EXCLUSIVE: लाल किला धमाके पर मोदी-शाह की खामोशी ‘न-पाक’ के संग चतुर चीन के लिए भी कहीं 'घातक' न बन जाए!
दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार-बम धमाके को लेकर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस. सोढ़ी ने स्टेट मिरर को कहा कि मोदी-शाह की खामोशी को तात्कालिक कमजोरी न समझा जाए, पर घटना पाकिस्तान-कनेक्शन और चीन तक जांच के संभावना के चलते गंभीर है. उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की 2,900 किग्रा अमोनियम नाइट्रेट बरामदगी की सराहना की, साथ ही चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान का हाथ साबित हुआ तो कार्रवाई का स्वरूप बेहद सख्त हो सकता है.;
दो दिन पहले भारत की राजधानी दिल्ली में मौजूद लाल किला और चांदनी चौक की रेड-लाइट पर हुए जबरदस्त कार-बम-विस्फोट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 9 से 11 हो चुकी है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद कुछ देर के लिए ही सही भारत और पाकिस्तान के बीच ‘ठहरे हुए संबंधों’ पर इस बम-विस्फोट कांड ने एक बार फिर से “आग में घी” डालने जैसा काम कर डाला है. हालात कभी भी ‘एक्ट ऑफ वॉर’ जैसे हो सकते हैं.
आखिर इस बम धमाके की आवाज कहां तक जाएगी? क्या इसके जवाब में अब हिंदुस्तानी हुकूमत, पाकि स्तान के खिलाफ “एक्ट ऑफ वॉर” जैसा सख्त कदम उठा पाने की स्थिति में है. आखिर क्यों देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बम-विस्फोट के 36 घंटे बाद भी खामोश हैं. क्या इस दुस्साहसिक बम धमाके की जांच में चीन भारत की कोई मदद करेगा? अब पाकिस्तान कैसे अपनी गर्दन बचाएगा लाल किला कार बम धमाके से?
इन्हीं तमाम सवालों के जवाब पाने की कोशिश में स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने एक्सक्लूसिव बात की भारतीय फौज के रिटायर्ड ले. कर्नल जे एस सोढ़ी (Lieutenant Colonel Jasinder Singh Sodhi, Indian Army) से. ले. कर्नल सोढ़ी न जो कुछ बेबाकी से बयान किया वह भारत, चीन और पाकिस्तान के त्रिकोणीय संबंधों की बखिया उधेड़ने के लिए काफी है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “लाल किला कार बम विस्फोट कांड में अब तक भारत या हमारी प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृहमंत्री की खामोशी को दुनिया या भारत की जनता गलत दिशा में ले जाकर समझने की गलती न करे. यह आज का भारत है जिसकी दूर-दृष्टि अब आज 50 साल पहले जैसे भारत की सी नहीं है. आज का भारत आगे वाले 50 साल के भारत में और 50 साल आगे की दुनिया में दौड़ने वाला भारत है.”
सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल तो है पर तारीफ भी करनी होगी
लेफ्टिनेंट जसिंदर सिंह सोढ़ी ने एक सवाल के जवाब में कहा, “बेशक इस कार बम धमाके ने हमारी सुरक्षा एजेंसियों के ऊपर सवालिया निशान तो लगाया है. वह भी तब जब देश अभी इसी साल अप्रैल महीने में हुए खतरनाक पहलगाम नरसंहार से भी नहीं उबर सका हो तब. इसके साथ ही यह भी कहना जरूरी है कि भारतीय खुफिया एजेंसियों और हमारी पुलिस का ही दमखम है जिन्होंने मिल-जुलकर काम करते हुए, देश की सिरमौर कही जानी वाली राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से चंद फर्लांग दूर हरियाणा के फरीदाबाद में न केवल 2900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट जब्त करके इतिहास रच दिया. अपितु डॉक्टर का चोंगा पहनकर देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त विध्वंस्कारियों को भी जिंदा दबोच लिया है.”
