर्सिटी UGC की नियमावली के तहत चल रही नियुक्ति की प्रक्रिया नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर का हायरिंग प्रोसेस चल रहा है. इसके लिए कैंडिडेट्स का एजुकेशन डॉक्यूमेंटेशन का वेरिफिकेशन किया जा रहा है. इस हायरिंग में यूजीसी की क्वालिफिकेशन से जुड़े रूल्स फॉलो किए जा रहे हैं. हालांकि, बता दें कि यूजीसी ने स्टेट और यूनिवर्सिटी को अपने खुद के रूल्स बनाने का आदेश दिया है.

खुद के बनाएं नियम

इस मामले में वियन उंराव ने बताया कि यूजीसी का कहना है कि राज्य की यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए राज्य पब्लिक सर्विस कमिशन अपॉइंटमेंट के लिए खुद के रूल्स बना सकती है. साथ ही, इसके के जरिए हायरिंग भी करनी चाहिए. झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन ने इसके लिए गाइड तैयार कर ली है और इसे फॉलो करने के लिए राज्य सरकार को भेज दिया है.

8 यूनिवर्सिटी में हो रही हायरिंग

अभी पब्लिक सर्विस कमिशन के चेयरमैन और मेंबर्स का पद खाली हैं. वहीं, परमानेंट हायरिंग नहीं की जा रही है. इस कारण से सरकार कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर की हायरिंग कर रही है. यह नियुक्ति राज्य के 8 यूनिवर्सिटी में हो रही है.

राज्य से बाहर के हैं कैंडिडेट्स

इस मामले में एनएसयूआइ ने आरोप लगाया है कि जिन लोगों का वैरिफिकेशन किया जा रहा है, उनमें 97 प्रतिशत कैंडिडेंट्स राज्य के नहीं हैं. इसके कारण झारखंड के आदवासी कैंडिडेट्स को मौका नहीं मिल रहा है. इस बात की चिंता आरयू से लेकर यहां के ब्यूरोक्रेसी किसी को भी नहीं हैं.

नियुक्ति रद करने की मांग

स्टेट वाइस प्रेजिडेंट अमन अहमद ने कहा कि अगर यह नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा तैयार नियमावली के तहत नहीं हुई, तो इसे रद्द किया जाना चाहिए. इससे लोकल कैंडिडेट्स को नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर की हायरिंग के लिए सही मौका मिलेगा.

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