भारत के दुश्मन की भारतीय एजेंसियों को खुली चुनौती
हां, मगर इन सबके बीच लाल किला के सामने 10 नवंबर 2025 को शाम के वक्त हुए भयंकर कार-बम धमाके ने भी देश और भारतीय एजेंसियों के सामने चुनौती तो खड़ी कर ही दी है. साल 2014 से जिस दिल्ली में विध्वंसकारी ताकत के नाम पर परिंदा ‘पर’ नहीं मार सका था, उसी दिल्ली और देश के सिरमौर ऐतिहासिक लाल किला की नाक के नीचे कार-बम धमाका हो जाना. उसमें कई बेकसूरों की अकाल मौत हो जाना. यह सब क्या है? भारत के दुश्मन की भारतीय एजेंसियों के लिए खुली चुनौती ही तो है.
चीन तक पहुंचेगी लाल किला ब्लास्ट की जांच
स्टेट मिरर के एक सवाल के जवाब में भारतीय फौज के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल जसिंदर सिंह सोढ़ी ने कहा, “सुना तो मैंने भी है कि इस कांड में शामिल कई लोग चीन में डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़कर लौटे हैं. ऐसे में लाल किला कार बम ब्लास्ट की जांच चीन तक पहुंचेगी तो. मगर चीन भारत की मदद जांच में क्यों करेगा? भारत सहित दुनिया जानती है कि चीन भारत का कभी सगा न था न है न कभी आइंदा चीन भारत का शुभचिंतक होगा. किसी भी मुसीबत के वक्त चीन भारत के बजाए हमेशा अपने मुंहलगे पिछलग्गू पाकिस्तान का साथ देगा. कल भी चीन भारत के दुश्मन नंबर-1 पाकिस्तान के साथ था आज भी है और आइंदा भी चीन पाकिस्तान के ही साथ रहेगा.
दो दिन पहले लाल किला के सामने हुए कार बम धमाके की जांच में जब पाकिस्तान के पूरे पूरे फंसने के चांसेज बन ही रहे हैं, तब तो चतुर चीन और भी भारत की ओर से आंखें मूंदकर नजरें दूसरी ओर घुमा लेगा. क्योंकि इस कांड में फंसने पर उसके हमजोली आतंकियों की जन्मस्थली और आतंकवाद की यूनिवर्सिटी चीन का मुंहलगा लड़ैता, मगर भारत का दुश्मन नंबर-1 पाकिस्तान की गर्दन जो फंसेगी. चीन क्यों चाहेगा कि लाल किला कार ब्लास्ट कांड की तफ्तीश में उसके दोस्त पाकिस्तान की गर्दन भारत के हाथों में आकर फंसे.”
किसी भी संभावना से नहीं किया जा सकता इनकार
क्या यह संभव है कि जो पकड़े गए कश्मीरी संदिग्ध डॉक्टर चीन से डॉक्टरी की पढ़ाई करके लौटे और यहां भारत को ही दहलाने की साजिश में शामिल हो गए. उनकी डॉक्टरी की पढ़ाई लिखाई का खर्चा चीन में इन सबके रहते हुए पाकिस्तान ने भरा हो? स्टेट मिरर हिंदी के इस सवाल के जवाब में भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल जे एस सोढ़ी ने कहा, “अब जब देश की राजधानी दिल्ली में लाल किला-चांदनी चौक की नाक के नीच कार बम ब्लास्ट हो ही चुका है. उसमें भी 10 लोगों की दुखद मौत हो चुकी है. तो ऐसे में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
क्या चीन ने पाकिस्तान के कहने पर आरोपियों की डॉक्टरी का खर्च उठाया?
जहां तक सवाल चीन में रहकर एमबीबीएस या डॉक्टरी की पढ़ाई करके भारत लौटे कश्मीरी (जो भारतीय पुलिस और एजेंसियों द्वारा पकड़े जा चुके हैं) लौटकर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने वालों की आर्थिक मदद पाकिस्तान द्वारा, उनके चीन में रहने के दौरान किए जाने का सवाल है. तो मुझे नहीं लगता है कि भिखमंगे, अमेरिका की रोटियों-टुकड़ों पर पलने वाला धूर्त भूखा-प्यासा पाकिस्तान या उसकी घाघ खुफिया एजेंसी आईएसआई अथवा भाड़े की पाकिस्तानी फौज की इतनी औकात है जो वे सब मिलकर भी, किसी गैर की पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठा सकें. जिस पाकिस्तान में एक किलो दाल चावल के लिए मारकाट मची हो. वह पाकिस्तान किसी गैर-पाकिस्तानी को डॉक्टर बनने-बनाने का खर्चा उठा पाने की हैसियत कभी भी नहीं रख सकता है. हां, लेकिन एक बात यह भी तो सोचिए कि जब पाकिस्तान का पापा चीन बैठा है तो फिर, पाकिस्तान को इन आतंकवादियों को चीन में रखकर डॉक्टर बनाने के दौरान पैसा खर्च करने की जरूरत या चिंता ही क्यों होगी. जब चीन को पता है कि उसके यहां डॉक्टरी पढ़ने वाले युवक-युवती पाकिस्तान के इशारे पर भारत में जाकर उसकी सुरक्षा संप्रुभता को खतरा बनने वाले हैं. तब तो पाकिस्तान के बिना कुछ कहे ही उसके एक इशारे पर ही चीन ने अगर इन सबको अपने (वे संदिग्ध आतंकवादी डॉक्टर जो चीन में डॉक्टरी पढ़कर लौटने के बाद भारत पहुंचते ही आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त मिले हैं) यहां फ्री में ही डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करवा दी होगी. तो भी हैरत मत कीजिए.”
क्या पाकिस्तान भूल गया ऑपरेशन सिंदूर में हुई दुर्गति?
क्या पाकिस्तान के सिर से ऑपरेशन सिंदूर में हुई उसकी दुर्गति का साया एकदम हट चुका है. ऑपरेशन सिंदूर को तब रोकते वक्त क्या भारत की वह बात भी पाकिस्तान भूल चुका है चार-पांच महीने में ही जिसमें भारत ने आगाह कर दिया था पाकिस्तान को कि, आइंदा अगर एक भी छोटी या बड़ी आतंकवादी घटना पाकिस्तान की ओर से भारत में अंजाम दी गई, तो फिर भारत उस घटना का जवाब “एक्ट ऑफ वॉर” मानकर देगा? पूछे जाने पर भारतीय फौज के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल जे एस सोढ़ी ने कहा, “दरअसल पाकिस्तान या चीन अथवा अमेरिका ऐसे मक्कार देश हैं, जो अपने हित की कोई बात कभी नहीं भूलते हैं. यह वही बात भूलते हैं जिसमें भारत का नुकसान हो रहा हो.
अगर मिला पाक का हाथ तो...
बात जहां तक एक्ट ऑफ वॉर और ऑपरेशन सिंदूर की है. तो अगर पाकिस्तान इन सबको भूल भी रहा होगा जान-बूझकर ही सही. इस लाल किला कार ब्लास्ट कांड में अगर पाकिस्तान का हाथ शामिल होना साबित हो गया तो, पाकिस्तान को अब यह 6-7 मई 2025 को आधी रात भारत द्वारा उसके आतंकवादी अड्डों पर किए गए ऑपरेशन सिंदूर से कहीं ज्यादा भारी पड़ जाएगा. भारत ने पाकिस्तान के रहम की भीख मांगने और भारत के पांवों में उसके द्वारा नाक रगड़े जाने पर भारत ने ऑपरेशन-सिंदूर तब रोका भर था. बंद या पूरी तरह ऑपरेशन सिंदूर खतम नहीं किया था. मतलब, अब अगर लाल किला कांड में पाकिस्तान का हाथ मय सबूतों के मिल गया तो, भारत एक्ट ऑफ वॉर के तहत इस घटना को लेकर पहले से बीच में रुके हुए ऑपरेशन सिंदूर के घोड़े पाकिस्तान की ओर फिर खोल देगा. मुझे लगता है कि अभी हिंदुस्तानी हुकूमत को शायद लाल किला कार ब्लास्ट कांड में वे मजबूत सबूत हाथ नहीं लगे हैं जिससे पाकिस्तान को एक्ट ऑफ वॉर के दायरे में घेरकर, फिर से ऑपरेशन सिंदूर के कहर का मुंह पाकिस्तान की ओर मोड़ा जा सके.”